शहडोल। शहडोल जिले के बरेली गांव का राजू उर्फ रावेंद्र गुप्ता पिछले 13 सालों से लाहौर जेल में बंद था. भारत सरकार की पहल पर 4 जनवरी को रिहाई के बाद अपने परिजनों के पास पहुंचा. लेकिन पाकिस्तान की जेल में बंद रहने के दौरान उसे इतनी प्रताड़ना दी गई कि उसकी मानसिक स्थिति अभी ठीक नहीं है. वो कुछ भी सही बता पाने में असमर्थ हैं. उसके परिजनों ने बताया कि नौकरी की तलाश में राजू घर से गया था. अब जब घर आया तो किसी को ठीक से पहचान नहीं पा रहा. हालांकि प्रताड़ना के जो किस्से उसने सुनाए थे उसके निशान शरीर पर जरुर मौजूद हैं.
पाक जेल में राजू को देते थे थर्ड डिग्री टॉर्चर
राजू जब से अपने घर पहुंचा है उसके रिश्तेदार, दोस्त, गांव के लोग सभी उससे मिलने पहुंच रहे हैं. हालांकि राजू अभी अपने बरेली गांव नहीं पहुंचा है. शहडोल जिला मुख्यालय में ही अपने रिश्तेदार के एक घर में रुका हुआ है. जानकारी के मुताबिक पाक जेल में राजू को थर्ड डिग्री टॉर्चर दिया जाता था. पाकिस्तानी पुलिस उसके साथ लगातार मारपीट करती थी. इसकी वजह से राजू की मानसिक हालत बिगड़ चुकी है और कुछ भी सही से नहीं बता पा रहा है. एक सवाल का जो जवाब राजू देता है, दूसरी बार वही सवाल करने पर उसका जवाब बदल जाता है.
राजू की मानसिक स्थिति ठीक नहीं
राजू के छोटे भाई सतीश गुप्ता ने बताया कि उनकी मां ने राजू के शरीर पर दो निशान बताए थे और वह दोनों ही निशान राजू के शरीर पर हैं. एक तो उनके कान छोटे-छोटे हैं साथ ही पीठ में एक दाग था और वह दोनों पहचान उनके शरीर पर हैं. राजू को लेकर उनके भाई सतीश गुप्ता कहते हैं कि वह किसी को नहीं पहचान पा रहे. इस वजह से वो कभी कुछ बताते हैं तो कभी उससे ठीक अलग बात करते हैं.
कैसे पहुंचा था पाकिस्तान पता नहीं
शहडोल जिले के गोहपारु थाना क्षेत्र के बरेली गांव का रहने वाला 30 वर्षीय राजू गुप्ता 13 वर्ष पहले रोजगार की तलाश में सूरत और मुंबई में भटक रहा था. वह कब और कैसे पाकिस्तान चला गया, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है. वहां पर उसे गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया. काफी समय तक परिजनों ने उसकी छानबीन की, लेकिन राजू का पता नहीं चला पाया. कई साल बीत जाने के बाद परिजनों को राजू के पाकिस्तानी जेल में बंद होने की सूचना मिली.
ऐसे मिली थी राजू की जानकारी
राजू के छोटे भाई सतीश गुप्ता ने बताया कि साल 2014 में सरपंच के पास एक चिट्ठी आई थी जांच के लिए. लेकिन उन्होंने मना कर दिया था कि राजू नाम का कोई लड़का उनके गांव में है. उसके बाद जब इसकी जानकारी उनके छोटे भाई सतीश गुप्ता को लगी तो उन्होंने इसकी जानकारी अपने बड़े भाई साहब को दी कि सरपंच ने ऐसा कहा है. जांच में जो तथ्य सामने आए हैं उसके मुताबिक राजू का पिता संतोष नाम का व्यक्ति है. गांव पता सब कुछ शहडोल का दिया गया है. इसके परिजन पुलिस के पास गए. इसके बाद कार्रवाई चलती रही. अचानक से साल 2020 में फिर से एक कागज आया. हमसे फिर से साहब लोगों ने शपथ पत्र आदि मांगे, तो हमने दिया. नतीजा 4 जनवरी को राजू रिहा हो गया.
2002 में चला गया था राजू
राजू जिसके बारे में उनके परिजनों ने बताया कि साल 2002 में अचानक से राजू घर से चला गया था. इससे पहले भी राजू कई बार घर से भागा था. सूरत गया था और कपड़े का काम करता था. बीच-बीच में घर भी आ जाता था लेकिन जब साल 2002 में अचानक से गया तो उसके बाद से नहीं लौटा. घर वालों ने काफी ढूंढने का प्रयास किया. जिनके साथ वो जाता था उनसे भी पूछा लेकिन राजू उर्फ रावेंद्र गुप्ता का कुछ भी पता नहीं चला. जिसके बाद उसके घर वालों ने भी उम्मीद छोड़ दी थी. अचानक जब साल 2014 में चिट्ठी आई, उसके बाद से यह पता चला कि राजू पाकिस्तान के जेल में बंद है और फिर उनके घरवालों को उसके मिलने की एक उम्मीद जागी. कई साल बाद साल 2020 में जब एक बार फिर से चिट्ठी आई तब फिर से उसके मिलने की उम्मीद पुख्ता हुई और साल 2021 में आखिर वह वक्त आ ही गया जब राजू करीब 13 साल पाकिस्तान के जेल में बिताने के बाद घर वापस आया.
राजू से डीएसपी भी मिलने पहुंचे
राजू के शहडोल वापस आ जाने के बाद उससे मिलने के लिए डीएसपी हेडक्वार्टर से व्हीडी पांडे, सोहागपुर थाना प्रभारी भी पहुंचे और राजू का स्वागत माला पहना कर किया. कैदियों की अदला-बदली को लेकर हुए समझौते के बाद पाकिस्तान की जेल से मध्यप्रदेश के शहडोल जिले का रहने वाला 30 वर्षीय राजू को रिहा किया गया है. अंतराष्ट्रीय अटारी सीमा से होते हुए उसे भारत अपने वतन वापस लाया गया.