शहडोल। जिले के पुलिस विभाग में पदस्थ 7 पुलिसकर्मियों ने बुधवार को अचानक इस्तीफा दे दिया. इन जवानों को शिक्षक के रूप में दूसरी सरकारी नौकरी मिल गई है, जिसकी वजह से उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इसमें एक पुलिस आरक्षक ऐसा भी है जो कि संविदा वर्ग तीन की 10 साल की नौकरी करने के बाद वहां से इस्तीफा देकर पुलिस में आया था. इसके बाद फिर से इसने पुलिस विभाग को छोड़ शिक्षा विभाग को चुना.
7 पुलिसकर्मियों का इस्तीफा: शहडोल जिले के एसपी कुमार प्रतीक ने बताया कि ''7 जवानों ने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया है. इनकी नियुक्ति शिक्षा विभाग में हुई है, आवेदन मिलने के बाद नियम के मुताबिक आगे की कार्रवाई की जा रही है.'' बता दें कि बुधवार को मध्य प्रदेश में कई शिक्षकों को जॉइनिंग लेटर मिला है, जिसमें शहडोल के भी 7 पुलिसकर्मियों को शिक्षा विभाग में नौकरी मिल गई है. शिक्षक की नौकरी मिलते ही उन्होंने पुलिस की नौकरी से इस्तीफा भी सौंप दिया है.
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पुलिस की नौकरी पर शिक्षक की नौकरी भारी: जिन पुलिसकर्मियों की नौकरी शिक्षा विभाग में लगी है, उन्होंने पुलिस की नौकरी से इस्तीफा देने की वजह वेतन को बताया है. जवानों का कहना है कि पुलिस आरक्षक का वेतन ग्रेड पे अभी भी 1900 रुपए है, जबकि शिक्षक वर्ग 3 का ग्रेड पे 2400 रुपए है. इस लिहाज से पुलिस की नौकरी से कहीं ज्यादा वेतन तो शिक्षकों को मिल रहा है. साथ ही शिक्षक की नौकरी में सप्ताह में केवल जब स्कूल खुलते हैं तभी स्कूल जाना होता है. रविवार को छुट्टी, त्योहार में छुट्टी होती है. पुलिसकर्मियों का कहना है कि शिक्षक की नौकरी में उन्हें पुलिस की नौकरी के अपेक्षा ज्यादा आराम, सुकून, शांति और घर के लिए समय भी है. जबकि पुलिस की नौकरी में ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. इसी वजह से उन्होंने पुलिस की जगह पर शिक्षक की नौकरी को पसंद किया है.
शिक्षक से पुलिस बन फिर बने शिक्षक: जिन 7 पुलिसकर्मियों ने इस्तीफा सौंपा है उनमें से एक पुलिसकर्मी तो ऐसा भी है जिसने इससे पहले भी संविदा वर्ग 3 की 10 साल तक नौकरी की थी. इसके बाद इसने शिक्षा विभाग से इस्तीफा देकर पुलिस विभाग को ज्वाइन किया था. उसने 10 साल तक पुलिस विभाग में भी सेवाएं दी, इसके बाद एक बार फिर उसने शिक्षा विभाग को चुना और इसके लिए उसने बुधवार को पुलिस विभाग से इस्तीफा दे दिया है. जिस तरह से शिक्षक की नौकरी मिलते ही पुलिसकर्मियों ने इस्तीफा सौंपा है. इस बारे में अब जिम्मेदार जनप्रतिनिधि, प्रशासन नेता को सोचना चाहिए कि आखिर पुलिस की नौकरी से लोगों का मोह क्यों भंग हो रहा है.