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अगर हो गई है ज्यादा दिन की धान की नर्सरी, तो ऐसे हासिल करें अच्छा उत्पादन, देखें आपके काम की खबर

शहडोल जिले में इस साल समय पर बारिश नहीं होने के चलते किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. लोगों ने धान की नर्सरी तो लगा दी थी, लेकिन तेज बारिश नहीं होने के चलते इसका रोपण सही तरीके से नहीं हो पाया था. अब 2 दिनों से हो रही बारिश के बाद एक बार फिर किसान रोपाई में जुट गए हैं.

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Published : Aug 17, 2019, 11:43 AM IST

धान की अच्छी फसल पाने करे ये उपाय

शहडोल। मध्यप्रदेश का शहडोल आदिवासी बाहुल्य जिला है. यहां धान की खेती प्रमुखता से की जाती है, क्योंकि इस जिले में अधिकतर रकबा असिंचित है और एक फसली है, जहां धान की खेती ही की जाती है. वहीं समय पर बारिश न होने के चलते किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. लोगों ने धान की नर्सरी तो लगा दी थी, लेकिन तेज बारिश न होने की वजह से इसकी रोपाई सही तरीके से नहीं हो पाई है.

बता दें कि इस साल जिले में बारिश अब तक बहुत कम हुई है. हालांकि पिछले एक-दो दिन यहां कुछ तेज बारिश हुई, जिससे किसानों के खेतों में पानी आ गया है और अब वे रोपाई में लगे हैं. कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि जो आंकड़े आज तक के बारिश के हासिल हुए हैं, उसके मुताबिक अब तक जिले में 498 मिलीमीटर बारिश हुई है, जबकि पिछले साल भी बारिश कम ही हुई थी, लेकिन आज तक की स्थिति में 645 मिलीमीटर बारिश हो चुकी थी.

शहडोल जिला मुख्य रूप से धान की खेती पर निर्भर है. सबसे अधिक रकबा किसानों का धान का है. लंबे समय बाद खेतों में पानी आने के बाद अब किसानों को लग रहा है कि किसी तरह उसके खाली खेतों में रोपण का काम हो जाये. भले ही उसकी नर्सरी पुरानी हो गई है, फिर भी कुछ उत्पादन अपने खेतों से वे हासिल कर लें. ऐसे किसानों को जिनके खेतों में रोपण कार्य अब तक नहीं हुआ है, उन्हें कृषि वैज्ञानिकों ने खास सलाह दी है. जिससे उन्हें ज्यादा नुकसान न हो.

धान की अच्छी फसल पाने के लिए करें ये उपाय

नर्सरी है पुरानी तो अपनाएं ये तरीका
रोपाई में देरी हो जाने वाले किसानों को कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह ने सलाह दी हैं कि कोशिश करें कि जितनी जल्दी आपकी नर्सरी ट्रांसप्लान्ट हो जाये. अगर आपकी नर्सरी बहुत बड़ी हो गई है तो पौधे को ऊपर से थोड़ी सी काट दें, फिर उसके बाद रोपाई कराएं. धान का पौधा रोपाई के बाद जैसे ही थोड़ी सी स्टेबलिश हो जाये धान के फसल के गभोट में आने से पहले, अगर अपने खेत के मिट्टी का परीक्षण आपने पहले कराया है तो उस हिसाब से उसे पोषक तत्व दें.

अगर नहीं कराया है तो एनपीके घुलनशील आता है 17-17 भी आता है 19-19 भी आता है उसे एक किलो पर एकड़ के हिसाब से डालें. जिससे उचित मात्रा में उनको पोषक तत्व मिलेगा तो फसल के उत्पादन में फायदा मिलेगा. कृषि वैज्ञनिकों ने किसानों को ये सलाह जरूर दी है कि ज्यादातर किसान सोचते हैं कि धान की फसल में बहुत पानी भरा होना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं है, धान में पानी भरा होने से फसल तो होती है, लेकिन खेत अगर गीला सूखा है तो भी फसल हो जाता है.

शहडोल। मध्यप्रदेश का शहडोल आदिवासी बाहुल्य जिला है. यहां धान की खेती प्रमुखता से की जाती है, क्योंकि इस जिले में अधिकतर रकबा असिंचित है और एक फसली है, जहां धान की खेती ही की जाती है. वहीं समय पर बारिश न होने के चलते किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. लोगों ने धान की नर्सरी तो लगा दी थी, लेकिन तेज बारिश न होने की वजह से इसकी रोपाई सही तरीके से नहीं हो पाई है.

बता दें कि इस साल जिले में बारिश अब तक बहुत कम हुई है. हालांकि पिछले एक-दो दिन यहां कुछ तेज बारिश हुई, जिससे किसानों के खेतों में पानी आ गया है और अब वे रोपाई में लगे हैं. कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि जो आंकड़े आज तक के बारिश के हासिल हुए हैं, उसके मुताबिक अब तक जिले में 498 मिलीमीटर बारिश हुई है, जबकि पिछले साल भी बारिश कम ही हुई थी, लेकिन आज तक की स्थिति में 645 मिलीमीटर बारिश हो चुकी थी.

शहडोल जिला मुख्य रूप से धान की खेती पर निर्भर है. सबसे अधिक रकबा किसानों का धान का है. लंबे समय बाद खेतों में पानी आने के बाद अब किसानों को लग रहा है कि किसी तरह उसके खाली खेतों में रोपण का काम हो जाये. भले ही उसकी नर्सरी पुरानी हो गई है, फिर भी कुछ उत्पादन अपने खेतों से वे हासिल कर लें. ऐसे किसानों को जिनके खेतों में रोपण कार्य अब तक नहीं हुआ है, उन्हें कृषि वैज्ञानिकों ने खास सलाह दी है. जिससे उन्हें ज्यादा नुकसान न हो.

धान की अच्छी फसल पाने के लिए करें ये उपाय

नर्सरी है पुरानी तो अपनाएं ये तरीका
रोपाई में देरी हो जाने वाले किसानों को कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह ने सलाह दी हैं कि कोशिश करें कि जितनी जल्दी आपकी नर्सरी ट्रांसप्लान्ट हो जाये. अगर आपकी नर्सरी बहुत बड़ी हो गई है तो पौधे को ऊपर से थोड़ी सी काट दें, फिर उसके बाद रोपाई कराएं. धान का पौधा रोपाई के बाद जैसे ही थोड़ी सी स्टेबलिश हो जाये धान के फसल के गभोट में आने से पहले, अगर अपने खेत के मिट्टी का परीक्षण आपने पहले कराया है तो उस हिसाब से उसे पोषक तत्व दें.

अगर नहीं कराया है तो एनपीके घुलनशील आता है 17-17 भी आता है 19-19 भी आता है उसे एक किलो पर एकड़ के हिसाब से डालें. जिससे उचित मात्रा में उनको पोषक तत्व मिलेगा तो फसल के उत्पादन में फायदा मिलेगा. कृषि वैज्ञनिकों ने किसानों को ये सलाह जरूर दी है कि ज्यादातर किसान सोचते हैं कि धान की फसल में बहुत पानी भरा होना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं है, धान में पानी भरा होने से फसल तो होती है, लेकिन खेत अगर गीला सूखा है तो भी फसल हो जाता है.

Intro:नोट- पहले दो वर्जन किसानों के हैं और फिर तीसरा और आखिरी वर्जन कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह की है।

अगर आपके धान की नर्सरी हो गई है ज्यादा दिन की, तो ऐसे हासिल करें अच्छा उत्पादन, देखें ये खबर

शहडोल- शहडोल आदिवासी बाहुल्य जिला है और यहां धान की खेती प्रमुखता से की जाती है, क्योंकि इस जिले में अधिकतर रकबा असिंचित है और एक फसली है जहां धान की खेती ही की जाती है, लेकिन इस साल जिले में बारिश अबतक बहुत कम हुई है, लोगों ने नर्सरी तो लगा दी थी लेकिन तेज़ बारिश न होने की वजह से ये ट्रांसप्लांट नहीं हो सका है, पिछले एक दो दिन यहां कुछ तेज़ बारिश हुई, जिससे किसानों के खेतों में पानी तो आ गया है लेकिन त्योहार आ जाने की वजह से अब किसानों को खेतों में काम करने वाले लोगों की समस्या हो रही है लेकिन फिर भी लंबे समय बाद खेतों में पानी आने के बाद अब किसान लगा है कि किसी तरह उसके खाली खेतों में रोपण कार्य हो जाये जिससे भले ही उसकी नर्सरी पुरानी हो गई है कुछ उत्पादन तो अपने खेतों से हासिल कर ले। ऐसे किसानों को जिनके खेतों में रोपण कार्य अबतक नहीं हुआ है उन्हें कृषि वैज्ञनिकों ने खास सलाह दी है। जिससे उन्हें ज्यादा नुकसान न हो।


Body:नर्सरी है पुरानी तो अपनाएं ये तरीका

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि जो आंकड़े आजतक के बारिश के हासिल हुए हैं उसके मुताबिक अबतक जिले में 498 मिली मीटर बारिश हुई है जबकि पिछले साल भी बारिश कम ही हुई थी लेकिन आजतक की स्थिति में 645 मिलीमीटर बारिश हो चुकी थी। अपना जिला मुख्य रूप से धान की खेती पर निर्भर है, मतलब सबसे अधिक रकबा किसानों का धान का है, अब जैसा कि हर किसी को पता है कि किसानो ने नर्सरी तो पहले डाल दी थी। लेकिन नर्सरी ज्यादा उम्र की हो गई है, अभी जो बारिश हुई है सबके खेतों में करीब करीब कुछ कुछ पानी हो गया है, धान के रोपण के कार्य के लायक हो गया है। नर्सरी ज्यादा उम्र की हो गई है तो स्वाभाविक है उसमें कल्ले कम आएंगे ज्यादा दिन का हो गया है तो पौधे भी किसानों को पास पास करनी पड़ेगी, जिससे उपज पर भी फर्क पड़ेगा।

कृषि वैज्ञनिकों ने किसानों को ये सलाह जरूर दी है कि यहां के ज्यादातर किसान सोचते हैं कि धान की फसल में बहुत पानी भरा होना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं है, धान में पानी भरा होने से फसल तो होती है, लेकिन खेत अगर गीला सूखा है तो भी फसल हो जाता है।

रोपाई में देरी हो जाने वाले किसानों को कृषि वैज्ञनिक सलाह देते हैं कि कोशिश करें कि जितनी जल्दी आपकी नर्सरी ट्रांसप्लान्ट हो जाये। अगर आपकी नर्सरी बहुत बड़ी हो गई है तो पौधे को ऊपर से थोड़ी सी काट दें फिर उसके बाद रोपाई कराएं, धान का पौधा रोपाई के बाद जैसे ही थोड़ी सी स्टेबलिश हो जाये धान के फसल के गभोट में आने से पहले, अगर अपने खेत के मिट्टी का परीक्षण आपने पहले कराया है तो उस हिसाब से उसे पोषक तत्व दे अगर नहीं कराया है तो एनपीके घुलनशील आता है 17-17 भी आता है 19-19 भी आता है उसे एक किलो पर एकड़ के हिसाब से डालें। जिससे उचित मात्रा में उनको पोषक तत्व मिलेगा तो फसल के उत्पादन में फायदा मिलेगा।


Conclusion:हलांकि किसानों की चिंता कम नहीं हुई है क्योंकि एक दो दिन तो अच्छी बारिश हुई लेकिन आज से फिर सूर्यदेव प्रकट हो गए हैं उम्मीद है कि बारिश भले ही जिले में देर से आई लेकिन अब किसानों का साथ जरूर देगी।
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