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मंदा है इस बार गणपति की मूर्ति का व्यापार, घरों में भी विघ्नहर्ता को स्थापित करने से बच रहे लोग

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Published : Aug 22, 2020, 1:08 PM IST

शहडोल में कोरोना काल के चलते गणेश जी की मूर्ति का व्यापार मंदा है. व्यापार करने वाले लोग भी निराश हैं, पहले तो मूर्तिकार निराश हुए, क्योंकि उन्हें बड़ी-बड़ी मूर्तियां बनाने का मौका नहीं मिला.

shahdol
मंदा है इस बार गणपति की मूर्ति का व्यापार

शहडोल। गणेश चतुर्थी का दिन बहुत खास होता है. इस दिन का इंतजार साल भर से हर कोई करता है, क्योंकि गणेश चतुर्थी के दिन विघ्नहर्ता की स्थापना होती है. लेकिन इस बार कोरोना काल का असर गणेश चतुर्थी पर भी नजर आया. मूर्तिकार परेशान रहे, क्योंकि उन्हें बड़ी मूर्तियां बनाने के लिए नहीं मिली, दुकानदार परेशान हैं, क्योंकि उनका व्यापार मंदा है. लोग परेशान हैं क्योंकि इस कोरोना काल में शासन ने पहले ही बाहर लगने वाले पंडाल को बैन कर दिया है और लोगों के मन में इस बीमारी को लेकर खौफ इतना है कि इस खौफ की वजह से कई लोग तो अपने घरों में भी गणेश मूर्ति स्थापित नहीं कर पा रहे हैं. एक तरह से कहा जाए तो इस कोरोना काल में सब कुछ बेहाल है.

मंदा है इस बार गणपति की मूर्ति का व्यापार

गणेश उत्सव पर भी कोरोना का खौफ

कोरोना वायरस का खौफ इस बार गणेश उत्सव पर भी देखने को मिल रहा है. पंडाल लगाकर गणेश जी की स्थापना करने पर तो पहले ही शासन ने प्रतिबंधित लगा दिया है, लेकिन इस बार कोरोना वायरस का खौफ इतना ज्यादा है कि कुछ लोग घरों पर भी गणेश जी की मूर्ति स्थापित करने से बचते नजर आ रहे हैं और इसके पीछे लोगों का कहना है कि वो गणेश जी की स्थापना घर में करेंगे तो उनके आस-पड़ोस के लोग भी घरों में आएंगे. संक्रमण का खतरा इतना ज्यादा फैला हुआ है, जिसके चलते लोग डरे हुए हैं.

कारोबार मंदा होने से व्यापारी निराश

इस कोरोना काल में गणेश जी की मूर्ति का व्यापार करने वाले लोग भी निराश हैं, पहले तो मूर्तिकार निराश हुए, क्योंकि उन्हें बड़ी-बड़ी मूर्तियां बनाने का मौका नहीं मिला. बड़ी-बड़ी मूर्तियां बिकती भी जल्दी हैं, लोग लेकर भी जल्दी जाते हैं और उसमें पैसे भी ज्यादा मिलते थे, लेकिन इस बार बड़ी मूर्तियां बनाने का मौका ही नहीं मिला. छोटी मूर्तियां बनाई जरूर हैं, लेकिन व्यापारी अब उसे बेचने में परेशान हैं. व्यापारियों का कहना है कि इस बार व्यापार 50 फीसदी हो गया है. ग्राहक दुकान पर पहुंच नहीं रहे हैं, लोगों में गणेश जी की मूर्ति स्थापित करने के लिए जो उत्साह पिछले साल तक देखा गया, इस कोरोना काल में वो उत्साह पूरी तरह से डाउन चल रहा है. जिसका असर उनके व्यापार पर है. कुछ व्यापारियों ने तो ये भी कहा कि पिछले साल तक पंडाल लगाकर गणेश मूर्ति बेच लेते थे, लेकिन इस साल कोरोना वायरस की वजह से वो भी प्रतिबंधित है.

कुछ व्यापारियों का तो ये भी कहना है कि इस साल ज्यादा महंगी मूर्तियों की ओर लोगों का ध्यान नहीं जा रहा है, पहले 7 से 8 हजार की मूर्तियां वो बेच लेते थे, लेकिन इस बार ग्राहक आते हैं और सस्ती मूर्तियां बाजार से तलाशते हैं और उनकी पहली पसंद सस्ती मूर्ति बन रही है. व्यापारी कहते हैं इस कोरोना काल में लोगों के पास भी पैसे नहीं हैं.

घर में ऐसी मूर्ति की करें स्थापना होगी फलदायी

अगर आप अपने घर में लंबोदर महाराज को ला रहे हैं और उनकी स्थापना कर रहे हैं. तो इसके लिए पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं की 2 से ढाई फुट के बीच में मूर्ति लेकर घर में पीला कपड़ा सजाकर चंदन लगाकर, वहां पर गणेश जी की पूजन करें, आरती करें और गणेश जी की मूर्ति अगर नाचती हुई मिल जाए, चार भुजा वाली मिल जाए तो ये दोनों बहुत शुभ मानी जाती हैं. क्योंकि अधिकांश जगहों में ऐसी मूर्ति मिलती ही नहीं हैं, पुराणों में लिखा है कि अगर इस तरह की गणेश जी की मूर्ति मिल जाए और उसकी स्थापना की जाए तो विघ्नहर्ता विशेष आशीर्वाद देते हैं.

शहडोल। गणेश चतुर्थी का दिन बहुत खास होता है. इस दिन का इंतजार साल भर से हर कोई करता है, क्योंकि गणेश चतुर्थी के दिन विघ्नहर्ता की स्थापना होती है. लेकिन इस बार कोरोना काल का असर गणेश चतुर्थी पर भी नजर आया. मूर्तिकार परेशान रहे, क्योंकि उन्हें बड़ी मूर्तियां बनाने के लिए नहीं मिली, दुकानदार परेशान हैं, क्योंकि उनका व्यापार मंदा है. लोग परेशान हैं क्योंकि इस कोरोना काल में शासन ने पहले ही बाहर लगने वाले पंडाल को बैन कर दिया है और लोगों के मन में इस बीमारी को लेकर खौफ इतना है कि इस खौफ की वजह से कई लोग तो अपने घरों में भी गणेश मूर्ति स्थापित नहीं कर पा रहे हैं. एक तरह से कहा जाए तो इस कोरोना काल में सब कुछ बेहाल है.

मंदा है इस बार गणपति की मूर्ति का व्यापार

गणेश उत्सव पर भी कोरोना का खौफ

कोरोना वायरस का खौफ इस बार गणेश उत्सव पर भी देखने को मिल रहा है. पंडाल लगाकर गणेश जी की स्थापना करने पर तो पहले ही शासन ने प्रतिबंधित लगा दिया है, लेकिन इस बार कोरोना वायरस का खौफ इतना ज्यादा है कि कुछ लोग घरों पर भी गणेश जी की मूर्ति स्थापित करने से बचते नजर आ रहे हैं और इसके पीछे लोगों का कहना है कि वो गणेश जी की स्थापना घर में करेंगे तो उनके आस-पड़ोस के लोग भी घरों में आएंगे. संक्रमण का खतरा इतना ज्यादा फैला हुआ है, जिसके चलते लोग डरे हुए हैं.

कारोबार मंदा होने से व्यापारी निराश

इस कोरोना काल में गणेश जी की मूर्ति का व्यापार करने वाले लोग भी निराश हैं, पहले तो मूर्तिकार निराश हुए, क्योंकि उन्हें बड़ी-बड़ी मूर्तियां बनाने का मौका नहीं मिला. बड़ी-बड़ी मूर्तियां बिकती भी जल्दी हैं, लोग लेकर भी जल्दी जाते हैं और उसमें पैसे भी ज्यादा मिलते थे, लेकिन इस बार बड़ी मूर्तियां बनाने का मौका ही नहीं मिला. छोटी मूर्तियां बनाई जरूर हैं, लेकिन व्यापारी अब उसे बेचने में परेशान हैं. व्यापारियों का कहना है कि इस बार व्यापार 50 फीसदी हो गया है. ग्राहक दुकान पर पहुंच नहीं रहे हैं, लोगों में गणेश जी की मूर्ति स्थापित करने के लिए जो उत्साह पिछले साल तक देखा गया, इस कोरोना काल में वो उत्साह पूरी तरह से डाउन चल रहा है. जिसका असर उनके व्यापार पर है. कुछ व्यापारियों ने तो ये भी कहा कि पिछले साल तक पंडाल लगाकर गणेश मूर्ति बेच लेते थे, लेकिन इस साल कोरोना वायरस की वजह से वो भी प्रतिबंधित है.

कुछ व्यापारियों का तो ये भी कहना है कि इस साल ज्यादा महंगी मूर्तियों की ओर लोगों का ध्यान नहीं जा रहा है, पहले 7 से 8 हजार की मूर्तियां वो बेच लेते थे, लेकिन इस बार ग्राहक आते हैं और सस्ती मूर्तियां बाजार से तलाशते हैं और उनकी पहली पसंद सस्ती मूर्ति बन रही है. व्यापारी कहते हैं इस कोरोना काल में लोगों के पास भी पैसे नहीं हैं.

घर में ऐसी मूर्ति की करें स्थापना होगी फलदायी

अगर आप अपने घर में लंबोदर महाराज को ला रहे हैं और उनकी स्थापना कर रहे हैं. तो इसके लिए पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं की 2 से ढाई फुट के बीच में मूर्ति लेकर घर में पीला कपड़ा सजाकर चंदन लगाकर, वहां पर गणेश जी की पूजन करें, आरती करें और गणेश जी की मूर्ति अगर नाचती हुई मिल जाए, चार भुजा वाली मिल जाए तो ये दोनों बहुत शुभ मानी जाती हैं. क्योंकि अधिकांश जगहों में ऐसी मूर्ति मिलती ही नहीं हैं, पुराणों में लिखा है कि अगर इस तरह की गणेश जी की मूर्ति मिल जाए और उसकी स्थापना की जाए तो विघ्नहर्ता विशेष आशीर्वाद देते हैं.

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