शहडोल। हल्की बारिश भी शहर के लिए मुसीबत बन जाती है और पोंडा नाला रेलवे अंडर पास से गुजरने वाले यात्रियों के लिए आफत बन जाती है. हालात ऐसे बन जाते हैं कि जैसे बाढ़ आ गई हो. अंडर पास पानी से लबालब भर जाता है. अगर यात्रियों को इसे पार करना हो तो सिर्फ दो ही रास्ते बचते हैं. एक तो जान हथेली पर लेकर पानी के बीच से निकलें या फिर टेंपररी रास्ता अख्तियार करें. जो और भी खतरनाक है क्योंकि रेलवे पटरी को पार करना होता है.
अंडर पास के साइड से सीढ़ियां लगी हुई हैं. बारिश के मौसम में यात्री इन सीढ़ियों के जरिए रेलवे पटरी को क्रॉस करते हुए इस पार से उस पार जाते हैं, ऐसे में कोई ट्रेन आ जाए तो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है, लेकिन शासन-प्रशासन का ध्यान इस तरफ नहीं है. खास बात ये है कि पोंडा नाला रेलवे अंडर पास शहडोल को छत्तीसगढ़, नागपुर, मंडला, डिंडौरी और जबलपुर से जोड़ता है. बावजूद इस मार्ग की ये दशा है. इससे शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली का अंदाजा लगाया जा सकता है.
यात्री जान हथेली पर लेकर इस अंडर पास को पार करते हैं, कभी बाइक बीच मझधार में बंद हो जाती है, किसी का एक्सीडेंट हो जाता है. कभी-कभार तो एंबुलेंस तक को पानी का स्तर कम होने तक घंटों इंतजार करना पड़ता है. अगर इस समय कोई इमरजेंसी हो तो भगवान ही मालिक है.
स्थानीय लोग प्रशासन से गुहार लगाते-लगाते थक गए हैं. कई पीढ़ियां गुजर गईं, लेकिन समस्या का हल नहीं निकला, थक हारकर लोग इस अंडर पास को पोंडा नाला कहने लगे, जबकि वास्तविता ये है कि यहां कोई नाला नहीं है. सिर्फ एक रेलवे अंडर पास है. लेकिन बरसात में यहां के मंजर को देखते हुए लोग इसे स्थानीय भाषा में पोंडा नाला कहने लगे हैं. सोचा होगा कि प्रशासन पर इसका कोई असर पड़ेगा, लेकिन प्रशासन दो कदम आगे निकल गया और इसका नामकरण ही पोंडा नाला रेलवे अंडर पास कर अपना पल्ला झाड़ लिया.