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Shardiya Navratri 2022: नवरात्र में कैसे और किस मुहूर्त में करें कलश स्थापना, जानिए इसके महत्व और फायदे - नवरात्रि 2022 शुभ मुहूर्त

इस साल शारदीय नवरात्र 2022 की शुरुआत 26 सितंबर से हो रही (Shardiya Navratri 2022) है, जो 5 अक्टूबर तक चलेगी. 9 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार में भक्त मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करते है. आइये आपको बताते हैं कि नवरात्र में कैसे कलश स्थापना करें, किस मुहूर्त में करें और इसके क्या फायदे होते हैं. Shardiya Navratri Puja, Shardiya Navratri 2022, Importance of Matarani Riding Elephant, Navratri Puja Vidhi

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नवरात्रि में कैसे करें कलश स्थापना
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Published : Sep 25, 2022, 4:18 PM IST

शहडोल। हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि के त्योहार का विशेष महत्व होता है. 26 सितंबर से शारदीय नवरात्रि 2022 की शुरुआत हो (Shardiya Navratri 2022) रही है. नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि में हर दिन माता रानी के पूजन का खास महत्व होता है. मां भगवती के नौ रूपों की भक्ति करने से हर मनोकामना पूरी होती है. इन नौ दिनों में मां के पूजा पाठ का खास ख्याल रखा जाता है और उनको प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के उपाय किए जाते हैं. आखिर नवरात्र में कलश स्थापना का क्या महत्व होता है, कैसे कलश स्थापना करना चाहिए, किस मुहूर्त में करना चाहिए और इसके फायदे क्या होते हैं ये सारी जानकारी ईटीवी भारत पर जानिए ज्योतिषाचार्य सुशील शुक्ला शास्त्री से, (Importance of Matarani Riding Elephant)

नवरात्रि में कैसे करें कलश स्थापना

नवरात्रि में कैसे करें कलश स्थापना: ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री के मुताबिक नवरात्रि के पहले दिन सबसे पहले कलश स्थापना की जाती है. कलश स्थापना के लिए सबसे उत्तम है कि एक चौकी बनाया जाए. चौकी में लाल कपड़ा रखें, एक मिट्टी का घड़ा मंगाएं, घड़े में जल, एक सिक्का, चावल, एक सुपारी रखें आम की टेरी रखें. उसके ऊपर मौली बांधें. इसके बाद या तो उस पर नारियल रखें या दीपक जलाएं. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि वहीं पर जौ भी बोया जाए है.

नवरात्रि में कलश स्थापना का महत्व: ज्योतिषाचार्य के मुताबिक कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है. घर में 9 दिन तक कलश ज्योति जलती है वहां पर देवी जी की कृपा बरसती है. 9 दिन तक वहां पर देवी जी उपस्थित रहती हैं. जौ कलश के चारों तरफ बोया जाता है. उसका महत्व ये है की जौ का रंग हरा होता है. जौ का जो पौधा और बाली होती है वो मां को बहुत पसंद होती है, और हरा होने के कारण उस घर में एक वर्ष तक हरा भरा परिवार रहता है. कोई रोग आधि व्याधि नहीं होता है. देवी मां की कृपा बरसती है. जहां ये सारे नियम के अनुसार कलश स्थापना की जाती है उस घर में मंगल कार्य होते हैं. जिस घर में कलह नहीं होता है उस घर में धन की वर्षा नहीं होती है, इसलिए कलश स्थापन हर घर में करना बहुत आवश्यक होता है. कलश स्थापन कर देने से लोगों को सुख शांति मिलती है, इसलिए कलश स्थापन करना चाहिए.

Shardiya Navratri 2022:पावई वाली माता की महिमा, मुगलों से लड़ा था युद्ध, डकैत भी रहते थे नतमस्तक

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त: ज्योतिषाचार्य के मुताबिक कलश स्थापन के लिए विशेष मुहूर्त भी होता है. कलश स्थापन का समय ब्रह्म मुहूर्त ठीक 4:00 बजे से या अधिकतम 5:00 से लेकर 9:00 के बीच में रहता है. कलश के बगल में 9 सुपारी रखें, नौ हल्दी रखें, चावल रखें, और सभी देवताओं को बुलाकर वहां स्थापित कर दें. क्योंकि सभी देवताओं की जो शक्तियां हैं वह कलश में रहती हैं और इसीलिए कलश स्थापित की जाती है. इससे सभी देवता कलश में आकर स्थापित होते हैं. घर में सुख शांति बनी रहे, घर में बरक्कत हो और घर में हमेशा मांगलिक कार्यक्रम होता रहे इसके लिए शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित करना चाहिए.

शहडोल। हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि के त्योहार का विशेष महत्व होता है. 26 सितंबर से शारदीय नवरात्रि 2022 की शुरुआत हो (Shardiya Navratri 2022) रही है. नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि में हर दिन माता रानी के पूजन का खास महत्व होता है. मां भगवती के नौ रूपों की भक्ति करने से हर मनोकामना पूरी होती है. इन नौ दिनों में मां के पूजा पाठ का खास ख्याल रखा जाता है और उनको प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के उपाय किए जाते हैं. आखिर नवरात्र में कलश स्थापना का क्या महत्व होता है, कैसे कलश स्थापना करना चाहिए, किस मुहूर्त में करना चाहिए और इसके फायदे क्या होते हैं ये सारी जानकारी ईटीवी भारत पर जानिए ज्योतिषाचार्य सुशील शुक्ला शास्त्री से, (Importance of Matarani Riding Elephant)

नवरात्रि में कैसे करें कलश स्थापना

नवरात्रि में कैसे करें कलश स्थापना: ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री के मुताबिक नवरात्रि के पहले दिन सबसे पहले कलश स्थापना की जाती है. कलश स्थापना के लिए सबसे उत्तम है कि एक चौकी बनाया जाए. चौकी में लाल कपड़ा रखें, एक मिट्टी का घड़ा मंगाएं, घड़े में जल, एक सिक्का, चावल, एक सुपारी रखें आम की टेरी रखें. उसके ऊपर मौली बांधें. इसके बाद या तो उस पर नारियल रखें या दीपक जलाएं. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि वहीं पर जौ भी बोया जाए है.

नवरात्रि में कलश स्थापना का महत्व: ज्योतिषाचार्य के मुताबिक कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है. घर में 9 दिन तक कलश ज्योति जलती है वहां पर देवी जी की कृपा बरसती है. 9 दिन तक वहां पर देवी जी उपस्थित रहती हैं. जौ कलश के चारों तरफ बोया जाता है. उसका महत्व ये है की जौ का रंग हरा होता है. जौ का जो पौधा और बाली होती है वो मां को बहुत पसंद होती है, और हरा होने के कारण उस घर में एक वर्ष तक हरा भरा परिवार रहता है. कोई रोग आधि व्याधि नहीं होता है. देवी मां की कृपा बरसती है. जहां ये सारे नियम के अनुसार कलश स्थापना की जाती है उस घर में मंगल कार्य होते हैं. जिस घर में कलह नहीं होता है उस घर में धन की वर्षा नहीं होती है, इसलिए कलश स्थापन हर घर में करना बहुत आवश्यक होता है. कलश स्थापन कर देने से लोगों को सुख शांति मिलती है, इसलिए कलश स्थापन करना चाहिए.

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कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त: ज्योतिषाचार्य के मुताबिक कलश स्थापन के लिए विशेष मुहूर्त भी होता है. कलश स्थापन का समय ब्रह्म मुहूर्त ठीक 4:00 बजे से या अधिकतम 5:00 से लेकर 9:00 के बीच में रहता है. कलश के बगल में 9 सुपारी रखें, नौ हल्दी रखें, चावल रखें, और सभी देवताओं को बुलाकर वहां स्थापित कर दें. क्योंकि सभी देवताओं की जो शक्तियां हैं वह कलश में रहती हैं और इसीलिए कलश स्थापित की जाती है. इससे सभी देवता कलश में आकर स्थापित होते हैं. घर में सुख शांति बनी रहे, घर में बरक्कत हो और घर में हमेशा मांगलिक कार्यक्रम होता रहे इसके लिए शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित करना चाहिए.

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