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ईटीवी भारत पर कीजिए अर्धनारेश्वर शिवलिंग के दर्शन, अनूठा है भोलेनाथ का ये मंदिर

शहडोल जिले में भगवान भोलेनाथ की ऐसी ऐसी शिवलिंग हैं और उनके चमत्कार की ऐसी ऐसी कहानियां हैं, जो अद्भुत और अनूठी हैं. लखवरिया की गुफाओं में भगवान भोलेनाथ की अद्भुत शिवलिंग है जिसे अर्धनारेश्वर शिवलिंग भी कहा जाता है. देखिए इसके पीछे की पूरी कहानी....

ardhnareshwar bholenath shivling
अर्धनारेश्वर शिवलिंग के दर्शन
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Published : Feb 20, 2020, 2:43 PM IST

Updated : Feb 20, 2020, 3:31 PM IST

शहडोल। 21 फरवरी को महा शिवरात्रि का पर्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार शिवरात्रि का दिन बेहद खास माना जाता है. शिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इस पर्व के मौके पर ईटीवी भारत आपको मध्यप्रेदश के उन धार्मिक स्थानों से रूबरू करा रहा हैं जो सीधे तौर पर भगवान भोलेनाथ से जुडे़ हैं. इसी कड़ी में हम पहुंचे हैं शहडोल के लखवरिया.

अनूठा है भोलेनाथ का ये मंदिर

लखबरिया की गुफाओं में मौजूद भगवान भोलेनाथ शिवलिंग अर्धनारेश्वर स्वरूप में मौजूद हैं. इस शिवलिंग की खोज के पीछे भी बड़ी रोचक कहानी है. भोलेबाबा का शिवलिंग अर्धनारेश्वर स्वरूप में मौजूद है. मतलब शिवलिंग में आधे भोले बाबा जबकि आधे हिस्से में मां पार्वती हैं. भगवान शिव का ये स्वरूप अपने आप में अलौकिक है. इस शिवलिंग के दर्शन करने पहुंचने पर भक्तों की सभी मुरादें पूरी होती हैं.

मंदिर के पुजारी ने बताई पूरी कहानी

लोगों की जुड़ी है आस्था

लखवरिया के रहने वाले रामसेवक की मानें तो उन्होंने अपनी एक मुराद के पूरी करने के लिए अमरकंटक से इस मंदिर तक पैदल यात्रा की थी और शिवलिंग पर कांवर चढ़ाई थी. लिहाजा महाकाल बाबा ने उनकी मनोकामना पूरी कर दी.

Temple pardhnareshwar bholenath shivlingriest
अर्धनारेश्वर शिवलिंग के दर्शन

अर्धनारेश्वर अवतार में भगवान शिव की शिवलिंग

जिला मुख्यालय से करीब 40 से 45 किलोमीटर दूर मौजूद लखवरिया धाम में मौजूद यह शिवलिंग अपनी अलग पहचान रखता है. लखवरिया की गुफा में मौजूद अर्धनारेश्वर अवतार में भगवान शिव की शिवलिंग यहां कैसे आई, कितनी पुरानी है और उसका महत्व क्या है. इन सभी सवालों का मंदिर के पुजारी ने समाधान किया है.

पुराणों में मिला मंदिर के शिवलिंग का प्रमाण

अर्धनारेश्वर अवतार में भगवान शिव की शिवलिंग अपने आप में अनूठी और अलौकिक है. मंदिर के पुजारी की मानें तो इस शिवलिंग का प्रमाण पुराणों में मिला है. शिवरात्रि और सावन में यहां काफी संख्या में भक्त कांवर चढ़ाने आते हैं. यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है.

शहडोल। 21 फरवरी को महा शिवरात्रि का पर्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार शिवरात्रि का दिन बेहद खास माना जाता है. शिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इस पर्व के मौके पर ईटीवी भारत आपको मध्यप्रेदश के उन धार्मिक स्थानों से रूबरू करा रहा हैं जो सीधे तौर पर भगवान भोलेनाथ से जुडे़ हैं. इसी कड़ी में हम पहुंचे हैं शहडोल के लखवरिया.

अनूठा है भोलेनाथ का ये मंदिर

लखबरिया की गुफाओं में मौजूद भगवान भोलेनाथ शिवलिंग अर्धनारेश्वर स्वरूप में मौजूद हैं. इस शिवलिंग की खोज के पीछे भी बड़ी रोचक कहानी है. भोलेबाबा का शिवलिंग अर्धनारेश्वर स्वरूप में मौजूद है. मतलब शिवलिंग में आधे भोले बाबा जबकि आधे हिस्से में मां पार्वती हैं. भगवान शिव का ये स्वरूप अपने आप में अलौकिक है. इस शिवलिंग के दर्शन करने पहुंचने पर भक्तों की सभी मुरादें पूरी होती हैं.

मंदिर के पुजारी ने बताई पूरी कहानी

लोगों की जुड़ी है आस्था

लखवरिया के रहने वाले रामसेवक की मानें तो उन्होंने अपनी एक मुराद के पूरी करने के लिए अमरकंटक से इस मंदिर तक पैदल यात्रा की थी और शिवलिंग पर कांवर चढ़ाई थी. लिहाजा महाकाल बाबा ने उनकी मनोकामना पूरी कर दी.

Temple pardhnareshwar bholenath shivlingriest
अर्धनारेश्वर शिवलिंग के दर्शन

अर्धनारेश्वर अवतार में भगवान शिव की शिवलिंग

जिला मुख्यालय से करीब 40 से 45 किलोमीटर दूर मौजूद लखवरिया धाम में मौजूद यह शिवलिंग अपनी अलग पहचान रखता है. लखवरिया की गुफा में मौजूद अर्धनारेश्वर अवतार में भगवान शिव की शिवलिंग यहां कैसे आई, कितनी पुरानी है और उसका महत्व क्या है. इन सभी सवालों का मंदिर के पुजारी ने समाधान किया है.

पुराणों में मिला मंदिर के शिवलिंग का प्रमाण

अर्धनारेश्वर अवतार में भगवान शिव की शिवलिंग अपने आप में अनूठी और अलौकिक है. मंदिर के पुजारी की मानें तो इस शिवलिंग का प्रमाण पुराणों में मिला है. शिवरात्रि और सावन में यहां काफी संख्या में भक्त कांवर चढ़ाने आते हैं. यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है.

Last Updated : Feb 20, 2020, 3:31 PM IST
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