शहडोल। दिसंबर के इसी महीने से पौष (पूस) के महीने की शुरुआत होने जा रही है. साथ ही 16 दिसंबर से खरमास (Kharmas 2022 Start Date) भी लगने जा रहा है और खरमास में विवाह आदि जैसे शुभ कार्यों पर एक बार फिर से ब्रेक लग जाएगा. खरमास के महीने की शुरुआत के साथ ही किस तरह के कार्यों पर ब्रेक लगेगा, कब से फिर से विवाह आदि के कार्यक्रम शुरू होंगे, खरमास में क्यों किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं किए जाते, जानिए ज्योतिषाचार्य पंडित सूर्यकांत शुक्ला (Astrologer Pandit Suryakant Shukla) से.
16 दिसंबर से खरमास की शुरुआत: ज्योतिष आचार्य पंडित सूर्यकांत शुक्ला के मुताबिक, गुरुवार 8 दिसम्बर को स्नान दान पूर्णिमा के बाद पौष (पूस) माह की शुरुआत हो जाएगी. पौष मास को विशेषकर सूर्य का माह माना जाता है, पौष में सूर्य देवता की विशेष प्रकार से आराधना और पूजा की जाती है. सभी देवताओं को प्रसन्न किया जाता है पौष मास में ऐसी मान्यता है कि पौष के प्रवेश से ही शुभ कार्य जैसे विवाह इत्यादि के काम नहीं किए जाते हैं और क्षेत्रीय मान्यता के आधार पर आपको बताएं तो पौष माह में विवाह मे किसी के घर नहीं जाया जाता. इसी महीने के 15 तारीख को खरमास का स्पर्श होगा और 16 तारीख से ये मान्य होगा, यह मकर संक्रांति तक प्रभावशील रहेगा.
Aaj Ka Panchang 8 December: आज क्या कहते है आपके सितारें? जानिए दिन और रात की चौघड़िया
खरमास में ये कार्य पुरी तरह से वर्जित: पौष माह में बहुत ही आवश्यक हुआ, परिस्थिति ऐसी निर्मित हुई तो कुछ लोग शादी ब्याह कर भी लेते हैं लेकिन खरमास में तो बिल्कुल भी नहीं होता है. ज्योतिषाचार्य के मुताबिक खरमास में शुभ कार्य विवाह आदि के कार्य पूरी तरह से वर्जित होते हैं, तिलकोत्सव, विवाह उत्सव, गृह प्रवेश, नवीन किसी प्रकार का कोई कार्य, नींव खोदना आदि पूर्णतह वर्जित रहेंगे.
मकर संक्रांति से शुभ कार्यों की होगी शुरुआत: ज्योतिष आचार्य सूर्यकांत शुक्ला बताते हैं कि जैसे ही मकर संक्रांति आएगी उसके साथ ही सारे शुभ मुहूर्त फिर से प्रारंभ हो जाएंगे. जिसमें आप गृह प्रवेश विवाह इत्यादि कर सकते हैं. होलाष्टक के महीने को छोड़कर माघ, फाल्गुन, चैत, वैशाख, जेष्ठ के महीने में और साल के देव शयनी एकादशी के पूर्व तक चलते रहेंगे.
खरमास में इसलिए वर्जित होते हैं शुभ कार्य: खरमास में आखिर शुभ कार्य क्यों वर्जित होते हैं, इसे लेकर ज्योतिषाचार्य सूर्यकांत शुक्ला कहते हैं कि खरमास (Significance of Surya Puja in Kharmas) में ऐसा मानना है की सूर्य देवता प्रधान होते हैं और सूर्य देवता की प्रधानता के कारण लोग सूर्य की आराधना करते हैं. धर्म शास्त्र कहते हैं कि उस समय देव आराधना का समय होता है इसलिए इन सारे कार्यों को छोड़ कर के देव आराधना में लगना चाहिए.