शहडोल। जिले में पिछले लगभग 10-12 दिन से मौसम ने करवट बदली थी, तेज धूप हो रही थी, उमस हो रही थी और बारिश का कोई नामो निशान नहीं था. लेकिन एक-दो दिन से एक बार फिर से अचानक मौसम में बदलाव देखने को मिला है. जिले में लगातार झमाझम बरसात का दौर जारी है. आज सुबह से ही जिले में बारिश हो रही है और अभी भी बारिश का मौसम बना हुआ है.
अगले 5 दिन मौसम का हाल: जिले में सुबह से ही झमाझम बरसात का दौर जारी है. कभी तेज बारिश हो रही है, कभी रिमझिम बरसात हो रही है. दिन भर आसमान में घने बादल छाए रहे. इससे पहले कुछ दिन मौसम खुला रहा, लेकिन एक बार फिर से अब बारिश ने रफ्तार पकड़ ली है. मौसम वैज्ञानिक गुरप्रीत सिंह गांधी के मुताबिक "भारत मौसम विभाग से जो मध्यम अवधि के पूर्वानुमान मिले हैं, उसमें अगले 5 दिनों के दौरान 2 अगस्त से 6 अगस्त तक शहडोल जिले में बादल छाए रहेंगे और भारी बारिश होने की संभावना है. इस दौरान अधिकतम तापमान 31.2 से 32.5 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 23.4 से 24.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया जा सकता है.
किसानों को सलाह: कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है, कि बारिश के पूर्वानुमान को ध्यान में रखते हुए, बारिश की संभावना है. किसान किसी भी प्रकार के रासायनिक खाद का छिड़काव फसलों पर ना करे. खड़ी फसलों, सब्जी नर्सरी में उचित प्रबंधन करे. दलहनी फसलों और सब्जी नर्सरी में जल निकास की उचित व्यवस्था करें.
धान की रोपाई में हो गई देरी तो करें ये काम: इन दिनों शहडोल जिले में धान की रोपाई काफी तेजी से चल रही है, क्योंकि शुरुआत में काफी अच्छी खासी बारिश हो गई थी. जिसकी वजह से किसानों ने नर्सरी थोड़ी देरी से लगाई थी. अब धान की रोपाई हो रही है. जिसे लेकर कृषि वैज्ञानिक बीके प्रजापति सलाह देते हुए कहते हैं कि "जो किसान धान की रोपाई देरी से कर रहे हैं. वह किसान रोपाई के एक हफ्ते बाद समान रूप से नील हरित शैवाल 4 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से पूरे क्षेत्र में फैला दें, नील हरित शैवाल मृदा में 30 से 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर नत्रजन उपलब्ध कराने साथ ही मृदा में नमी को भी बनाए रखने का कार्य करता है."
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धान बुवाई वाले किसान रखें ध्यान: कई किसान ऐसे होते हैं जो सीधे धान की बुवाई कर देते हैं. नर्सरी ट्रांसप्लांट करके रोपाई नहीं करते हैं. ऐसे किसान जीवाणु जनित झुलसा रोग से सावधान रहें, क्योंकि धान की बुवाई के 20 से 25 दिनों के बाद अगर धान की पत्ती के किनारे वाला ऊपरी भाग हल्के पीले रंग के लगते हैं, इस स्थिति में किसान को पोटैशियम उर्वरक 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करना जरूरी हो जाता है.
सोयाबीन वाले किसान ध्यान दें: कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बीके प्रजापति बताते हैं कि "कुछ क्षेत्र में सोयाबीन की फसल में पीला मोजेक वायरस के संक्रमण की सूचना मिली है, वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए संक्रमण के प्रारंभिक चरण में किसानों को प्रभावित पौधे को उखाड़ने की सलाह दी जाती है."