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Nag Panchami Special: नागोताल एक ऐसी अद्भुत जगह, जहां आज भी है डरावने और अद्भुत सांपों का बसेरा, जानिये क्या है रहस्य.... - Nagotal today nest scary

उमरिया के नौरोजाबाद में स्थित नागोताल में एक शिव मंदिर है, जहां नाग देवता हैं और वहीं शिव जी विराजे हुए हैं. नाग देवता को लेकर वहां के पुजारी ललित गिरी बताते हैं कि, यह नाग देवता जमीन के अंदर से निकले हुए हैं. पहले यह जमीन के अंदर दबे हुए थे, जिसके बाद उन्हें खोदकर निकाला गया है. अब यहां पर इन्हें स्थापित किया गया है, जो यहां नाग लोक का प्रमाण है.

Many gods reside in Nagotal complex
नागोताल परिसर में कई देवों का वास
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Published : Aug 2, 2022, 6:04 AM IST

शहडोल। नागपंचमी के दिन नाग देवता की पूजा की जाती है. इस दिन को बड़े ही धूमधाम के साथ लोग मनाते हैं और कोशिश करते हैं कि नागदेव के दर्शन उन्हें उस दिन हो जाएं. ऐसे में आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां आज भी अति प्राचीन सांपों का बसेरा है. यहां कभी भी, कहीं भी तरह-तरह के नाग देवताओं के दर्शन हो जाते हैं. इस जगह को नागोताल के नाम से जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि, यहां पर कभी मणि वाले सर्प मिलते थे. ऋषि मुनि यहां साधना किया करते थे, आज भी ये जगह कई अद्भुत रहस्य समेटे हुए है.

अद्भुत जगह है नागोताल: प्रकृति का अद्भुत रहस्य देखना हो या अद्भुत नजारा देखना हो, चमत्कार देखना हो और अगर आप सर्प प्रेमी हैं व अति प्राचीन नागराज के दर्शन करने हैं तो नागोताल जाइए. जहां नाग पंचमी के दिन विशेष पूजा-अर्चना होती है. नागोताल शहडोल संभाग के उमरिया जिले में स्थित है. यहां जाने के लिए शहडोल संभाग से लगभग 55 से 60 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ेगी, तो वहीं उमरिया जिले से लगभग 30 से 35 किलोमीटर की दूरी पर नागोताल स्थित है. उमरिया जिले के नौरोजाबाद से लगभग 5 किलोमीटर दूर पटपरा ग्राम पंचायत में नागोताल स्थित है. जहां पहुंचते ही एक अलग ही अनुभूति होती है और प्रकृति का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है. पहाड़ और पेड़-पौधों की छटा देखते ही बनती है, नागोताल मैकल पर्वत की तराई पर स्थित है.

नागोताल में अति प्राचीन सांपों का बसेरा

यहां आज भी होते हैं अद्भत नाग के दर्शन: यहां के पुजारी ललित गिरी बताते हैं कि, 'आज तक यहां कोई भी पुजारी रुका नहीं है, लेकिन वो 2001 से यहां रुक रहे हैं. इस जगह के बारे में ललित गिरी बताते हैं कि, इस दौरान उन्होंने एक से बढ़कर एक अद्भुत नाग देवता के दर्शन किए हैं. यह ऐसी जगह है, जहां पर आपको कभी भी, कहीं भी नाग देवता के दर्शन हो सकते हैं. आए दिन यहां अद्भुत अद्भुत नाग देवता निकलते रहते हैं'. हालांकि उनकी एक खूबी यह भी बताते हैं कि, इस क्षेत्र में ही नाग देवता पाए जाते हैं और आज तक वो किसी को नुकसान नहीं पहुंचाए हैं. कभी-कभी तो ललित गिरी महाराज के बाजू से भी होकर गुजर गए हैं.

आज तक नहीं सूखा कुंड: नागोताल परिसर में एक प्राकृतिक कुंड बना हुआ है, जहां से एक छोटी सी धारा में पानी निकलता है, जो सदियों से निकल रहा है. ये जलधारा कब से निकल रही, ये किसी को पता नहीं. लेकिन आज तक वह धारा बंद नहीं हुई है और वहीं पर एक छोटा सा प्राकृतिक तालाब बना हुआ है, जहां वह पानी इकट्ठा रहता है. नागोताल के पुजारी ललित गिरी बताते हैं कि, आज तक यह कुंड सूखा नहीं है. जब प्रचंड गर्मी पड़ती है, तब इस कुंड का पानी और बढ़ने लगता है. आसपास के गांव के लोग तो पानी पीने यहां आते हैं. ललित गिरी कहते हैं कि, कुंड के चारों ओर तालाब के चारों ओर नाग देवता के दर्शन होते रहते हैं. इस तालाब में जरूर कोई बात है, जो आज तक इसका रहस्य कोई नहीं जान सका है.

Nagotal Kund not dry till date
आज तक नहीं सूखा नागोताल कुंड

कोई भी धार्मिक कार्य हो नागदेवता देते हैं दर्शन: ललित गिरी महाराज बताते हैं कि, ये जगह नागोताल तीर्थ स्थल के तौर पर प्रचलित है और यहां पर कोई भी धार्मिक कार्य हो, यहां नाग देवता के दर्शन जरूर होते हैं. लोग तो यह भी कहते हैं कि, जब यहां कथा वाचन होता है, तो कई नाग देवता आकर कथा वाचन सुनते रहते हैं और जैसे ही वह कथा वार्ता खत्म होती है, नाग देवता भी चले जाते हैं. भंडारा होता है तो आश्रम के छप्परों पर नाग देवता विचरण करते हैं.

नागपंचमी को होती है विशेष पूजा: नौरोजाबाद से आये एक शृद्धालु बताते हैं कि, नाग पंचमी के दिन यहां विशेष पूजा पाठ होती है. यह नागोताल तीर्थ स्थल के तौर पर इस क्षेत्र में प्रचलित है और बहुत ही रहस्यमयी जगह है. लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं और ऐसा माना जाता है कि, यहां कोई भी मन्नत मांगी जाए वह पूरी होती है. इसलिए लोगों की आस्था का यह बड़ा केंद्र भी है. नागोताल के पुजारी ललित गिरी बताते हैं कि, नागोताल में सन्यासी बाबा हैं, बजरंगबली हैं, यज्ञशाला है, शेषनाग है, भोलेनाथ हैं, माता जी का स्थान हैं, सिद्ध बाबा हैं, अविरल कुंड है साथ ही चमत्कारी तालाब तो है ही.

सांपों के लिए अनुकूल जगह: पुरातत्व के विशेषज्ञ इतिहासकार रामनाथ परमार बताते हैं कि, उमरिया का नागोताल अपने आप में अद्भुत जगह है. यहां सांपों के लिए अनुकूल वातावरण पाया जाता है, इसीलिए यहां पहले एक से एक अद्भुत रहस्यमई नाग मिला करते थे और अब भी इनके दर्शन होते रहते हैं. नागोताल नौरोजाबाद से लगे मैकल की तराई वाले क्षेत्र में है, इसमें एक प्राचीन प्राकृतिक सरोवर है. यहां पर कुंड से जल निकलता है, उसका संग्रहण तालाब के रूप में होता है. यहां की विशेषता यही है कि, प्राकृतिक स्वरूप में सरोवर दर्शनीय स्थल है.

  • यहां पर जो सरोवर है और मैकल की तराई का जो क्षेत्र है, ये सर्पों के लिए उपयुक्त स्थल रहा है और अब भी है यहां पर पुराने नाग सर्प काफी तादाद में पाए जाते हैं. देखा जाए तो अब पर्यटक यहां आने लगे हैं, तो सर्प भी दूरी बनाने लगे हैं. जैसे ही स्थल पर सुनसान होता है, सर्प भी नजर आने लगते हैं.
  • इतिहासकार रामनाथ परमार बताते हैं कि, नागों की अपनी एक अलग ही दुनिया है. पौराणिक काल से अब तक बहुत से किवदंती प्रचलित हैं, नागोताल को लेकर तो ये भी किवदंती है कि, यहां कभी मणि वाले नाग मिलते थे.
  • नागों की एक विशेष दुनिया इस नागोताल में रही है और अभी भी है. फिलहाल इसके संरक्षण की बहुत आवश्यकता है कि, आगे शासन की ओर से भी प्रयास किया जाएं. जिससे नागों का संरक्षण किया जाए, तो बहुत ही अच्छा रहेगा. पर्यटन की दृष्टि से भी बहुत उपयुक्त स्थल होगा.

Nag Panchami 2022: जबलपुर के नागमन्दिर में करंट वाला नाग, जहाँ शिव की भक्ति में लीन साक्षात दिखाई देते है नागराज

तपस्वियों और मणि वाले सर्पों की जगह: मैकल की तराई में स्थित नागोताल के पास जिस तरह का क्षेत्र नजर आता है, उसे देखकर यही लगता है कि कभी यहां पर घनघोर जंगल हुआ करता था. हालांकि आज भी यहां पर जंगली जानवर आते हैं, लेकिन अब इस क्षेत्र में आसपास लोग रहने लग गए हैं. हालांकि अभी भी इतने लोग नहीं हैं, लेकिन जिस तरह से यह क्षेत्र नजर आता है और घनघोर जंगल हुआ करता था. उसे देखकर यही लगता है कि, यह जगह कभी तपस्वीओं की तपस्थली रही होगी. ऋषि मुनि यहां साधना किया करते रहे होंगे, साथ ही इस जगह के बारे में तो पुराने लोग यह भी बताते हैं कि, कभी यहां मणि वाले सांप मिला करते थे और मणि की तलाश में तरह तरह के लोग यहां आया करते थे.

नागोताल बड़ा धार्मिक स्थल: नागोताल रहस्यमई, अद्भुत और चमत्कारी जगह है. यहां आकर एक अलग ही सुकून मिलता है. एक ऐसी जगह, जो सांपों के लिए अनुकूल है. यहां आज भी तरह-तरह के प्राचीन और अद्भुत सर्पों के दर्शन हो जाएंगे. ऐसी जगहों के लिए जरूरी है कि, शासन प्रशासन यहां गंभीरता से ध्यान दें. इन जगहों का वहां के वातावरण वहां के पर्यावरण के मुताबिक ही ख्याल रखें, उन्हें संरक्षित करें. जिससे यहां अति प्राचीन मिलने वाले सर्प भी संरक्षित रहेंगे और यह पर्यटन का बड़ा केंद्र हो सकता है. वैसे भी नागोताल एक बड़े धार्मिक स्थल के तौर पर क्षेत्र में अपनी पहचान बना चुका है.

शहडोल। नागपंचमी के दिन नाग देवता की पूजा की जाती है. इस दिन को बड़े ही धूमधाम के साथ लोग मनाते हैं और कोशिश करते हैं कि नागदेव के दर्शन उन्हें उस दिन हो जाएं. ऐसे में आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां आज भी अति प्राचीन सांपों का बसेरा है. यहां कभी भी, कहीं भी तरह-तरह के नाग देवताओं के दर्शन हो जाते हैं. इस जगह को नागोताल के नाम से जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि, यहां पर कभी मणि वाले सर्प मिलते थे. ऋषि मुनि यहां साधना किया करते थे, आज भी ये जगह कई अद्भुत रहस्य समेटे हुए है.

अद्भुत जगह है नागोताल: प्रकृति का अद्भुत रहस्य देखना हो या अद्भुत नजारा देखना हो, चमत्कार देखना हो और अगर आप सर्प प्रेमी हैं व अति प्राचीन नागराज के दर्शन करने हैं तो नागोताल जाइए. जहां नाग पंचमी के दिन विशेष पूजा-अर्चना होती है. नागोताल शहडोल संभाग के उमरिया जिले में स्थित है. यहां जाने के लिए शहडोल संभाग से लगभग 55 से 60 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ेगी, तो वहीं उमरिया जिले से लगभग 30 से 35 किलोमीटर की दूरी पर नागोताल स्थित है. उमरिया जिले के नौरोजाबाद से लगभग 5 किलोमीटर दूर पटपरा ग्राम पंचायत में नागोताल स्थित है. जहां पहुंचते ही एक अलग ही अनुभूति होती है और प्रकृति का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है. पहाड़ और पेड़-पौधों की छटा देखते ही बनती है, नागोताल मैकल पर्वत की तराई पर स्थित है.

नागोताल में अति प्राचीन सांपों का बसेरा

यहां आज भी होते हैं अद्भत नाग के दर्शन: यहां के पुजारी ललित गिरी बताते हैं कि, 'आज तक यहां कोई भी पुजारी रुका नहीं है, लेकिन वो 2001 से यहां रुक रहे हैं. इस जगह के बारे में ललित गिरी बताते हैं कि, इस दौरान उन्होंने एक से बढ़कर एक अद्भुत नाग देवता के दर्शन किए हैं. यह ऐसी जगह है, जहां पर आपको कभी भी, कहीं भी नाग देवता के दर्शन हो सकते हैं. आए दिन यहां अद्भुत अद्भुत नाग देवता निकलते रहते हैं'. हालांकि उनकी एक खूबी यह भी बताते हैं कि, इस क्षेत्र में ही नाग देवता पाए जाते हैं और आज तक वो किसी को नुकसान नहीं पहुंचाए हैं. कभी-कभी तो ललित गिरी महाराज के बाजू से भी होकर गुजर गए हैं.

आज तक नहीं सूखा कुंड: नागोताल परिसर में एक प्राकृतिक कुंड बना हुआ है, जहां से एक छोटी सी धारा में पानी निकलता है, जो सदियों से निकल रहा है. ये जलधारा कब से निकल रही, ये किसी को पता नहीं. लेकिन आज तक वह धारा बंद नहीं हुई है और वहीं पर एक छोटा सा प्राकृतिक तालाब बना हुआ है, जहां वह पानी इकट्ठा रहता है. नागोताल के पुजारी ललित गिरी बताते हैं कि, आज तक यह कुंड सूखा नहीं है. जब प्रचंड गर्मी पड़ती है, तब इस कुंड का पानी और बढ़ने लगता है. आसपास के गांव के लोग तो पानी पीने यहां आते हैं. ललित गिरी कहते हैं कि, कुंड के चारों ओर तालाब के चारों ओर नाग देवता के दर्शन होते रहते हैं. इस तालाब में जरूर कोई बात है, जो आज तक इसका रहस्य कोई नहीं जान सका है.

Nagotal Kund not dry till date
आज तक नहीं सूखा नागोताल कुंड

कोई भी धार्मिक कार्य हो नागदेवता देते हैं दर्शन: ललित गिरी महाराज बताते हैं कि, ये जगह नागोताल तीर्थ स्थल के तौर पर प्रचलित है और यहां पर कोई भी धार्मिक कार्य हो, यहां नाग देवता के दर्शन जरूर होते हैं. लोग तो यह भी कहते हैं कि, जब यहां कथा वाचन होता है, तो कई नाग देवता आकर कथा वाचन सुनते रहते हैं और जैसे ही वह कथा वार्ता खत्म होती है, नाग देवता भी चले जाते हैं. भंडारा होता है तो आश्रम के छप्परों पर नाग देवता विचरण करते हैं.

नागपंचमी को होती है विशेष पूजा: नौरोजाबाद से आये एक शृद्धालु बताते हैं कि, नाग पंचमी के दिन यहां विशेष पूजा पाठ होती है. यह नागोताल तीर्थ स्थल के तौर पर इस क्षेत्र में प्रचलित है और बहुत ही रहस्यमयी जगह है. लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं और ऐसा माना जाता है कि, यहां कोई भी मन्नत मांगी जाए वह पूरी होती है. इसलिए लोगों की आस्था का यह बड़ा केंद्र भी है. नागोताल के पुजारी ललित गिरी बताते हैं कि, नागोताल में सन्यासी बाबा हैं, बजरंगबली हैं, यज्ञशाला है, शेषनाग है, भोलेनाथ हैं, माता जी का स्थान हैं, सिद्ध बाबा हैं, अविरल कुंड है साथ ही चमत्कारी तालाब तो है ही.

सांपों के लिए अनुकूल जगह: पुरातत्व के विशेषज्ञ इतिहासकार रामनाथ परमार बताते हैं कि, उमरिया का नागोताल अपने आप में अद्भुत जगह है. यहां सांपों के लिए अनुकूल वातावरण पाया जाता है, इसीलिए यहां पहले एक से एक अद्भुत रहस्यमई नाग मिला करते थे और अब भी इनके दर्शन होते रहते हैं. नागोताल नौरोजाबाद से लगे मैकल की तराई वाले क्षेत्र में है, इसमें एक प्राचीन प्राकृतिक सरोवर है. यहां पर कुंड से जल निकलता है, उसका संग्रहण तालाब के रूप में होता है. यहां की विशेषता यही है कि, प्राकृतिक स्वरूप में सरोवर दर्शनीय स्थल है.

  • यहां पर जो सरोवर है और मैकल की तराई का जो क्षेत्र है, ये सर्पों के लिए उपयुक्त स्थल रहा है और अब भी है यहां पर पुराने नाग सर्प काफी तादाद में पाए जाते हैं. देखा जाए तो अब पर्यटक यहां आने लगे हैं, तो सर्प भी दूरी बनाने लगे हैं. जैसे ही स्थल पर सुनसान होता है, सर्प भी नजर आने लगते हैं.
  • इतिहासकार रामनाथ परमार बताते हैं कि, नागों की अपनी एक अलग ही दुनिया है. पौराणिक काल से अब तक बहुत से किवदंती प्रचलित हैं, नागोताल को लेकर तो ये भी किवदंती है कि, यहां कभी मणि वाले नाग मिलते थे.
  • नागों की एक विशेष दुनिया इस नागोताल में रही है और अभी भी है. फिलहाल इसके संरक्षण की बहुत आवश्यकता है कि, आगे शासन की ओर से भी प्रयास किया जाएं. जिससे नागों का संरक्षण किया जाए, तो बहुत ही अच्छा रहेगा. पर्यटन की दृष्टि से भी बहुत उपयुक्त स्थल होगा.

Nag Panchami 2022: जबलपुर के नागमन्दिर में करंट वाला नाग, जहाँ शिव की भक्ति में लीन साक्षात दिखाई देते है नागराज

तपस्वियों और मणि वाले सर्पों की जगह: मैकल की तराई में स्थित नागोताल के पास जिस तरह का क्षेत्र नजर आता है, उसे देखकर यही लगता है कि कभी यहां पर घनघोर जंगल हुआ करता था. हालांकि आज भी यहां पर जंगली जानवर आते हैं, लेकिन अब इस क्षेत्र में आसपास लोग रहने लग गए हैं. हालांकि अभी भी इतने लोग नहीं हैं, लेकिन जिस तरह से यह क्षेत्र नजर आता है और घनघोर जंगल हुआ करता था. उसे देखकर यही लगता है कि, यह जगह कभी तपस्वीओं की तपस्थली रही होगी. ऋषि मुनि यहां साधना किया करते रहे होंगे, साथ ही इस जगह के बारे में तो पुराने लोग यह भी बताते हैं कि, कभी यहां मणि वाले सांप मिला करते थे और मणि की तलाश में तरह तरह के लोग यहां आया करते थे.

नागोताल बड़ा धार्मिक स्थल: नागोताल रहस्यमई, अद्भुत और चमत्कारी जगह है. यहां आकर एक अलग ही सुकून मिलता है. एक ऐसी जगह, जो सांपों के लिए अनुकूल है. यहां आज भी तरह-तरह के प्राचीन और अद्भुत सर्पों के दर्शन हो जाएंगे. ऐसी जगहों के लिए जरूरी है कि, शासन प्रशासन यहां गंभीरता से ध्यान दें. इन जगहों का वहां के वातावरण वहां के पर्यावरण के मुताबिक ही ख्याल रखें, उन्हें संरक्षित करें. जिससे यहां अति प्राचीन मिलने वाले सर्प भी संरक्षित रहेंगे और यह पर्यटन का बड़ा केंद्र हो सकता है. वैसे भी नागोताल एक बड़े धार्मिक स्थल के तौर पर क्षेत्र में अपनी पहचान बना चुका है.

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