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Nag panchami Special 2021: एक ऐसा नागद्वार जहां आज भी है नाग देवता का वास, अलौकिक है कथाएं

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Published : Aug 13, 2021, 5:03 AM IST

शहडोल और उमरिया जिले की बॉर्डर पर स्थित मां बूढ़ी देवी धाम परिसर में एक नागद्वार बना हुआ है. मान्यता है कि इस नागद्वार में आज भी साक्षात नाग देवता वास करते है. नागपंचमी के दिन इस नागद्वार की विशेष पूजा-अर्चना होती है. ऐसा माना जाता है कि नागपंचमी के दिन इस द्वार की पूजा करने पर हर मनोकामना पूरी होती है. मंदिर परिसर में नागद्वार के अलावा चमत्कारी बूढ़ी देवी की मूर्ती और शिवलिंग भी है.

Nag panchami Special 2021
Nag panchami Special 2021

शहडोल। नागपंचमी के पावन अवसर पर हम आपको एक ऐसे नागद्वार के दर्शन कराने जा रहे हैं, जो अद्भुत है, अलौकिक है. कहते हैं आज भी यहां नाग देवता के दर्शन होते हैं. ये अद्भुत रहस्यमयी जगह है शहडोल और उमरिया जिले के बॉर्डर में स्थित मां बूढ़ी देवी धाम परिसर में. मान्यता है कि आज भी बूढ़ी माता मंदिर परिसर में एक सांप का बिल बना है, जो छोटी सी गुफा की तरह दिखता है. ऐसा कहा जाता है कि इसके अंदर ही नाग देवता रहते हैं. जिनके दर्शन अक्सर होते रहते हैं. नागपंचमी के दिन तो इस नागद्वार की पूजा के लिए बड़ी संख्या में भक्त आते हैं.

नागपंचमी के दिन होती है विशेष पूजा

वैसे तो सालभर इस मंदिर में पूजा अर्चना के लिए लोग आते है, लेकिन नाग पंचमी के दिन इस नागद्वार की विशेष पूजा होती है. इस नागद्वार में दूध रखा जाता है. जो भी भक्त आता है इस नागद्वार की पूजा जरूर करता है. माना जाता है कि नागपंचमी पर नागद्वार की पूजा करने पर हर मनोकामना पूरी होती है. मंदिर परिसर में स्थित इस छोटे से नागद्वार की कहानी भी अद्भुत और रहस्यमई है. जिसके रहस्य के बारे में आज तक कोई भी नहीं जान सका.

एक ऐसा नागद्वार जहां आज भी है नाग देवता का वास

रोजाना नागद्वार के बाहर बैठते थे नाग देवता

बूढ़ी माता मंदिर में पीढ़ी दर पीढ़ी सेवा कर रहे पुजारी राजू बताते हैं कि उनके पूर्वज इस नागद्वार के बारे में कहते थे कि ये बहुत ही प्राचीन बिल है. ये नाग देवता का पुराना स्थान है. कभी यहां पर निकल कर वो बैठते थे. लोगों को दर्शन भी देते थे. आज भी यहां पर पूजा की जाती है. नागपंचमी के दिन तो काफी भीड़ लगती है. पहले तो हर नागपंचमी के दिन यहां पर नाग देवता के दर्शन होते थे, लेकिन अब कभी-कभी नाग देवता दर्शन देते है.

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राजा विराट करते थे शिव की पूजा

धार्मिक स्थलों के जानकार ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि ये राजा विराट की नगरी रही है. यहां पर राजा विराट रहा करते थे. राजा इस नागद्वार पर आकर भगवान शिव जी की पूजा करते थे. हर 12 महीने में पंचमी तिथि में नाग की पूजा करते थे. लोग तो ऐसा भी कहते हैं कि वहां पर नाग देवता अभी भी रहते है. उनके बड़ी-बड़ी जटा (बाल) भी है. अभी वहां एक दीवार बना दी गई है.

पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री ने बताया कि नागद्वार में एक सर्प रहता है, जो कभी-कभी दिखाई भी देता है. वहां अक्सर लोग जाते हैं, दूध चढ़ाते हैं और दर्शन का लाभ लेते हैं. इस जगह को लेकर कहा यह भी कहा जाता है कि नागद्वार पर जो दूध चढ़ाता है उसे सांप कभी हानी नहीं पहुंचाते. मान्यता है कि कोई विपत्ती अगर आने वाली है, तो वहां पर दूध चढ़ा देने से वो विपत्ति दूर हो जाती है.

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चमत्कारी है ये पूरा देव स्थल

बूढ़ी माता मंदिर के नाम से प्रसिद्ध ये देवस्थल बहुत चमत्कारी माना जाता है. यहां अंदर प्रवेश करते ही एक अलग ही शांति का एहसास होता है. मंदिर परिसर में ही एक कुआं भी है. ऐसा माना जाता है कि उस कुएं के पानी को का सेवन कर लेने से पेट संबंधित कई मर्ज दूर हो जाते हैं. इतना ही नहीं चर्म रोग भी उससे दूर हो जाता है. इस मंदिर परिसर में बूढ़ी देवी माता विराजमान हैं. जिनकी महिमा दूर-दूर तक फैली हुई है. उनके चमत्कार की कई कहानियां भी हैं.

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शिवलिंग का है महत्व

मंदिर परिसर में एक शिव मंदिर भी है, जो पुरातात्विक और ऐतिहासिक महत्व का है. बताया जाता है कि यह शिवलिंग कई सदियों पुरानी है. वहां कई ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व की कई मूर्तियां भी स्थित है. शिव मंदिर में विराजमान शिवलिंग काफी चमत्कारी मानी जाती हैं. उस मंदिर परिसर में अक्सर ही कई नाग देवताओं के दर्शन होते रहते हैं.

शहडोल। नागपंचमी के पावन अवसर पर हम आपको एक ऐसे नागद्वार के दर्शन कराने जा रहे हैं, जो अद्भुत है, अलौकिक है. कहते हैं आज भी यहां नाग देवता के दर्शन होते हैं. ये अद्भुत रहस्यमयी जगह है शहडोल और उमरिया जिले के बॉर्डर में स्थित मां बूढ़ी देवी धाम परिसर में. मान्यता है कि आज भी बूढ़ी माता मंदिर परिसर में एक सांप का बिल बना है, जो छोटी सी गुफा की तरह दिखता है. ऐसा कहा जाता है कि इसके अंदर ही नाग देवता रहते हैं. जिनके दर्शन अक्सर होते रहते हैं. नागपंचमी के दिन तो इस नागद्वार की पूजा के लिए बड़ी संख्या में भक्त आते हैं.

नागपंचमी के दिन होती है विशेष पूजा

वैसे तो सालभर इस मंदिर में पूजा अर्चना के लिए लोग आते है, लेकिन नाग पंचमी के दिन इस नागद्वार की विशेष पूजा होती है. इस नागद्वार में दूध रखा जाता है. जो भी भक्त आता है इस नागद्वार की पूजा जरूर करता है. माना जाता है कि नागपंचमी पर नागद्वार की पूजा करने पर हर मनोकामना पूरी होती है. मंदिर परिसर में स्थित इस छोटे से नागद्वार की कहानी भी अद्भुत और रहस्यमई है. जिसके रहस्य के बारे में आज तक कोई भी नहीं जान सका.

एक ऐसा नागद्वार जहां आज भी है नाग देवता का वास

रोजाना नागद्वार के बाहर बैठते थे नाग देवता

बूढ़ी माता मंदिर में पीढ़ी दर पीढ़ी सेवा कर रहे पुजारी राजू बताते हैं कि उनके पूर्वज इस नागद्वार के बारे में कहते थे कि ये बहुत ही प्राचीन बिल है. ये नाग देवता का पुराना स्थान है. कभी यहां पर निकल कर वो बैठते थे. लोगों को दर्शन भी देते थे. आज भी यहां पर पूजा की जाती है. नागपंचमी के दिन तो काफी भीड़ लगती है. पहले तो हर नागपंचमी के दिन यहां पर नाग देवता के दर्शन होते थे, लेकिन अब कभी-कभी नाग देवता दर्शन देते है.

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राजा विराट करते थे शिव की पूजा

धार्मिक स्थलों के जानकार ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि ये राजा विराट की नगरी रही है. यहां पर राजा विराट रहा करते थे. राजा इस नागद्वार पर आकर भगवान शिव जी की पूजा करते थे. हर 12 महीने में पंचमी तिथि में नाग की पूजा करते थे. लोग तो ऐसा भी कहते हैं कि वहां पर नाग देवता अभी भी रहते है. उनके बड़ी-बड़ी जटा (बाल) भी है. अभी वहां एक दीवार बना दी गई है.

पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री ने बताया कि नागद्वार में एक सर्प रहता है, जो कभी-कभी दिखाई भी देता है. वहां अक्सर लोग जाते हैं, दूध चढ़ाते हैं और दर्शन का लाभ लेते हैं. इस जगह को लेकर कहा यह भी कहा जाता है कि नागद्वार पर जो दूध चढ़ाता है उसे सांप कभी हानी नहीं पहुंचाते. मान्यता है कि कोई विपत्ती अगर आने वाली है, तो वहां पर दूध चढ़ा देने से वो विपत्ति दूर हो जाती है.

आज रात 12 बजे खुलेगा महाकाल के शिखर पर विराजित नागचंद्रेश्वर का दरबार, श्रद्धालु की एंट्री बैन, सिर्फ ऑनलाइन होंगे दर्शन

चमत्कारी है ये पूरा देव स्थल

बूढ़ी माता मंदिर के नाम से प्रसिद्ध ये देवस्थल बहुत चमत्कारी माना जाता है. यहां अंदर प्रवेश करते ही एक अलग ही शांति का एहसास होता है. मंदिर परिसर में ही एक कुआं भी है. ऐसा माना जाता है कि उस कुएं के पानी को का सेवन कर लेने से पेट संबंधित कई मर्ज दूर हो जाते हैं. इतना ही नहीं चर्म रोग भी उससे दूर हो जाता है. इस मंदिर परिसर में बूढ़ी देवी माता विराजमान हैं. जिनकी महिमा दूर-दूर तक फैली हुई है. उनके चमत्कार की कई कहानियां भी हैं.

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शिवलिंग का है महत्व

मंदिर परिसर में एक शिव मंदिर भी है, जो पुरातात्विक और ऐतिहासिक महत्व का है. बताया जाता है कि यह शिवलिंग कई सदियों पुरानी है. वहां कई ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व की कई मूर्तियां भी स्थित है. शिव मंदिर में विराजमान शिवलिंग काफी चमत्कारी मानी जाती हैं. उस मंदिर परिसर में अक्सर ही कई नाग देवताओं के दर्शन होते रहते हैं.

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