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Mahashivratri 2023: शिव जी बेलपत्र चढ़ाने से क्यों होते हैं प्रसन्न, इस नियम के साथ चढ़ाएं बिल्वपत्र, मनोकामना होगी पूर्ण

महाशिवरात्रि के दिन बाबा भोलेनाथ के ऊपर बेलपत्र चढ़ाने का एक अलग महत्व है. इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री का कहना है कि हिन्दू धर्म में बाबा भोले भंड़ारी को प्रसन्न करना सबसे आसान है. उनके आशिर्वाद से दुनिया की हरेक खुशी मिल जाती है. ऐसे में बस बेलपत्र को सही तरीके से चढ़ाने मात्र से ही हर मनोकामना पूर्ण होगी. जानें ज्योतिषाचार्य से कि आखिर वह सटीक विधि क्या है. Mahashivratri Bel Patra

Mahashivratri Bel Patra
महाशिवरात्रि 2023
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Published : Feb 13, 2023, 5:13 PM IST

Updated : Feb 13, 2023, 5:30 PM IST

महाशिवरात्रि 2023

शहडोल। इस बार महाशिवरात्रि का पर्व 18 फरवरी को मनाया जाएगा. इसको लेकर शिवालयों में तैयारियां जोरों पर हैं, शिव भक्त देवों के देव महादेव को प्रसन्न करने के लिए लगातार तैयारियों में जुटे हुए हैं. इस दिन शिव भक्त कड़ी शिव उपासना करते हैं. अगर आप भी महादेव की विशेष कृपा पाना चाहते हैं तो बेलपत्र (Mahashivratri Bel Patra) के महत्व को समझना बेहद जरूरी है. ज्योतिष के जानकारों के मुताबिक भगवान शिव के पूजन में बेलपत्र का विशेष महत्व है. शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करने से महादेव प्रसन्न होते हैं, मान्यता है कि शिवजी की उपासना बिना बेलपत्र के पूरी नहीं होती.

बेलपत्र चढ़ाने से शिव जी होते हैं प्रसन्न: ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं कि, इस दिन काफी संख्या में भक्त शिव उपासना करते हैं और भोलेनाथ के ऊपर बेलपत्र या धतूरा का फूल या धतूर का फल चढ़ाते हैं, जिससे शिव जी प्रसन्न होते हैं. इससे शिव उपासना पूरी होती है और महादेव के भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है.

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ऐसे चढ़ाएं बेलपत्र: ज्योतिषाचार्य सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि, शास्त्रों में लिखा है 'अखंडई बिल्वपत्रश, पूजये शिव शंकरम, कोटि कन्या महादानम, बिल्व पत्रम समर्पयामि'। यानी अखंड बेलपत्र, 3 या इससे ज्यादा बेलपत्र चढ़ाने पर जो पुण्य मिलता है, जो करोड़ों कन्याओं के विवाह करने पर पुण्य मिलता है, वो महाशिवरात्रि के दिन बाबा भोलेनाथ पर धतुरा और बेलपत्र चढ़ाकर मिल जाता है. बेलपत्र को लेकर दूसरा शास्त्रों में वर्णित है कि, 'त्रि दलम त्रिगुणा कारम त्रिनेत्रम च त्रियाउधम, यन्म पाप संघारम, बिल्ब पत्रम समर्पयामि'. इसका मतलब 3 काल, समय, देवता होते हैं. काल में सुबह, दोपहर, शाम और तीन देवता में ब्रह्मा, विष्णु, महेश. शास्त्रों में लिखा है महाशिवरात्रि पर कितना भी बड़ा पाप किया हो अगर बेलपत्र और धतुरा चढ़ाते हैं तो वहीं सारे पाप नष्ट हो जाते हैं.

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तीन दल वाले बेलपत्र चढ़ाएं: महाशिवरात्रि के दिन तांबे के लोटे से शंकर भगवान पर जल चढ़ाएं, साथ ही 3 या 11 ऐसे बेलपत्र चढ़ाएं जिसमें तीनों दल हों. इसपर राम नाम भी लिख लें तो और बेहतर है. घर का कोई भी सदस्य अगर भगवान शिव पर बेलपत्र चढ़ाते हैं तो परिवार के सभी सदस्यों का कल्याण होता है.

ये कथा है प्रचलित: शास्त्रों में तो वर्णित है कि एक शिकारी बेल के पेड़ पर चढ़कर शिकार की तलाश में छुप कर बैठा था. उससे टक्कर लगने से कुछ बेलपत्र नीचे गिर गए थे और नीचे शिव जी विराजमान थे. अचानक बेलपत्र बाबा भोलेनाथ पर गिरा जिससे वे प्रसन्न हो गए. इसके बाद उन्होंने शिकारी से वरदान मांगने को कहा, जिसपर शिकारी ने कहा कि, हर महाशिवरात्रि जो भक्त आपके ऊपर बेलपत्र चढ़ा देगा उसका आप कल्याण कर देंगे. यह कथा काफी प्रचलित है.

बेलपत्र का भगवान शंकर से अनोखा संबंध: ऐसा माना जाता है कि शिवजी को बेलपत्र चढ़ाने पर भक्तों को आध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति होती है. बेल वृक्ष के नीचे शिवलिंग की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने से वे बहुत प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को मनचाहा वर देते हैं. उनकी मनोकामना को पूर्ण करते हैं और उनकी उपासना भी पूर्ण होती है. ऐसा माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन ऐसा करने से विशेष फल की प्राप्त होती है.

महाशिवरात्रि 2023

शहडोल। इस बार महाशिवरात्रि का पर्व 18 फरवरी को मनाया जाएगा. इसको लेकर शिवालयों में तैयारियां जोरों पर हैं, शिव भक्त देवों के देव महादेव को प्रसन्न करने के लिए लगातार तैयारियों में जुटे हुए हैं. इस दिन शिव भक्त कड़ी शिव उपासना करते हैं. अगर आप भी महादेव की विशेष कृपा पाना चाहते हैं तो बेलपत्र (Mahashivratri Bel Patra) के महत्व को समझना बेहद जरूरी है. ज्योतिष के जानकारों के मुताबिक भगवान शिव के पूजन में बेलपत्र का विशेष महत्व है. शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करने से महादेव प्रसन्न होते हैं, मान्यता है कि शिवजी की उपासना बिना बेलपत्र के पूरी नहीं होती.

बेलपत्र चढ़ाने से शिव जी होते हैं प्रसन्न: ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं कि, इस दिन काफी संख्या में भक्त शिव उपासना करते हैं और भोलेनाथ के ऊपर बेलपत्र या धतूरा का फूल या धतूर का फल चढ़ाते हैं, जिससे शिव जी प्रसन्न होते हैं. इससे शिव उपासना पूरी होती है और महादेव के भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है.

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ऐसे चढ़ाएं बेलपत्र: ज्योतिषाचार्य सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि, शास्त्रों में लिखा है 'अखंडई बिल्वपत्रश, पूजये शिव शंकरम, कोटि कन्या महादानम, बिल्व पत्रम समर्पयामि'। यानी अखंड बेलपत्र, 3 या इससे ज्यादा बेलपत्र चढ़ाने पर जो पुण्य मिलता है, जो करोड़ों कन्याओं के विवाह करने पर पुण्य मिलता है, वो महाशिवरात्रि के दिन बाबा भोलेनाथ पर धतुरा और बेलपत्र चढ़ाकर मिल जाता है. बेलपत्र को लेकर दूसरा शास्त्रों में वर्णित है कि, 'त्रि दलम त्रिगुणा कारम त्रिनेत्रम च त्रियाउधम, यन्म पाप संघारम, बिल्ब पत्रम समर्पयामि'. इसका मतलब 3 काल, समय, देवता होते हैं. काल में सुबह, दोपहर, शाम और तीन देवता में ब्रह्मा, विष्णु, महेश. शास्त्रों में लिखा है महाशिवरात्रि पर कितना भी बड़ा पाप किया हो अगर बेलपत्र और धतुरा चढ़ाते हैं तो वहीं सारे पाप नष्ट हो जाते हैं.

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तीन दल वाले बेलपत्र चढ़ाएं: महाशिवरात्रि के दिन तांबे के लोटे से शंकर भगवान पर जल चढ़ाएं, साथ ही 3 या 11 ऐसे बेलपत्र चढ़ाएं जिसमें तीनों दल हों. इसपर राम नाम भी लिख लें तो और बेहतर है. घर का कोई भी सदस्य अगर भगवान शिव पर बेलपत्र चढ़ाते हैं तो परिवार के सभी सदस्यों का कल्याण होता है.

ये कथा है प्रचलित: शास्त्रों में तो वर्णित है कि एक शिकारी बेल के पेड़ पर चढ़कर शिकार की तलाश में छुप कर बैठा था. उससे टक्कर लगने से कुछ बेलपत्र नीचे गिर गए थे और नीचे शिव जी विराजमान थे. अचानक बेलपत्र बाबा भोलेनाथ पर गिरा जिससे वे प्रसन्न हो गए. इसके बाद उन्होंने शिकारी से वरदान मांगने को कहा, जिसपर शिकारी ने कहा कि, हर महाशिवरात्रि जो भक्त आपके ऊपर बेलपत्र चढ़ा देगा उसका आप कल्याण कर देंगे. यह कथा काफी प्रचलित है.

बेलपत्र का भगवान शंकर से अनोखा संबंध: ऐसा माना जाता है कि शिवजी को बेलपत्र चढ़ाने पर भक्तों को आध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति होती है. बेल वृक्ष के नीचे शिवलिंग की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने से वे बहुत प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को मनचाहा वर देते हैं. उनकी मनोकामना को पूर्ण करते हैं और उनकी उपासना भी पूर्ण होती है. ऐसा माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन ऐसा करने से विशेष फल की प्राप्त होती है.

Last Updated : Feb 13, 2023, 5:30 PM IST
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