शहडोल। इंसान में अगर कुछ करने का जज्बा हो और मन में ठान लिया है तो फिर उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता. 10 साल पहले शहडोल जिले के बीए पास युवक ने ज़िद ठीनी थी खेती से सफल होकर लखपति बनने की, और आज वह अन्य किसानों के लिए रोल मॉडल बन गया है. ये कहानी है शहडोल जिले के सिंदुरी गांव के रहने वाले किसान खूबचंद पटेल की. खूबचंद पटेल शहडोल जिले के बड़े किसानों में से एक हैं. जिन्होंने अपनी ज़िद और कठोर परिश्रम के दम पर खेती को लाभ का धंधा बना दिया. खूबचंद पटेल आज शहडोल संभाग के आधुनिक किसानों में गिने जाते हैं. वह हर तरह की सब्जियां उगाते हैं. इसके अलावा धान की फसल भी लगाते हैं. खूबचंद पटेल का पूरा फोकस खेती पर है. उन्होंने कई और लोगों को रोजगार दिया है. Benefits of modern farming
अन्य किसानों से ली सीख : अपने पुराने दिनों को याद करते हुए खूबचंद पटेल बताते हैं कि उनके दादाजी व पिताजी सभी पुरानी पद्धति से खेती करते थे. वे सिर्फ धान लगाते थे. पानी की व्यवस्था हो गई तो गेहूं की फसल भी लगा लेते थे. फायदा हुआ तो ठीक, नहीं हुआ तो भी ठीक. सालभर के खाने का इंतजाम हो जाता था, लेकिन उन्हें यह बिल्कुल पसंद नहीं था. खूबचंद पटेल ने बीए तक पढ़ाई की है. पढ़ाई के बाद उन्हें नौकरी नहीं मिली तो उन्होंने सोचा कि क्यों ना खेती को ही अपना करियर बनाया जाए. किसान खूबचंद पटेल बताते हैं कि वह अन्य राज्यों में खेती किसानी से जुड़े प्रशिक्षण में जाते थे. वहां देखा कि लोग नई तकनीक अपनाकर खेती को लाभ धंधा बना रहे हैं. खेती से ही लाखों रुपए कमा रहे हैं तो उन्होंने भी मन बना लिया कि खेती ही करेंगे. Farmer Khubchand Patel
लीज की जमीन से शुरुआत : खूबचंद बताते हैं कि उनके पास जमीन तो थी लेकिन टुकड़े-टुकड़े में थी. इसके लिए उन्होंने लीज की जमीन को ठेके पर लिया. कल्याणपुर में जमीन मिली. यहां खेती की शुरुआत की. 2014 से उन्होंने इस तरह की खेती की शुरुआत की थी, और आज 2023 खत्म होने को है. 2014 से 2023 के बीच में उन्होंने बहुत कुछ सीखा है. लगभग 20 एकड़ रकबा उन्होंने लीज पर ले रखा है. यहां वह सब्जी की खेती करते हैं. उनका कहना है कि वैसे तो वह सीजनली सब्जियां लगाते हैं, लेकिन गैर सीजनल सब्जियां भी लगाते हैं, हालांकि उसमें रिस्क बहुत होता है, लेकिन अगर अच्छी फसल हो गई और क़िस्मत ने साथ दिया तो फायदा भी मिलता है. इन सब्जियों में आलू, गोभी, मटर, सेमी, टमाटर, मिर्ची, बरबटी के अलावा जो खाली जगह बची हुई है वहां केले के भी पौधे लगा रखे हैं, उससे भी आमदनी होती है.
सालभर में 3 से 4 लाख का लाभ : वह बताते हैं कि सब्जी के साथ ही वह धान की खेती भी करते हैं. 5 एकड़ जमीन पर वह धान की खेती प्रमुखता के साथ करते हैं. खूबचंद पटेल बताते हैं कि वह सालभर में 9 से 10 लाख रुपए की सब्जी बेच लेते हैं लेकिन इसमें लागत भी लगती है बीज महंगे आते हैं, दवाइयां महंगी आती हैं, खेतों पर काम करने वाले कर्मचारियों को भी पैसे देने पड़ते हैं. साथ ही लीज का भी पैसा देना पड़ता है तो यह सब काटकर के वह सालभर में तीन से चार लाख रुपये कमा लेते हैं. किसान काफी रिस्की काम भी करता है क्योंकि कभी-कभी नुकसान भी लग जाता है, उसकी भरपाई भी तो किसान को ही करनी पड़ती है. मान लीजिए गोभी की फसल लगाई और मौसम खराब हो गया तो कलर उसका लाल पीला हो जाता है. Benefits of vegetable farming
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ऐसे बढ़ सकती है किसान की आय : अपने अनुभव को बताते हुए किसान खूबचंद पटेल बताते हैं कि किसान की आय बढ़ सकती है बशर्ते सरकार अगर थोड़ा सा ध्यान दे. अगर धान, गेहूं की तरह सब्जियों के फसल की भी रेट तय कर दिए जाएं तो किसान फायदे में रहेंगे. अगर यह भी नहीं कर सकते तो कम से कम परिवहन की व्यवस्था बना दें. अगर व्यवस्था हो जाएगी तो सब्जियों को बाहर परिवहन किया जा सकता है तो उसके दाम भी अच्छे मिल सकते हैं. मंडियों में बिचौलिए किसानों से औने पौने दाम पर फसल ले लेते हैं और फिर उसे महंगे दामों पर बेचते हैं. Benefits of vegetable farming