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आदिवासी लैंड में खिलेगा 'कमल' या 'पंजे' की पकड़ होगी मजबूत, किसे शिखर पर ले जायेगी शहडोल की जनता

शहडोल संसदीय क्षेत्र में पहले कांग्रेस का दबदबा माना जाता था, लेकिन अब यहां बीजेपी की जड़ें मजबूत दिख रही हैं. 1957 के पहले चुनाव से लेकर 2014 तक यहां बीजेपी-कांग्रेस के अलावा किसी और दल का दखल नहीं रहा. यहां अब तक सात बार कांग्रेस जीती है, जबकि पांच बार बीजेपी ने आदिवासी लैंड में भगवा फहराया है.

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Published : Apr 28, 2019, 7:25 PM IST

हिमाद्री सिंह, प्रमिला सिंह

शहडोल। अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित शहडोल लोकसभा सीट विंध्य अंचल की अहम सीटों में से एक है. जहां इस बार बीजेपी-कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर है. दोनों दलों ने यहां महिला सेनापतियों पर दांव लगाया है. खास बात ये है कि इसके पहले ये दोनों प्रत्याशी अपनी विरोधी पार्टियों का नेतृत्व कर रहीं थी, जबकि चुनाव में उसी पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रही हैं. बीजेपी प्रत्याशी हिमाद्री सिंह कांगेस के टिकट पर लोकसभा उपचुनाव लड़ चुकी हैं तो कांग्रेस प्रत्याशी प्रमिला सिंह बीजेपी विधायक रह चुकी हैं.

आदिवासी लैंड में खिलेगा 'कमल' या 'पंजे' की पकड़ होगी मजबूत

शहडोल संसदीय क्षेत्र में पहले कांग्रेस का दबदबा माना जाता था, लेकिन अब यहां बीजेपी की जड़ें मजबूत दिख रही हैं. 1957 के पहले चुनाव से लेकर 2014 तक यहां बीजेपी-कांग्रेस के अलावा किसी और दल का दखल नहीं रहा. यहां अब तक सात बार कांग्रेस जीती है, जबकि पांच बार बीजेपी ने आदिवासी लैंड में भगवा फहराया है.

2014 के चुनाव में बीजेपी के दलपत परस्ते ने कांग्रेस की राजेश नंदिनी सिंह को हराया था. परस्ते के निधन के बाद 2016 में हुए उपचुनाव में भी बीजेपी के ज्ञान सिंह ने कांग्रेस की हिमाद्री सिंह को हराया था, लेकिन इस बार बीजेपी ने अपने वर्तमान सांसद ज्ञान सिंह का टिकट काटकर कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुई हिमाद्री सिंह पर दांव लगाया है. हालांकि, 2016 में ही 59 वर्ष की उम्र में हार्ट अटैक से राजेश नंदिनी की भी मौत हो गयी थी.

शहडोल संसदीय सीट के कुल 16 लाख 46 हजार 230 मतदाता इस बार मतदान करेंगे. जिनमें 8 लाख 43 हजार 476 पुरूष मतदाता, जबकि 8 लाख 2 हजार 732 महिला मतदाता शामिल हैं. अन्य मतदाताओं की संख्या 22 है. यहां कुल 2187 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. जिनमें कई मतदान केंद्र क्रिटिकल हैं, निर्वाचन अधिकारियों का कहना है कि क्षेत्र में शांतिपूर्ण मतदान कराया जाएगा.

शहडोल क्षेत्र में जयसिंहनगर, मानपुर, जैतपुर, अनूपपुर, पुष्पराजगढ़, बड़वारा और कोतमा विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. जिनमें चार-चार सीटों पर बीजेपी-कांग्रेस काबिज हैं. विधानसभा के नतीजों के आधार पर शहडोल लोकसभा सीट पर बीजेपी-कांग्रेस में मुकाबला बराबरी का दिखाई दे रहा है.

शहडोल में इस बार दोनों ही पार्टियां गुटबाजी से परेशान हैं. बीजेपी में ज्ञान सिंह टिकट कटने से नाराज हैं तो कांग्रेस में भी कई नेता पार्टी की टेंशन बढ़ा रहे हैं. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि शहडोल की जनता इस बार हिमाद्री-प्रमिला में से किसे अपना सांसद चुनती है.

शहडोल। अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित शहडोल लोकसभा सीट विंध्य अंचल की अहम सीटों में से एक है. जहां इस बार बीजेपी-कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर है. दोनों दलों ने यहां महिला सेनापतियों पर दांव लगाया है. खास बात ये है कि इसके पहले ये दोनों प्रत्याशी अपनी विरोधी पार्टियों का नेतृत्व कर रहीं थी, जबकि चुनाव में उसी पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रही हैं. बीजेपी प्रत्याशी हिमाद्री सिंह कांगेस के टिकट पर लोकसभा उपचुनाव लड़ चुकी हैं तो कांग्रेस प्रत्याशी प्रमिला सिंह बीजेपी विधायक रह चुकी हैं.

आदिवासी लैंड में खिलेगा 'कमल' या 'पंजे' की पकड़ होगी मजबूत

शहडोल संसदीय क्षेत्र में पहले कांग्रेस का दबदबा माना जाता था, लेकिन अब यहां बीजेपी की जड़ें मजबूत दिख रही हैं. 1957 के पहले चुनाव से लेकर 2014 तक यहां बीजेपी-कांग्रेस के अलावा किसी और दल का दखल नहीं रहा. यहां अब तक सात बार कांग्रेस जीती है, जबकि पांच बार बीजेपी ने आदिवासी लैंड में भगवा फहराया है.

2014 के चुनाव में बीजेपी के दलपत परस्ते ने कांग्रेस की राजेश नंदिनी सिंह को हराया था. परस्ते के निधन के बाद 2016 में हुए उपचुनाव में भी बीजेपी के ज्ञान सिंह ने कांग्रेस की हिमाद्री सिंह को हराया था, लेकिन इस बार बीजेपी ने अपने वर्तमान सांसद ज्ञान सिंह का टिकट काटकर कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुई हिमाद्री सिंह पर दांव लगाया है. हालांकि, 2016 में ही 59 वर्ष की उम्र में हार्ट अटैक से राजेश नंदिनी की भी मौत हो गयी थी.

शहडोल संसदीय सीट के कुल 16 लाख 46 हजार 230 मतदाता इस बार मतदान करेंगे. जिनमें 8 लाख 43 हजार 476 पुरूष मतदाता, जबकि 8 लाख 2 हजार 732 महिला मतदाता शामिल हैं. अन्य मतदाताओं की संख्या 22 है. यहां कुल 2187 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. जिनमें कई मतदान केंद्र क्रिटिकल हैं, निर्वाचन अधिकारियों का कहना है कि क्षेत्र में शांतिपूर्ण मतदान कराया जाएगा.

शहडोल क्षेत्र में जयसिंहनगर, मानपुर, जैतपुर, अनूपपुर, पुष्पराजगढ़, बड़वारा और कोतमा विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. जिनमें चार-चार सीटों पर बीजेपी-कांग्रेस काबिज हैं. विधानसभा के नतीजों के आधार पर शहडोल लोकसभा सीट पर बीजेपी-कांग्रेस में मुकाबला बराबरी का दिखाई दे रहा है.

शहडोल में इस बार दोनों ही पार्टियां गुटबाजी से परेशान हैं. बीजेपी में ज्ञान सिंह टिकट कटने से नाराज हैं तो कांग्रेस में भी कई नेता पार्टी की टेंशन बढ़ा रहे हैं. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि शहडोल की जनता इस बार हिमाद्री-प्रमिला में से किसे अपना सांसद चुनती है.

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