ETV Bharat / state

Shahdol virus attack on crops आपकी फसल में भी तो नहीं है इन बीमारियों का प्रकोप, उत्पादन पर पड़ सकता है असर, ऐसे करें इलाज

बदलते मौसम का असर खेती बारी पर भी पड़ रहा है. खासकर दलहन की फसलों पर तरह तरह के वायरस अटैक देखने को मिल रहे हैं. येलो मोजेक वायरस तो पूरी फसल चौपट करने वाला है. इन्हीं बीमारियों से अपनी फसलों को बचाना हो तो कृषि वैज्ञानिक बृजकिशोर प्रजापति की सलाह को अमल में लाएं. उन्होंने बचाव के सभी उपायों को विस्तार से बताया है. जानने के लिए पढ़े ये विशेष खबर. (Shahdol virus attack on crops)

Shahdol virus attack on crops
शहडोल में फसलों पर वायरस अटैक
author img

By

Published : Sep 14, 2022, 7:33 PM IST

Updated : Sep 15, 2022, 3:54 PM IST

शहडोल। मौसम में लगातार बदलाव हो रहा है. कभी तेज धूप तो कभी बारिश का दौर. जिसके चलते फसलों पर भी तरह तरह के रोग आ रहे हैं. जिले में कई फसलों पर येलो मोजेक वायरस का अटैक देखने को मिल रहा है. तो कुछ फसलों पर फली भेदक कीट का प्रकोप है. कुछ फसलों पर दूसरे रोग लगे हैं. ऐसे में अपनी फसलों को कैसे इन रोगों से बचाएं. उनका इलाज कैसे करें. किन लक्षणों के साथ उन्हें पहचानें. इन सब बातों से आपको अवगत करा रहे हैं कृषि वैज्ञानिक. उनकी सलाह का फायदा उठाकर आप अपनी फसलों को खतरनाक कीट रोगों से मुक्त रख सकते हैं. (Shahdol no outbreak of these diseases in your crop)

शहडोल आपकी फसल में भी तो नहीं है इन बीमारियों का प्रकोप
फसलों पर येलो मोजेक का ज्यादा अटैकः कृषि वैज्ञानिक बृजकिशोर प्रजापति बताते हैं कि अगर आपकी दलहन की फसल जैसे उर्द, मूंग में या सोयाबीन में खासकर पत्तियों में अगर हरे भाग की जगह पर पीलापन हो रहा है तो सतर्क हो जाएं. पत्तियों के हरे भाग पर अगर पीले स्पॉट बन रहे हैं तो यह पीले मोजेक वायरस के कारण होता है, ये एक बीमारी है. इसके फैलने का मुख्य कारण रस चूसने वाले कीट होते हैं. इसकी पहचान आप ऐसे कर सकते हैं कि जो पत्तियां होंगी पीली पड़ने लग जाती हैं. अगर अधिकता में होगा तो पूरी पत्तियां पीली पड़ जाएंगी. उसके कारण पौधे की जो बढ़वार होती है रुक जाती है. उत्पादकता भी कम हो जाती है. उसमें फलियां कम बनती है. जिसकी वजह से उत्पादकता पूरी तरह से कम हो जाती है. यह पीला मोजेक वायरस है. इसके फैलने का मुख्य कारण एफिड कीट है जो रस चूसने वाला कीट होता है. (Shahdol your crop may affect production)

MP : नकली कीटनाशक ने बर्बाद हुई फसल, परेशान किसान ने सागर थाने में लगाई खुद को आग


येलो वायरस से फसलों को ऐसे बचाएंः इसके नियंत्रण के लिए सबसे जरूरी होता है आपके खेत की जमीन. सबसे पहले उसकी खरपतवार को हटा दें. उसकी मेढ़ों की सफाई कर दें. जिससे एफिड कीट जो है उसका जीवन चक्र पूरा नहीं हो पाएगा. दूसरा जो संक्रमित पौधे हैं अगर सूख गए हैं तो उनको उखाड़कर जला दें. जो पौधे अभी सूखे नहीं हैं, और संक्रमित हैं तो खेत से उखाड़कर गड्ढे में दबा दें. तीसरा उसे नियंत्रण करने के लिए अन्य कारक है. जैसे आपका नीम का तेल जो होता है. उसे 2% कि दर से आप पानी में मिलाकर अपनी फसल पर छिड़काव करें. अगर रासायनिक दवाइयों का छिड़काव करना चाहते हैं तो इमिडाक्लोप्रिट 17.8 एचसी का उसका 125ml मात्रा 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से फसल पर उसका छिड़काव कर दें. इसके अलावा थायोमेथाएग्जाम नामक दवा होती है. उसे 100 ग्राम लेकर 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव कर दें. यह तो रासायनिक कीटनाशक थे. इसके अलावा आप प्रकृति और जैविक के अंतर्गत अगर उपचार के लिए भी जा सकते हैं. अगर आप जैविक प्राकृतिक खेती के तहत कीट नियंत्रण करना चाह रहे हैं, तो प्रति एकड़ 4 से 5 लीटर निमास्त्र लेकर 200 लीटर पानी में घोलकर खेत में छिड़काव करें. इससे आप पीले मोजेक वायरस से अपनी फसलों बचा सकते हैं. (Shahdol virus attack crops treat it like this)

फल भेदक कीटः इसके अलावा जो वर्तमान समय में अभी सोयाबीन हो, उर्द हो या मूंग हो गया ज्यादातर जगहों पर किसानों के माध्यम से जो हमें पता लगा है उसमें फल भेदक कीट होता है. इसकी आप ऐसे पहचान कर सकते हैं. जो मादा कीट होती है, पत्तियों के ऊपर अंडे देती हैं. वह सिंगल ही देते हैं और वह क्रीमी सफेद रंग का होता है. इसके अलावा लारवा होते हैं. आप देखेंगे शुरुआती अवस्था में जब वनस्पति वृद्धि अवस्था में होता है. पत्तियों को काटकर गिरा देते हैं. अभी वर्तमान में फसल फली की अवस्था में है उस समय आप देखेंगे कि फल में जो लारवा होता है उसका शरीर का आधा भाग फली के अंदर होता है. आधा भाग शरीर के बाहर लटका हुआ होता है. जो दाने बनते हैं उसे वह खाते रहते हैं. जिससे दाने की गुणवत्ता निश्चित रूप से प्रभावित होती है. इस कीट के नियंत्रण के लिए जो येलो मोजेक के लिए दवाई बताया गया है. जैसे निमास्त्र , ब्रह्मास्त्र , अग्नियास्त्र बनाकर के 3 से 4 लीटर 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते हैं. इसके अलावा नीम का इस्तेमाल 2% की दर से छिड़काव कर सकते हैं. रासायनिक दवा का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. यह दवा कई तरह आती हैं. इसके अलावा जिसे माहू बोलते हैं, पौधों में अगर पुष्प बन रहे हैं फली बन रही हैं तो गुच्छे में माहू लगते हैं. पौधे के जो तने होते हैं फली के होते हैं, फूल होते हैं. माहू उनके रस को चूस लेते हैं. जिसके कारण फूल झड़ जाता है. फली में गुणवत्ता कम हो जाती है. इसके नियंत्रण के लिए भी जो पीला मोजेक वायरस के नियंत्रण के लिए दवा बताया गया है पूरी दवाओं का उपयोग करके आप कीटों का नियंत्रण कर सकते हैं. (Shahdol virus attack on crops)
ये भी रोग लग सकते हैंः इसके अलावा एंथ्रोकोनाज और सरकोस्पोरा लीफ स्पॉट ये दो तरह की बीमारी है. एंथ्रोकोनाज में आप देखेगे की पत्तियाँ जो हैं वो भूरे रंग की हो जाती है. बीमारी लगने पर बीच का भाग जो होता है वो हल्का भूरे रंग का सफेद रंग का हो जाता है. इसके कंट्रोल के लिए कारबेंडाजिम नामक दवा दो ग्राम प्रति लीटरर की दर सेअगर छिड़काव करते हैं तो इससे अपने फ़सल को बचा सकते हैं.

शहडोल। मौसम में लगातार बदलाव हो रहा है. कभी तेज धूप तो कभी बारिश का दौर. जिसके चलते फसलों पर भी तरह तरह के रोग आ रहे हैं. जिले में कई फसलों पर येलो मोजेक वायरस का अटैक देखने को मिल रहा है. तो कुछ फसलों पर फली भेदक कीट का प्रकोप है. कुछ फसलों पर दूसरे रोग लगे हैं. ऐसे में अपनी फसलों को कैसे इन रोगों से बचाएं. उनका इलाज कैसे करें. किन लक्षणों के साथ उन्हें पहचानें. इन सब बातों से आपको अवगत करा रहे हैं कृषि वैज्ञानिक. उनकी सलाह का फायदा उठाकर आप अपनी फसलों को खतरनाक कीट रोगों से मुक्त रख सकते हैं. (Shahdol no outbreak of these diseases in your crop)

शहडोल आपकी फसल में भी तो नहीं है इन बीमारियों का प्रकोप
फसलों पर येलो मोजेक का ज्यादा अटैकः कृषि वैज्ञानिक बृजकिशोर प्रजापति बताते हैं कि अगर आपकी दलहन की फसल जैसे उर्द, मूंग में या सोयाबीन में खासकर पत्तियों में अगर हरे भाग की जगह पर पीलापन हो रहा है तो सतर्क हो जाएं. पत्तियों के हरे भाग पर अगर पीले स्पॉट बन रहे हैं तो यह पीले मोजेक वायरस के कारण होता है, ये एक बीमारी है. इसके फैलने का मुख्य कारण रस चूसने वाले कीट होते हैं. इसकी पहचान आप ऐसे कर सकते हैं कि जो पत्तियां होंगी पीली पड़ने लग जाती हैं. अगर अधिकता में होगा तो पूरी पत्तियां पीली पड़ जाएंगी. उसके कारण पौधे की जो बढ़वार होती है रुक जाती है. उत्पादकता भी कम हो जाती है. उसमें फलियां कम बनती है. जिसकी वजह से उत्पादकता पूरी तरह से कम हो जाती है. यह पीला मोजेक वायरस है. इसके फैलने का मुख्य कारण एफिड कीट है जो रस चूसने वाला कीट होता है. (Shahdol your crop may affect production)

MP : नकली कीटनाशक ने बर्बाद हुई फसल, परेशान किसान ने सागर थाने में लगाई खुद को आग


येलो वायरस से फसलों को ऐसे बचाएंः इसके नियंत्रण के लिए सबसे जरूरी होता है आपके खेत की जमीन. सबसे पहले उसकी खरपतवार को हटा दें. उसकी मेढ़ों की सफाई कर दें. जिससे एफिड कीट जो है उसका जीवन चक्र पूरा नहीं हो पाएगा. दूसरा जो संक्रमित पौधे हैं अगर सूख गए हैं तो उनको उखाड़कर जला दें. जो पौधे अभी सूखे नहीं हैं, और संक्रमित हैं तो खेत से उखाड़कर गड्ढे में दबा दें. तीसरा उसे नियंत्रण करने के लिए अन्य कारक है. जैसे आपका नीम का तेल जो होता है. उसे 2% कि दर से आप पानी में मिलाकर अपनी फसल पर छिड़काव करें. अगर रासायनिक दवाइयों का छिड़काव करना चाहते हैं तो इमिडाक्लोप्रिट 17.8 एचसी का उसका 125ml मात्रा 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से फसल पर उसका छिड़काव कर दें. इसके अलावा थायोमेथाएग्जाम नामक दवा होती है. उसे 100 ग्राम लेकर 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव कर दें. यह तो रासायनिक कीटनाशक थे. इसके अलावा आप प्रकृति और जैविक के अंतर्गत अगर उपचार के लिए भी जा सकते हैं. अगर आप जैविक प्राकृतिक खेती के तहत कीट नियंत्रण करना चाह रहे हैं, तो प्रति एकड़ 4 से 5 लीटर निमास्त्र लेकर 200 लीटर पानी में घोलकर खेत में छिड़काव करें. इससे आप पीले मोजेक वायरस से अपनी फसलों बचा सकते हैं. (Shahdol virus attack crops treat it like this)

फल भेदक कीटः इसके अलावा जो वर्तमान समय में अभी सोयाबीन हो, उर्द हो या मूंग हो गया ज्यादातर जगहों पर किसानों के माध्यम से जो हमें पता लगा है उसमें फल भेदक कीट होता है. इसकी आप ऐसे पहचान कर सकते हैं. जो मादा कीट होती है, पत्तियों के ऊपर अंडे देती हैं. वह सिंगल ही देते हैं और वह क्रीमी सफेद रंग का होता है. इसके अलावा लारवा होते हैं. आप देखेंगे शुरुआती अवस्था में जब वनस्पति वृद्धि अवस्था में होता है. पत्तियों को काटकर गिरा देते हैं. अभी वर्तमान में फसल फली की अवस्था में है उस समय आप देखेंगे कि फल में जो लारवा होता है उसका शरीर का आधा भाग फली के अंदर होता है. आधा भाग शरीर के बाहर लटका हुआ होता है. जो दाने बनते हैं उसे वह खाते रहते हैं. जिससे दाने की गुणवत्ता निश्चित रूप से प्रभावित होती है. इस कीट के नियंत्रण के लिए जो येलो मोजेक के लिए दवाई बताया गया है. जैसे निमास्त्र , ब्रह्मास्त्र , अग्नियास्त्र बनाकर के 3 से 4 लीटर 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते हैं. इसके अलावा नीम का इस्तेमाल 2% की दर से छिड़काव कर सकते हैं. रासायनिक दवा का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. यह दवा कई तरह आती हैं. इसके अलावा जिसे माहू बोलते हैं, पौधों में अगर पुष्प बन रहे हैं फली बन रही हैं तो गुच्छे में माहू लगते हैं. पौधे के जो तने होते हैं फली के होते हैं, फूल होते हैं. माहू उनके रस को चूस लेते हैं. जिसके कारण फूल झड़ जाता है. फली में गुणवत्ता कम हो जाती है. इसके नियंत्रण के लिए भी जो पीला मोजेक वायरस के नियंत्रण के लिए दवा बताया गया है पूरी दवाओं का उपयोग करके आप कीटों का नियंत्रण कर सकते हैं. (Shahdol virus attack on crops)
ये भी रोग लग सकते हैंः इसके अलावा एंथ्रोकोनाज और सरकोस्पोरा लीफ स्पॉट ये दो तरह की बीमारी है. एंथ्रोकोनाज में आप देखेगे की पत्तियाँ जो हैं वो भूरे रंग की हो जाती है. बीमारी लगने पर बीच का भाग जो होता है वो हल्का भूरे रंग का सफेद रंग का हो जाता है. इसके कंट्रोल के लिए कारबेंडाजिम नामक दवा दो ग्राम प्रति लीटरर की दर सेअगर छिड़काव करते हैं तो इससे अपने फ़सल को बचा सकते हैं.

Last Updated : Sep 15, 2022, 3:54 PM IST

For All Latest Updates

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.