शहडोल। ठंड का समय चल रहा है और इन दिनों कड़ाके की ठंड पड़ रही है. या यूं कहें की हाड़ कंपाने वाली ठंड पड़ रही है. जैसे ही ठंड का समय आता है, उसके साथ ही लोगों के शरीर में कई परेशानियां भी आने लगती हैं. कुछ लोगों के शरीर में जहां जकड़न आने लगती है, तो कुछ लोगों की हड्डियों में दर्द होने लगता है. कुछ लोगों के पैरों में दर्द होता है, तो कुछ लोगों के जोड़ों में दर्द होता है. इस कड़ाके की ठंड में इन असहनीय दर्द से छुटकारा पाने के लिए आखिर कौन से वो तरीके हैं, जिन्हें आसानी से हम अपने शरीर में अप्लाई कर सकते हैं और दर्द से राहत पा सकते हैं. जानिए आयुर्वेद डॉक्टर अंकित नामदेव से...
ठंड में दर्द से हैं परेशान तो ऐसे मिलेगी राहत: आयुर्वेद डॉक्टर अंकित नामदेव बताते हैं कि शरद ऋतु शीतकाल या ठंड का समय होने की वजह से शरीर के वात दोष को बल देता है और वात दोष के बढ़ने के कारण शरीर में दर्द की अनुभूति होना और जकड़ाहट होना समानतया ठंड के मौसम में ऐसा होता ही है. क्योंकि वात शीतल होता है, रूक्ष होता है, रुक्ष का मतलब ड्राइनेस लाता है. आपने देखा होगा कि ठंड के समय में हाथ पैरों से भी काफी नमी चली जाती है. ड्राइनेस आ जाती है, तो वात दोष के लिए सबसे प्रथम उपक्रम जो आयुर्वेद में वर्णित है, वह है स्नेहन स्वेदन.
स्नेहन का मतलब होता है शरीर में स्नेह गुण को बढ़ाना मतलब तेल की मालिश करना, तो अगर आप नियमित रूप से तेल की मालिश करते हैं. उसके बाद में सिकाई करते हैं, स्वेदन का मतलब होता है सिकाई या किसी भी तरह से शरीर में गर्मी लाना. वैसे स्वेदन आप धूप में बैठकर भी कर सकते हैं. उसमें भी शरीर में गर्मी आती है, तो सबसे बेस्ट तरीका यह है कि कोई भी अच्छा वात शामक तेल किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक के मार्गदर्शन में आप लेकर जिस भी अंग में समस्या है, उसमें मालिश करके आप धूप में सिकाई करें, तो उस वात रोग में भी आराम मिलेगा. दर्द में भी आराम मिलेगा. बीमारी और ज्यादा बढ़ नहीं पाएगी.
ठंड में सिकाई सबसे अच्छा रास्ता: उदाहरण के लिए गठिया हो गया संधि वात हो, जितने भी वात रोग होते हैं, सवेरे जकड़ाहट हो गई, शरीर में सुबह उठने के साथ ही कमर या घुटने में जकड़ाहट होना मतलब चट चट की आवाज आना होता है. यह सारी चीजों का सबसे प्रथम उपक्रम ही स्नेहन स्वेदन होता है. किसी भी अच्छे आयुर्वेद चिकित्सक से आप सलाह लेकर वात शामक तेल से अभ्यंग करें, मतलब मालिश करें और उसके बाद में सिकाई करें. अगर रात को सिकाई करना है तो आप हॉट वॉटर बैग का भी सहारा ले सकते हैं. उससे भी सिकाई कर सकते हैं. आग के बाजू में बैठकर भी सिकाई कर सकते हैं, रेत की पोटली बनाकर भी सिकाई कर सकते हैं. तमाम तरीके हैं, बस शरीर में किसी भी तरह से उष्मता की वृद्धि करना होता है.
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ठंड में क्या करें परहेज ठंड के मौसम में परहेज: की विशेष आवश्यकता नहीं होती है, क्योंकि ठंड के मौसम में अग्नि प्राकृत रूप से प्रबल होती है. जब अग्नि प्रबल होती है, तो वह अन्न का पाचन करने में समर्थ होता है. फिर भी रोग अनुसार परहेज जैसा कि चिकित्सक बोलते हैं, वैसा करना चाहिए. जैसे कि जो स्थौल्य रोग से पीड़ित हैं, जो मोटापे से पीड़ित हैं और उनके साथ में घुटने या कमर की समस्या है. उनको थोड़ा दूध से बने हुए पदार्थ कम खाने चाहिए, वैसे भी अगर वात रोग है तो आपको मधुर रस तो लेना है, लेकिन अगर संसर्जक रोग है, कफ वातज रोग है, तो आपके लिए सबसे बेहतर होता है तिक्त रस लेना मतलब कड़वा रस लेना. आम बोलचाल में बोलें तो जैसे मेथी का सेवन करते हैं. लोग रात को मेथी के दाने एक चम्मच फुला देते हैं, सवेरे खाली पेट खाते हैं, तो उससे काफी फायदा होता है. ठंड का मौसम मदर नेचर प्रकृति हमें सबसे ज्यादा फल फूल सब्जियां प्रदान करती है, तो अपने स्वास्थ्य को देखते हुए चयनित सब्जियों का भरपूर सेवन करें. जिससे आप हमेशा स्वस्थ्य रहेंगे.