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MP Heavy Rains Nakshatra: किस नक्षत्र में कैसी होगी बरसात, फसलों का कैसा रहेगा हाल, बारिश से पहले जानिए वर्षा ऋतु का पूरा हाल...

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Published : Jun 14, 2023, 8:59 PM IST

बारिश से पहले जानिए ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से किस नक्षत्र में कैसी बरसात होगी, फसलों का कैसा हाल रहेगा. जानें बरसात का पूरा हाल....(MP Heavy Rains Nakshatra)(Monsoon 2023)

Heavy Rains Nakshatra
नक्षत्र में बरसात
नक्षत्र में बरसात

शहडोल। आषाढ़ का महीना तो कब का शुरू हो चुका है, जून का आधा महीना भी निकल चुका है, लेकिन तेज गर्मी के अलावा बारिश नहीं हो रही है. खेती किसानी की तैयारियों में जुटे किसानों को अब तेज बारिश का इंतजार है, जिससे वो अपने खेती की शुरुआत कर सकें, लेकिन अब तक बरसात नहीं हुई है, कब मानसून आएगा. इस बार बरसात का सीजन कैसा रहेगा, किस नक्षत्र में कितनी बारिश होगी. क्या कहता है ज्योतिष शास्त्र, बारिश से पहले जानिए ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से बरसात का नक्षत्र ...

कब से शुरू होगी बरसातः ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि वर्षा ऋतु में इस साल राजा बुध है और मंत्री शुक्र है, तो दोनों के मित्र वर्गीय होने के कारण इस बार बारिश बहुत अच्छी होने के योग बन रहे हैं. बारिश में 5 नक्षत्र होते हैं जो 15-15 दिन चलते हैं, तो सबसे पहले बरसात 22 जून से प्रारंभ हो रही है, 20 जून तक मानसून आने की पूर्ण संभावना है और 22 जून से आर्द्रा नक्षत्र प्रारंभ होगा. इसमें अच्छी वर्षा होगी.

अलग-अलग नक्षत्र में बारिश का हालः इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि सबसे पहले आर्द्रा नक्षत्र आता है और इसमें 22 जून से लेकर 26 जून तक लगातार वर्षा होगी. 27-28 जून को बारिश नहीं होगी, फिर 30 जून से लेकर के 5 जुलाई तक फिर बारिश होगी. जैसे ही 6 जुलाई प्रारंभ होगा, पुनर्वस नक्षत्र आ जाएगा, पुनर्वस नक्षत्र में भी 8 आढक बारिश होगी यानी 80 प्रतिशत बारिश का योग है, अच्छी बरसात का योग है और धान की फसल उड़द की फसल मक्का, ज्वार है जो भी फसल इस बरसात के मौसम में लगाते हैं वो बहुत अच्छी होगी. पुनर्वस नक्षत्र 6 जुलाई से लेकर 19 जुलाई तक रहेगा. इसमें अच्छी वर्षा होगी. इस दौरान किसी भी तरह से खंड वर्षा नहीं होगी और हर जगह पूरे भारतवर्ष में अच्छी बारिश होगी.

20 जुलाई से शुरू होगा पुख नक्षत्रः इसके बाद मध्यम वर्षा आ जाती है, मतलब पुख नक्षत्र आता है. पुख नक्षत्र में जो इस बार 20 जुलाई से पुख नक्षत्र शुरू होगा. इसमें छुटपुट वर्षा होगी. मतलब 2 दिन बारिश होगी तो 12 दिन धूप रहेगी. इस नक्षत्र में फसलों को नुकसान होने की भी संभावना है. थोड़ी सावधानी रखें और जल संग्रह अवश्य कर लें, क्योंकि इस पुख नक्षत्र में अल्प वर्षा होने का पूर्ण योग है. इस नक्षत्र में 2 आढक मात्र ही पानी लिखा हुआ है. इसके बाद असलेखा नक्षत्र आएगा यानी बरसात का 60 प्रतिशत भाग निकल चुका है. इस नक्षत्र में भी अच्छी वर्षा होगी और अच्छी फसल होगी. धान के फसल का कोई नुकसान नहीं होगा. मोटे अनाज जैसे कोदो, कुटकी, मक्का, मकाई और तिलहन हैं उसके लिए बहुत ही सर्वोत्तम समय है. इसके बाद 3 अगस्त से लेकर 17 अगस्त तक योग है. इसमें कभी बरसात, कभी धूप, कभी छुटपुट वर्षा होगी, धूप काफी रहेगी, लेकिन फसलों का नुकसान नहीं होगा, क्योंकि बीच-बीच में वर्षा का योग है अच्छी बारिश होगी.

17 अगस्त से 30 अगस्त के बीच मघा नक्षत्र प्रारंभः इसके बाद 17 अगस्त से 30 अगस्त के बीच मघा नक्षत्र प्रारंभ होगा, जो बारिश का मेन गर्भ ग्रह महीना होता है. इसमें अच्छी बारिश का भी योग है. इसमें बारिश होने से पृथ्वी संतुष्ट हो जाती है. नदी, तालाब, झरने, और नदियां सब जलमग्न हो जाते हैं, संतुष्ट हो जाती हैं, फसल उगाने के लिए समय बेहतर हो जाता है. इस नक्षत्र में फसलों को भी फायदा होगा और इसमें किसी भी तरह का कोई नुकसान होने की संभावना नहीं रहेगी, फिर 31 अगस्त से पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र आएगा. इसमें भी अल्प वर्षा होगी. हल्की बारिश की समाप्ति का योग बनेगा. 31 अगस्त तक बारिश छुटपुट होने के साथ समाप्त होगी.

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13 सितंबर तक उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्रः इसके बाद 31 अगस्त से 13 सितंबर तक उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र लगेगा. इसमें 10 प्रतिशत बारिश होगी यानी जैसे लोग अलसी की खेती करते हैं, उनके लिए उत्तम समय रहेगा. धान की फसल बीच-बीच में तैयार हो जाएगी, अच्छा उत्पादन होगा. फिर 13 सितंबर से 27 सितंबर के बीच हस्त नक्षत्र रहेगा. इसमें भी सामान्य वर्षा है. गरज एवं छीटों के साथ बारिश होगी और और फसलों के लिए उत्तम समय रहेगा.

नक्षत्र में बरसात

शहडोल। आषाढ़ का महीना तो कब का शुरू हो चुका है, जून का आधा महीना भी निकल चुका है, लेकिन तेज गर्मी के अलावा बारिश नहीं हो रही है. खेती किसानी की तैयारियों में जुटे किसानों को अब तेज बारिश का इंतजार है, जिससे वो अपने खेती की शुरुआत कर सकें, लेकिन अब तक बरसात नहीं हुई है, कब मानसून आएगा. इस बार बरसात का सीजन कैसा रहेगा, किस नक्षत्र में कितनी बारिश होगी. क्या कहता है ज्योतिष शास्त्र, बारिश से पहले जानिए ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से बरसात का नक्षत्र ...

कब से शुरू होगी बरसातः ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि वर्षा ऋतु में इस साल राजा बुध है और मंत्री शुक्र है, तो दोनों के मित्र वर्गीय होने के कारण इस बार बारिश बहुत अच्छी होने के योग बन रहे हैं. बारिश में 5 नक्षत्र होते हैं जो 15-15 दिन चलते हैं, तो सबसे पहले बरसात 22 जून से प्रारंभ हो रही है, 20 जून तक मानसून आने की पूर्ण संभावना है और 22 जून से आर्द्रा नक्षत्र प्रारंभ होगा. इसमें अच्छी वर्षा होगी.

अलग-अलग नक्षत्र में बारिश का हालः इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि सबसे पहले आर्द्रा नक्षत्र आता है और इसमें 22 जून से लेकर 26 जून तक लगातार वर्षा होगी. 27-28 जून को बारिश नहीं होगी, फिर 30 जून से लेकर के 5 जुलाई तक फिर बारिश होगी. जैसे ही 6 जुलाई प्रारंभ होगा, पुनर्वस नक्षत्र आ जाएगा, पुनर्वस नक्षत्र में भी 8 आढक बारिश होगी यानी 80 प्रतिशत बारिश का योग है, अच्छी बरसात का योग है और धान की फसल उड़द की फसल मक्का, ज्वार है जो भी फसल इस बरसात के मौसम में लगाते हैं वो बहुत अच्छी होगी. पुनर्वस नक्षत्र 6 जुलाई से लेकर 19 जुलाई तक रहेगा. इसमें अच्छी वर्षा होगी. इस दौरान किसी भी तरह से खंड वर्षा नहीं होगी और हर जगह पूरे भारतवर्ष में अच्छी बारिश होगी.

20 जुलाई से शुरू होगा पुख नक्षत्रः इसके बाद मध्यम वर्षा आ जाती है, मतलब पुख नक्षत्र आता है. पुख नक्षत्र में जो इस बार 20 जुलाई से पुख नक्षत्र शुरू होगा. इसमें छुटपुट वर्षा होगी. मतलब 2 दिन बारिश होगी तो 12 दिन धूप रहेगी. इस नक्षत्र में फसलों को नुकसान होने की भी संभावना है. थोड़ी सावधानी रखें और जल संग्रह अवश्य कर लें, क्योंकि इस पुख नक्षत्र में अल्प वर्षा होने का पूर्ण योग है. इस नक्षत्र में 2 आढक मात्र ही पानी लिखा हुआ है. इसके बाद असलेखा नक्षत्र आएगा यानी बरसात का 60 प्रतिशत भाग निकल चुका है. इस नक्षत्र में भी अच्छी वर्षा होगी और अच्छी फसल होगी. धान के फसल का कोई नुकसान नहीं होगा. मोटे अनाज जैसे कोदो, कुटकी, मक्का, मकाई और तिलहन हैं उसके लिए बहुत ही सर्वोत्तम समय है. इसके बाद 3 अगस्त से लेकर 17 अगस्त तक योग है. इसमें कभी बरसात, कभी धूप, कभी छुटपुट वर्षा होगी, धूप काफी रहेगी, लेकिन फसलों का नुकसान नहीं होगा, क्योंकि बीच-बीच में वर्षा का योग है अच्छी बारिश होगी.

17 अगस्त से 30 अगस्त के बीच मघा नक्षत्र प्रारंभः इसके बाद 17 अगस्त से 30 अगस्त के बीच मघा नक्षत्र प्रारंभ होगा, जो बारिश का मेन गर्भ ग्रह महीना होता है. इसमें अच्छी बारिश का भी योग है. इसमें बारिश होने से पृथ्वी संतुष्ट हो जाती है. नदी, तालाब, झरने, और नदियां सब जलमग्न हो जाते हैं, संतुष्ट हो जाती हैं, फसल उगाने के लिए समय बेहतर हो जाता है. इस नक्षत्र में फसलों को भी फायदा होगा और इसमें किसी भी तरह का कोई नुकसान होने की संभावना नहीं रहेगी, फिर 31 अगस्त से पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र आएगा. इसमें भी अल्प वर्षा होगी. हल्की बारिश की समाप्ति का योग बनेगा. 31 अगस्त तक बारिश छुटपुट होने के साथ समाप्त होगी.

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13 सितंबर तक उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्रः इसके बाद 31 अगस्त से 13 सितंबर तक उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र लगेगा. इसमें 10 प्रतिशत बारिश होगी यानी जैसे लोग अलसी की खेती करते हैं, उनके लिए उत्तम समय रहेगा. धान की फसल बीच-बीच में तैयार हो जाएगी, अच्छा उत्पादन होगा. फिर 13 सितंबर से 27 सितंबर के बीच हस्त नक्षत्र रहेगा. इसमें भी सामान्य वर्षा है. गरज एवं छीटों के साथ बारिश होगी और और फसलों के लिए उत्तम समय रहेगा.

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