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महंगाई की मार, आम जनता पर प्रहार, कुछ रहम करो सरकार

प्रदेश भर में पेट्रोल और डीजल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं, जिससे जनता बेहद परेशान है. इसको लेकर अब लोगों का यही कहना है कि कुछ तो राहत दो सरकार. बहुत हो गई महंगाई की मार. पढ़िए पूरी खबर..

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महंगाई की मार
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Published : Feb 26, 2021, 10:16 PM IST

शहडोल। इन दिनों पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के बढ़ते दाम सुर्खियों में है. इसके चलते आम लोगों को महंगाई की मार झेलनी पड़ रही है. जिले में भी नॉर्मल पेट्रोल की कीमत 100 के पार हो चुकी है. डीजल भी 91 रुपए से ऊपर बिक रहा है. घरेलू गैस की कीमत भी लगभग 800 रुपए के पार पहुंच चुकी है. ऐसे में जनता त्रस्त है.

पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने से आम लोगों की मूलभूत जरूरतें भी महंगी हो गई है. फिर चाहे किराना सामान की बात करें या फिर खाने की तेल की. इसको लेकर अब लोगों का यही कहना है कि कुछ तो राहत दो सरकार. बहुत हो गई महंगाई की मार.

पेट्रोल-डीजल, गैस के बढ़ते दाम से मचा हाहाकार
पेट्रोल और डीजल के दाम जिस तरह से बढ़ रहे हैं, उसके बाद से आम जनता के बीच हाहाकार मचा हुआ है. विपक्षी पार्टियां महंगाई को लेकर प्रदर्शन कर रही हैं, तो आम जनता इस महंगाई को लेकर त्रस्त है.

जिलेवासियों का साफ कहना है कि कोरोना काल के दौरान आर्थिक मार झेले और अब महंगाई की मार झेल रहे हैं. अब सरकार से गुहार लगा रहे है कि इस महंगाई पर कुछ अंकुश लगाया जाए, क्योंकि इस महंगाई की मार में अब घर चलाना मुश्किल हो रहा है.

महंगाई की मार
पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से बढ़ गई महंगाईअभिषेक गुप्ता एक छोटा सा किराना दुकान चलाते हैं. उसी से उनका घर चलता है. अभिषेक गुप्ता कहते हैं कि पेट्रोल और डीजल के दाम जिस तरह से बढ़े हैं, उसी की वजह से आम आदमी की मूलभूत सुविधाओं के दाम भी बढ़े है.

उनका कहना है कि महंगाई की मार तो आप देख ही रहे हैं. इसे देखकर यही लगता है कि इससे कभी उबर ही नहीं पाएंगे. उनका ये भी कहना है कि खाने वाला तेल 150 से 160 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है. लहसुन 120 रुपये किलो बिक रहा है. प्याज 50 रुपये किलो बिक रहा है. शक्कर 40 रुपये किलो बिक रहा है. जीरा 200 रुपये किलो, दाल 110 रुपये किलो तक बिक रहा है.

100 का तेल डलाऊंगा, तो घर कैसे चलाउंगा
हरिवंश गोपाल गुप्ता गन्ने का ठेला लगाते हैं. हरिवंश गोपाल गुप्ता कहते हैं कि 100 रुपये का पेट्रोल डलाकर अगर मैं गाड़ी चलाऊंगा, तो फिर घर कैसे चलाऊंगा. दिन भर में 150 से 200 रुपये कमा पाता हूं. ऐसे में उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

किसानों के लिए तो आफत ही आफत
पेट्रोल के साथ-साथ डीजल के दाम भी लगातार बढ़ रहे हैं. आलम यह है कि दाम बढ़ने का असर किसानों पर भी पड़ने लगा है, क्योंकि अभी रबी सीजन की खेती चल रही है. इस दौरान पेट्रोल और डीजल की जरूरत होती है. वहीं किसान संतोष शर्मा कहते हैं कि वह बहुत परेशान है. पेट्रोल 100 रुपये और डीजल 91 रुपए के ऊपर पहुंच गया है. इससे उन्हें आर्थिक समस्याओं को सामना करना पड़ रहा है.

बेरोजगारी के साथ महंगाई की मार, यह कैसा अत्याचार ?
अरविंद शर्मा कहते हैं कि आज देश में जो स्थिति हम युवाओं की है, वह बेहद खराब है. गवर्नमेंट जॉब मिल नहीं रही है. किसी कदर युवा कहीं न कहीं प्राइवेट जॉब कर घर चला रहे है. सरकार चाह रही है कि हम बिना पैसे के दिन काटें. मैं अपील करता हूं कि तेल का रेट कम करें, ताकि मिडिल क्लास फैमिली सही ढंग से चल सकें.

सरकार मस्त, जनता त्रस्त
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अजय अवस्थी कहते हैं कि जब मनमोहन सिंह की सरकार थी, तो यही पेट्रोल के दाम 70 रुपये के लगभग थे. डीजल के दाम लगभग 60 रुपये थे. तब यही बीजेपी के नेता बाहर निकल-निकलकर प्रदर्शन कर रहे थे. आज इनके कार्यकाल में जब पेट्रोल और डीजल के दाम इस कदर बढ़ गए हैं, तो अब यह बोलने की स्थिति में नहीं हैं.

शहडोल। इन दिनों पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के बढ़ते दाम सुर्खियों में है. इसके चलते आम लोगों को महंगाई की मार झेलनी पड़ रही है. जिले में भी नॉर्मल पेट्रोल की कीमत 100 के पार हो चुकी है. डीजल भी 91 रुपए से ऊपर बिक रहा है. घरेलू गैस की कीमत भी लगभग 800 रुपए के पार पहुंच चुकी है. ऐसे में जनता त्रस्त है.

पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने से आम लोगों की मूलभूत जरूरतें भी महंगी हो गई है. फिर चाहे किराना सामान की बात करें या फिर खाने की तेल की. इसको लेकर अब लोगों का यही कहना है कि कुछ तो राहत दो सरकार. बहुत हो गई महंगाई की मार.

पेट्रोल-डीजल, गैस के बढ़ते दाम से मचा हाहाकार
पेट्रोल और डीजल के दाम जिस तरह से बढ़ रहे हैं, उसके बाद से आम जनता के बीच हाहाकार मचा हुआ है. विपक्षी पार्टियां महंगाई को लेकर प्रदर्शन कर रही हैं, तो आम जनता इस महंगाई को लेकर त्रस्त है.

जिलेवासियों का साफ कहना है कि कोरोना काल के दौरान आर्थिक मार झेले और अब महंगाई की मार झेल रहे हैं. अब सरकार से गुहार लगा रहे है कि इस महंगाई पर कुछ अंकुश लगाया जाए, क्योंकि इस महंगाई की मार में अब घर चलाना मुश्किल हो रहा है.

महंगाई की मार
पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से बढ़ गई महंगाईअभिषेक गुप्ता एक छोटा सा किराना दुकान चलाते हैं. उसी से उनका घर चलता है. अभिषेक गुप्ता कहते हैं कि पेट्रोल और डीजल के दाम जिस तरह से बढ़े हैं, उसी की वजह से आम आदमी की मूलभूत सुविधाओं के दाम भी बढ़े है.

उनका कहना है कि महंगाई की मार तो आप देख ही रहे हैं. इसे देखकर यही लगता है कि इससे कभी उबर ही नहीं पाएंगे. उनका ये भी कहना है कि खाने वाला तेल 150 से 160 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है. लहसुन 120 रुपये किलो बिक रहा है. प्याज 50 रुपये किलो बिक रहा है. शक्कर 40 रुपये किलो बिक रहा है. जीरा 200 रुपये किलो, दाल 110 रुपये किलो तक बिक रहा है.

100 का तेल डलाऊंगा, तो घर कैसे चलाउंगा
हरिवंश गोपाल गुप्ता गन्ने का ठेला लगाते हैं. हरिवंश गोपाल गुप्ता कहते हैं कि 100 रुपये का पेट्रोल डलाकर अगर मैं गाड़ी चलाऊंगा, तो फिर घर कैसे चलाऊंगा. दिन भर में 150 से 200 रुपये कमा पाता हूं. ऐसे में उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

किसानों के लिए तो आफत ही आफत
पेट्रोल के साथ-साथ डीजल के दाम भी लगातार बढ़ रहे हैं. आलम यह है कि दाम बढ़ने का असर किसानों पर भी पड़ने लगा है, क्योंकि अभी रबी सीजन की खेती चल रही है. इस दौरान पेट्रोल और डीजल की जरूरत होती है. वहीं किसान संतोष शर्मा कहते हैं कि वह बहुत परेशान है. पेट्रोल 100 रुपये और डीजल 91 रुपए के ऊपर पहुंच गया है. इससे उन्हें आर्थिक समस्याओं को सामना करना पड़ रहा है.

बेरोजगारी के साथ महंगाई की मार, यह कैसा अत्याचार ?
अरविंद शर्मा कहते हैं कि आज देश में जो स्थिति हम युवाओं की है, वह बेहद खराब है. गवर्नमेंट जॉब मिल नहीं रही है. किसी कदर युवा कहीं न कहीं प्राइवेट जॉब कर घर चला रहे है. सरकार चाह रही है कि हम बिना पैसे के दिन काटें. मैं अपील करता हूं कि तेल का रेट कम करें, ताकि मिडिल क्लास फैमिली सही ढंग से चल सकें.

सरकार मस्त, जनता त्रस्त
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अजय अवस्थी कहते हैं कि जब मनमोहन सिंह की सरकार थी, तो यही पेट्रोल के दाम 70 रुपये के लगभग थे. डीजल के दाम लगभग 60 रुपये थे. तब यही बीजेपी के नेता बाहर निकल-निकलकर प्रदर्शन कर रहे थे. आज इनके कार्यकाल में जब पेट्रोल और डीजल के दाम इस कदर बढ़ गए हैं, तो अब यह बोलने की स्थिति में नहीं हैं.

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