शहडोल। प्याज की तेजी के साथ बढ़ती कीमतों ने अब चुनावी संग्राम के बीच सरकार की भी चिंता बढ़ा दी है, कई राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं और चुनावी बिगुल भी बज चुका है. मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को मतदान होने हैं, सभी पार्टियां इस चुनावी संग्राम में कूद पड़ी है, ऐसे में प्याज ने अब ग्राहकों को रुलाना शुरू कर दिया है और प्याज के इस कदर बढ़ते दाम ने सरकार की भी चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि यह इतिहास रहा है कि प्याज के बढ़ते दामों की वजह से सरकारें भी हिल गई हैं.
आंसू निकाल रहा प्याज: खाने में अगर प्याज ना हो तो फिर उसमें स्वाद भी नहीं होता है, नवरात्र खत्म हो चुके हैं. त्यौहार का समय लगातार चल रहा है, ऐसे समय में रसोई की सबसे जरूरी चीज प्याज के दाम में एक हफ्ते में ही इतनी ज्यादा बढ़ोतरी ने ग्राहकों के आंसू निकालने शुरू कर दिए हैं, या यूं कहें कि प्याज अब रुलाना शुरू कर दिया है. प्याज के इन बढ़ते दामों की वजह से आलम यह है कि अब जो लोग 4 से 5 किलो प्याज एक बार में खरीदते थे, अब वह एक से आधे किलो प्याज लेकर जाते हैं.
एक हफ्ते इतना महंगा हो गया प्याज: प्याज के फुटकर व्यापारी मनोज गुप्ता बताते हैं कि खुले बाजार में प्याज की कीमत 1 हफ्ते में ही बहुत ज्यादा बढ़ गई है, 1 किलो प्याज खरीदने के लिए ग्राहकों को 70 से 80 रुपये तक चुकाने पड़ रहे हैं. इतना ही नहीं प्याज के इतने दाम एक हफ्ते में ही बढ़े हैं, एक हफ्ते पहले 35 से 40 रुपये किलो तक प्याज मिल जाती थी. प्याज के फुटकर व्यापारी मनोज गुप्ता कहते हैं, कि "अब ग्राहकों के बीच इसकी डिमांड भी कम हो रही है, जो ग्राहक 4 से 5 किलो प्याज खरीदते थे, अब वह आधे से 1 किलो प्याज खरीद रहे हैं और अभी प्याज के दाम आने वाले समय में और बढ़ सकते हैं, क्योंकि प्याज की आवक अभी कम है."
थोक व्यापारियों से समझिए क्यों बढ़ रहे प्याज के दाम? लखन पांडे शहडोल में आलू और प्याज के थोक विक्रेता हैं और जब इटीवी भारत ने उनसे बात की और जानना चाहा कि आखिर प्याज के दाम इतनी तेजी के साथ क्यों बढ़ रहे हैं, आखिर एक हफ्ते में ऐसा क्या हो गया कि प्याज के दाम ने इतना उछाल मार दिया इसे लेकर वो बताते हैं कि "अभी बाजार में प्याज की मात्रा कम है और नई प्याज की आवक अभी बाजार में हुई नहीं है, जिस कारण से बाजार में तेजी आई है और अभी करीब एक हफ्ते से प्याज में ज्यादा तेजी आ रही है. कुछ स्टॉकिस्ट लोग स्टॉक भी रखे हैं, इसलिए भी बाजार के रेट में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है, माल को रिलीज न करना और जमाखोरी करना भी प्याज के रेट को बढ़ाता है. प्याज का अभी एवरेज रेट चल रहा था 28 रुपए से 30 रुपए प्रति किलो तक, लेकिन पिछले हफ्ते के बाद से अचानक सात आठ रूपए हर दिन बढ़-बढ़ कर प्याज के दाम आंसू निकालने लगे हैं, आज वर्तमान में जबलपुर में प्याज की पोजीशन 55 रुपये किलो है और हम लोग यहां मंगाकर उसे 60 रुपये किलो थोक में बेच रहे हैं. प्याज के दाम बढ़ेंगे जब तक नए प्याज की आवक नहीं होगी, 15 नवंबर तक नया प्याज आ जाना चाहिए."
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शहडोल में यहां से आता है प्याज: आलू प्याज के थोक व्यापारी लखन पांडे बताते हैं कि "शहडोल में प्याज सीहोर, शाजापुर, जबलपुर, सागर, खंडवा और लोकल प्रोडक्शन भी कुछ रहता है जो कि अप्रैल से लेकर जुलाई तक चलती है. बाकी प्याज सब बाहर से आती है, इसके अलावा मध्य प्रदेश में प्याज नासिक, मनमाड़ दो जगह से ज्यादा तादाद में आती है. वैसे तो मध्य प्रदेश में शाजापुर सबसे बड़ा प्याज उत्पादन करने वाला जिला है और यहां पर मध्य प्रदेश सरकार ने भी एक जिला एक उत्पाद के तहत इस जिले को प्याज के लिए चुना है. शाजापुर के प्याज की डिमांड देश ही नहीं विदेशों में भी काफी अच्छी है."
प्याज के दाम बढ़ने की एक वजह ये भी: आखिर प्याज के दाम अचानक इतनी तेजी के साथ क्यों बढ़ रहे हैं, इसकी एक वजह ये भी है कि पिछले 2 सालों से प्याज के दाम बहुत कम थे, या यूं बोलें कि प्याज रुपयों में किलो के भाव बिक रही थी. पिछले एक दो साल से प्याज की खेती करने वाले किसान, प्याज की अच्छी कीमत हासिल नहीं कर पा रहे थे, प्याज की खेती करके ही किसान कुछ साल से परेशान था, क्योंकि आज के समय में खेती करने में लागत भी बहुत ज्यादा लगती है. जब लागत नहीं निकलती तो किसान बुरी तरह से आर्थिक रूप से फंस जाता है, किसानों के बीच भी यह ट्रेंड रहा है कि जिस फसल की खेती में आमदनी ज्यादा नहीं हुई है एक-दो साल के बाद किसानों ने धीरे-धीरे उसकी खेती छोड़ी या फिर उसे बहुत कम मात्रा में कर देते हैं. अब किसान भी घाटा सहकर कोई खेती नहीं करना चाहता है और यही प्याज के साथ भी हो रहा है, पिछले 2 साल से किसान सरकार के सामने ये गुहार लगा रहे हैं कि प्याज की इतनी कम कीमतों की वजह से उनकी लागत भी नहीं निकल पा रही है, इसलिए वो 1, दो रुपए, 10 रुपये, किलो प्याज बेचने को मजबूर हैं.
प्याज के घटते रकबे पर सरकार का ध्यान नहीं:
पहले सरकारों ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया, लेकिन अब धीरे-धीरे किसानों ने प्याज की खेती करना कम कर दी, इसी के चलते इसका असर दिखना शुरु हो गया. एक रिपोर्ट के मुताबिक "किसानों ने भी प्याज की खेती का रकबा घटाया है, पिछले 1 साल में ही देश में प्याज की खेती का रकबा लगभग 2 लाख हेक्टेयर कम हुआ है, जिसका उत्पादन में भी अच्छा खासा असर पड़ा है. लगभग 14 लाख से भी ज्यादा मैट्रिक टन प्याज का उत्पादन कम हो गया है." प्याज के घटते रकबे और उत्पादन को ऐसे भी समझ सकते हैं कि-
- साल 2022-23 में 17 लाख 41, 000 हेक्टेयर में प्याज की खेती हुई थी, जबकि 2021-22 में 19 लाख 41,000 हेक्टेयर में इसकी खेती हुई. इसी से समझा जा सकता है कि देश में प्याज की खेती का रकबा किस तरह से घटा है.
- प्याज के दाम बढ़ने की एक वजह ये भी है कि इस बार महाराष्ट्र में मानसून देरी से आया और मानसून देरी से आने की वजह से महाराष्ट्र में खरीफ सीजन की प्याज की खेती भी देरी से शुरू हुई या यूं कहें कि लगभग एक महीने लेट हो गई है, जिस वजह से नया प्याज अब तक मार्केट में नहीं आ पाया है. यह भी एक वजह है कि प्याज की कीमत में बढ़ोतरी हुई है.