शहडोल। कोरोनाकाल की वजह से हर वर्ग का नुकसान हुआ है, जिसमें हर दिन स्कूल जाकर पढ़ाई करने वाले बच्चों का नुकसान भी शामिल है. इस कोरोना काल और लॉकडाउन के दौर में बच्चों की पढ़ाई का नुकसान तो हुआ ही है. साथ ही बच्चों की दैनिक दिनचर्या, उनके स्वास्थ्य, उनकी आदतों, पर भी इसका बड़ा असर देखने को मिला है. धीरे-धीरे फिर से सब कुछ पटरी पर आने को है. स्कूलों में भी कुछ क्लासेस लगने लग गई है और अब भविष्य में स्कूल खुलने की संभावनाएं बन रही हैं. ऐसे में क्या कुछ किया जा सकता है, जिससे बच्चों को फिर से उनके पुराने रूटीन पर लौटाया जा सके, उनकी दिनचर्या बदली जा सके. वहीं उनके स्वास्थ्य और आदतों को भी सुधारा जा सके इसके लिए ईटीवी भारत ने बात की अलग-अलग एक्सपर्ट से देखिए यह स्पेशल रिपोर्ट.
कोरोनाकाल ने स्कूली बच्चों का भी किया बड़ा नुकसान
इस कोरोनाकाल में वैसे तो हर वर्ग का बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है, लेकिन स्कूली बच्चों का भी इस कोरोनाकाल और लॉकडाउन के दौर में बहुत ज्यादा ज्यादा नुकसान हुआ है स्कूली बच्चों की पूरी दिनचर्या बदल चुकी है ऐसे में अब बड़ी चुनौती होने वाली है कि उन स्कूली बच्चों को उनके दैनिक दिनचर्या में फिर से उन्हें रूटीन में वापस लाया जा सके, जिसमें पेरेंट्स और शिक्षकों के लिए बड़ी चुनौती होने वाली है, क्योंकि कोरोनाकाल और लॉक डाउन के दौर में बच्चों में देरी से उठने की आदत पड़ गई है. स्मार्टफोन और टेलीविजन के संपर्क में आने से भी बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर इसका असर पड़ा है और तो और बच्चों को नैतिक चुप्पी की भी आदत हो रही है. ऐसे में कैसे बच्चों को आसानी से उनके पुराने रूटीन पर वापस लाया जा सकता है यह भी एक बड़ी समस्या होने वाली है और ऐसे में इन समस्याओं के समाधान के लिए हमने अलग-अलग एक्सपर्ट से बात की है.
पेरेंट्स को निभानी होगी सहभागिता
संतोष मिश्रा एक ऐसे युवा शिक्षक जो बच्चों के बीच नई-नई चीजों को लेकर हमेशा ही जुड़े रहते हैं और नए नए प्रयोग करते रहते हैं. उनका भी मानना है कि कोरोनाकाल और लॉक डाउन में निश्चित रूप से बच्चों में बहुत बदलाव आए हैं, क्योंकि पहले उनका रूटीन जो हुआ करता था वह पूरी तरीके से आज के समय में डिस्टर्ब हो चुका है. अब हम अगर फिर से उन्हें रूटीन में लाना चाहें तो इसमें सबसे बड़ा रोल अब अभिभावकों का होने वाला है कि सुबह के समय में भले ही स्कूल नहीं लग रहे हैं लेकिन सुबह के समय में पेरेंट्स को उठना होगा, बच्चों को भी स्कूल जाने के समय में लगभग उसी समय में उठाना होगा, और उठने के बाद फिजिकल एक्टिविटी बच्चों को इन्वॉल्व करना होगा.
टीचर्स के सामने होगी चुनौतियां
पूरी तरह से स्कूल खुलने के बाद टीचर के सामने भी बड़ी चुनौतियां आने वाली है, क्योंकि पिछले 1 साल से बच्चों के रूटीन जो है डिस्टर्ब हो चुके हैं ऐसे में बच्चों को रूटीन में लाने के लिए टीचर को भी काफी सारे प्रयोग करने पड़ेंगे. मेहनत करनी पड़ेगी और बच्चों को भी समझना होगा. शिक्षक संतोष मिश्रा कहते हैं कि बच्चों का जो रूटीन है वह पूरी तरह से डिस्टर्ब हो चुका है अब इन बच्चों को रूटीन में लाने के लिए निश्चित तौर पर मेहनत करनी पड़ेगी क्योंकि बच्चों के आज की स्थिति में पढ़ाई में मन नहीं लग रहा है जितना पहले पढ़ पाते थे वह नहीं पढ़ पा रहे हैं. ऐसे में टीचर को विशेष ध्यान देना होगा, कि टीचर धीरे-धीरे करके उनसे एकदम से बदलाव की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं करे, क्योंकि वह हमसे ऑनलाइन माध्यम से ही जुड़े रहे हैं ऐसे में तो उनके अंदर जो बदलाव आएगा टीचर ही लाएगा.
बच्चों की शिकायतें आने लगी हैं
आयुर्वेद, पंचकर्म और योग स्पेशलिस्ट डॉक्टर तरुण सिंह ने बताया की लॉकडाउन में रुटीन बदलने से बच्चों के स्वास्थ्य पर भी असर हुआ है ऐसे में बच्चों के परिजन बच्चों के मोटापे की शिकयत लेकर डॉक्टर के पास पहुंच रहे है. इस कोरोनालकाल में बच्चों का निकलना बंद हो गया था ऐसे में बच्चों के साथ अब मोटापे और नींद न आने जैसी समस्याएं आ रही है. वहीं बच्चे चिड़चिड़े हो रहे हैं, जो चिंता विषय है.
स्मार्टफोन की आदत ऐसे छुड़ाएं
डॉक्टर तरुण सिंह का कहना है कि इस लॉकडाउन में बच्चों को पड़ी मोबाइल की लत भी चिंता का विषय है. इस पर डॉक्टर ने बताया कि बच्चों को मोबाइल से दूर रखने के लिए पेरेंट्स को भी मोबाइल के उपयोग को कम करना होगा. कोरोनाकाल में ये मजबूरी रही की बच्चों को ऑनलाइन क्लासेस लेनी पड़ रही है तो अब उन्हें समझाना होगा की क्लासेस का अलावा मोबाइल के उपयोग वो कम से कम करे या न करे. इसके लिए पेरेंट्स को भी जागरूक होना चाहिए की वो बच्चों के सामने मोबाइल का यूज ना करें, जिससे बच्चों को लगे कि यह वास्तव में यह सिर्फ जरूरी चीज है, मनोरंजन की चीज नहीं.
बच्चों के रूटीन में ऐसे लाए बदलाव
डॉक्टर तरुण सिंह कहते हैं कि बच्चों की दिनचर्या को सही करने के लिए सबसे पहले तो उन्हें सुबह जल्दी उठने की आदत डाले और फिर उन्हें एक्सरसाइज करने के लिए कहे. पेरेंट्स खुद उठे साथ में योग, प्राणायाम करें जिससे बच्चों को प्रेरणा मिलेगी. डॉक्टर का कहना है पैरेंट्स को भी अपने अंदर बदलाव लाने होंगे, ताकि वो बच्चोें को सुधार सकें. पेरेंट्स शाम को घूमने जाएं, और बच्चों को भी ले जाए. ऐसे ज्यादा से ज्यादा समय बच्चों के साथ बिताने से उनकी मोबाइल की लत को कम किया जा सकता है और उनकी दिनचर्चा में भी बदलाव किया जा सकता है.
योग से ऐसे बदलें बच्चों की आदत
आयुर्वेद पंचकर्म और योग स्पेशलिस्ट डॉक्टर तरुण सिंह कहते हैं कि योग से कई तरह के अवसाद और समस्याएं दूर होती है. ऐसे में अभी बच्चों में आ रही नींद की समस्या और चिड़चिड़ापन दूर करने के लिए ये सबसे अच्छा उपाय है. इससे उसका मानसिक और शारीरिक विकास भी अच्छा होगा. ऐसे में बच्चों के लिए भी ये सारी चीजें जरूरी है. साथ में बच्चों को छोटे-छोटे कुछ सूक्ष्म व्यायाम करवाएं. कुछ आसन करवाएं जिससे उनका शारीरिक विकास अच्छा हो
गौरतलब है कि इस कोरोनाकाल और लॉक डाउन के दौर ने स्कूली बच्चों का भी बहुत ज्यादा नुकसान किया है. ऐसे में उन्हें उनकी दैनिक दिनचर्या में वापस लाने में उनकी आदतों में बदलाव लाने में साथ ही उनके स्वास्थ्य को लेकर जो हानि पहुंची है उसको मेंटेन करने में कहीं ना कहीं एक बड़ी चुनौतियां आने वाली है, जिसमें पेरेंट्स को सबसे ज्यादा बढ़ा रोल अदा करना पड़ेगा.