ETV Bharat / state

Shahdol Stadium Athletics Game: आदिवासी अंचल के खिलाड़ियों का खेल से मोहभंग, स्टेडियम में घट रही एथलेटिक्स खिलाड़ियों की संख्या - Shahdol Stadium Athletics tribal players

शहडोल जिले के स्टेडियम में कभी एथलेटिक्स खिलाड़ियों की भरमार हुआ करती थी. सुबह हो या शाम एक से बढ़कर एक खिलाड़ी प्रैक्टिस करने पहुंचते थे.(Shahdol players disillusioned In game) खिलाड़ी यहां पर पसीना बहाते थे. क्योंकि, उन्हें स्टेट और नेशनल लेवल पर मेडल जो हासिल करना था, लेकिन इन दिनों इसी स्टेडियम में एथलेटिक्स के खिलाड़ियों की संख्या घट रही है (Inflation hit in athletics game) या यूं कहें कि, एथलेटिक्स से खिलाड़ियों का मोहभंग हो रहा है. आखिर क्या वजह है जिससे खिलाड़ी इस खेल से अपना इंटरेस्ट हटा रहे हैं. प्रैक्टिस के लिए भी अब यहां कम खिलाड़ी पहुंच रहे हैं. देखें रिपोर्ट...(Shahdol Stadium Athletics Game) (Shahdol Stadium Athletics tribal players) (Shahdol Athletics Players)

Shahdol Stadium Athletics Game
आदिवासी अंचल के खिलाड़ियों का खेल से मोहभंग
author img

By

Published : Oct 15, 2022, 11:05 AM IST

शहडोल। कहते हैं भारत इतना बड़ा देश है फिर भी एथलेटिक्स में ओलंपिक में उसके कम मेडल क्यों आते हैं, तो उसकी सबसे बड़ी वजह है एथलेटिक्स खिलाड़ियों के लिए सही व्यवस्था ना होना. शहडोल आदिवासी बाहुल्य जिला है. यहां पर कई ऐसे एथलेटिक्स खिलाड़ी हैं जिन्हें अगर बेहतर व्यवस्था मिले तो कमाल कर सकते हैं, लेकिन एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के नए-नए नियम अब इन गरीब खिलाड़ियों के खेल के आड़े आ रहे हैं. जिन खिलाड़ियों के पास बेहतर डाइट की व्यवस्था नहीं है वह खिलाड़ी आखिर इस खेल में हिस्सा लेने के लिए इतना पैसा कहां से ला पाएंगे. इसका असर ये है कि, अब एथलेटिक्स से खिलाड़ियों का धीरे-धीरे मोहभंग हो रहा है.(Shahdol Stadium Athletics Game) (Shahdol Stadium Athletics tribal players) (Shahdol Athletics Players)

आदिवासी अंचल के खिलाड़ियों का खेल से मोहभंग

नए रूल्स बन रहे बाधा: आखिर एथलेटिक्स के खिलाड़ियों का यहां क्यों हो रहा मोह भंग. इसे जानने के लिए हमने खिलाड़ियों से ही बात की तो उनका कहना है कि, एएफआई का जो नया रुल आया है उससे अब काफी दिक्कतें आ रही हैं. हमने हर तरह के खिलाड़ियों से बात की फिर चाहे शॉट पुट का खिलाड़ी हो. लॉन्ग जंपर हो या हाई जंपर सभी का यही कहना है कि, पहले खेल में हिस्सा लेने के लिए इतनी मशक्कत नहीं करनी पड़ रही थी, लेकिन अब एथलीट बनने के लिए पहले कोड जनरेट कराना होता है. इसके लिए 500 की फीस भरना होता है. उसमें भी अगर अप्रूवल नहीं मिला तो फीस भी कट जाती है.

Shahdol Stadium Athletics Game
शहडोल स्टेडियम में एथलेटिक्स के खिलाड़ी

खेल से मोहभंग, कहां से लाएं पैसा: खिलाड़ियों का कहना है कि खेल को लेकर इन दिनों काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. स्टेट ओपन और नेशनल ओपन में तो 600 रुपये हर इवेंट के लिए फीस जमा करना होता है. खिलाड़ियों ने कहा कि, इतना पैसा कहां से ला पाएंगे. यात्रा खर्च, खाने रहने का खर्च और खेल में हिस्सा लेने के फीस को मिलाकर देखा जाए तो 10 से 12 हजार एक बार के टूर में लगेंते हैं. ऐसे में इतना पैसा कहां से लाएंगे. यही वजह है कि, अब खिलाड़ियों का एथलेटिक्स के खेल से मोहभंग हो रहा है. जो कुछ खिलाड़ी प्रैक्टिस करने पहुंच भी रहे हैं तो वह इस सिस्टम को लेकर काफी निराश हैं, हताश हैं.

Shahdol Athletics Players
एथलेटिक्स खेल में महंगाई की मार

डाइट के लिए पैसे नहीं: शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है. यहां गरीब तबके के खिलाड़ी ज्यादा हैं. इनका खेल तो बहुत अच्छा है, लेकिन डाइट ना होने की वजह से उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. किसी कदर समाजसेवियों के माध्यम से अगर डाइट की व्यवस्था हो भी गई तो अब जिस तरह से ए एफ आई ने अपने नए रूल्स में ओपन गेम्स के लिए एंट्री फीस बढ़ाया है. उससे खिलाड़ियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

प्रशिक्षण और सुविधाएं हासिल कर बुंदेलखंड का नाम रोशन कर रहे हैं युवा

खेल में महंगाई की मार: इन गरीब खिलाड़ियों का कहना है कि, यहां प्रॉपर डाइट के लिए तो पैसे नहीं होते तो वह खेल में हिस्सा लेने के लिए कहां से लाएंगे इतना पैसा. अब तो एथलेटिक्स के खेल में भी महंगाई की मार देखने को मिल रही है. खिलाड़ियों का कहना है कि, अब तो एथलेटिक्स में करियर ही अंधकार में लग रहा है. चतुराई इसी में है कि एथलेटिक्स के अलावा दूसरे खेलों की ओर अब अपने आप को मोड़ लिया जाए.

कोच भी चिंतित: एथलेटिक्स खिलाड़ियों का एथलेटिक्स के खेल से हो रहे मोहभंग को लेकर एथलेटिक्स कोच धीरेंद्र सिंह बताते हैं कि, एथलेटिक्स में पिछले 5 महीने से एक नया नियम आया है. इसमें एथलीट को सबसे पहले मेंबर शिप लेनी पड़ती है. जिसमें कोड जनरेशन के लिए 500 रुपये लगते हैं. जिसके बाद जब ये कोड जनरेट हो जाता है. उसके बाद जब भी खेल कैलेंडर के अनुसार एथलेटिक्स की जो विधाएं होती है. ओपन स्टेट लेवल और नेशनल लेवल की तो स्टेट लेवल के लिए पर इवेंट 600 रुपये अलग से लग रहा है, पहले जो व्यवस्था थी विगत 17 साल हो गए हमें एथलेटिक्स की कोचिंग देते हुए टीम को लेकर जाते हुए हम लोग खुद एफर्ट कर लिया करते थे. क्योंकि जो एंट्री फीस पहले हुआ करती थी वो बहुत नॉमिनल होती है. 5 से 10 रुपये पर इवेंट था. तो हम इस बात का खिलाड़ियों को पता ही नहीं होने देते थे कि आपका इसमें एंट्री फीस भी लग रहा है. हम लोग खुद वो फीस जमा कर देते थे, लेकिन अभी जो स्थिति बनी हुई है वो एथलीटों के लिए पक्ष में नहीं है.(Shahdol Athletics Players)

एएफआई में बदलाव: रेलवे भी पहले इन खिलाड़ियों को कंसेशन दिया करता था. एएफआई के माध्यम से स्टेट लेवल के माध्यम से लेकिन अब ये भी बंद हो गया है. वहां से कंसेशन आना भी बंद हो गया है. हालांकि रेलवे स्टूडेंट के लिए बहुत सारी सुविधाएं देता है, लेकिन उसका लाभ जब कंसेशन स्लिप हमको मिलेगी तभी हम उसका लाभ ले पाएंगे लेकिन एएफआई की ओर से वही नहीं मिल पा रहा. दूसरी बात जब वहां पर जाते थे पैसों के लिए नो प्रॉफिट नो लॉस पर सुबह-शाम डाइट के लिए एक स्टाल लगा दिया जाता था जो एथलीटों के लिए बहुत ही राहत थी. (Shahdol Stadium Athletics tribal players)

National Games 2022: गुजरात की इलावेनिल को गोल्ड, एथलेटिक्स में नौ रिकॉर्ड टूटे

पहले था सस्ता आवास: इसी तरह आवास के लिए भी इनको सस्ता आवास उपलब्ध कराया जाता था, लेकिन वर्तमान स्थिति यह हो गई है कि, एक एथलीट पार्टिसिपेंट करना चाहता है तो 10 से 12 हजार रूपये अफ्फोर्ट उसको करना पड़ता है. इसके बाद मिडिल क्लास के जो लोग हैं गरीब तबके के लोग हैं उनके लिए भी इसे एफोर्ड करना बड़ी समस्या हो गई है.खिलाडियों का कहना है कि, शासन को भी यह सोचना चाहिए कि एसोसिएशन को कोई ऐसी फंडिंग करें जिससे बच्चों की खेल में अच्छी पार्टिसिपेशन हो. निश्चित रूप से जब ज्यादा से ज्यादा पार्टिसिपेंट आएंगे तो अच्छे परफ़ॉर्म की ओर खिलाड़ियों का रुझान जाएगा.

बच्चों का भी खेल के प्रति रुझान कम: आपको बता दें कि जो एथलेटिक्स है वह गेम है जिससे सारे एथलीट निकलते हैं. अगर इसी तरह की व्यवस्था होगी तो गरीब पार्टिसिसिपेन्ट नहीं होगा. इस तरह की व्यवस्था के बाद बच्चों का भी खेल के प्रति रुझान कम हुआ है. इसी ग्राउंड में कभी 15 से 20 बच्चे आया करते थे, लेकिन अब उनको इस खेल में अपना भविष्य अंधकार में दिख रहा है. इसके अलावा एएफआई ने एक रूल और जारी किया है. अगर आप स्टेट पार्टिसिपेट करते हैं और 400 मीटर दौड़ते हैं तो कम से कम 52 सेकंड की टाइमिंग चाहिए. अगर आप इस टाइम को पार नहीं करते हैं तो आपको सर्टिफिकेट भी नहीं मिलेगा. इस तरह से अगर कोई एथलीट जाता भी है तो, उसे सर्टिफिकेट हाथ नहीं लगता. (Shahdol Stadium Athletics Game)

शहडोल। कहते हैं भारत इतना बड़ा देश है फिर भी एथलेटिक्स में ओलंपिक में उसके कम मेडल क्यों आते हैं, तो उसकी सबसे बड़ी वजह है एथलेटिक्स खिलाड़ियों के लिए सही व्यवस्था ना होना. शहडोल आदिवासी बाहुल्य जिला है. यहां पर कई ऐसे एथलेटिक्स खिलाड़ी हैं जिन्हें अगर बेहतर व्यवस्था मिले तो कमाल कर सकते हैं, लेकिन एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के नए-नए नियम अब इन गरीब खिलाड़ियों के खेल के आड़े आ रहे हैं. जिन खिलाड़ियों के पास बेहतर डाइट की व्यवस्था नहीं है वह खिलाड़ी आखिर इस खेल में हिस्सा लेने के लिए इतना पैसा कहां से ला पाएंगे. इसका असर ये है कि, अब एथलेटिक्स से खिलाड़ियों का धीरे-धीरे मोहभंग हो रहा है.(Shahdol Stadium Athletics Game) (Shahdol Stadium Athletics tribal players) (Shahdol Athletics Players)

आदिवासी अंचल के खिलाड़ियों का खेल से मोहभंग

नए रूल्स बन रहे बाधा: आखिर एथलेटिक्स के खिलाड़ियों का यहां क्यों हो रहा मोह भंग. इसे जानने के लिए हमने खिलाड़ियों से ही बात की तो उनका कहना है कि, एएफआई का जो नया रुल आया है उससे अब काफी दिक्कतें आ रही हैं. हमने हर तरह के खिलाड़ियों से बात की फिर चाहे शॉट पुट का खिलाड़ी हो. लॉन्ग जंपर हो या हाई जंपर सभी का यही कहना है कि, पहले खेल में हिस्सा लेने के लिए इतनी मशक्कत नहीं करनी पड़ रही थी, लेकिन अब एथलीट बनने के लिए पहले कोड जनरेट कराना होता है. इसके लिए 500 की फीस भरना होता है. उसमें भी अगर अप्रूवल नहीं मिला तो फीस भी कट जाती है.

Shahdol Stadium Athletics Game
शहडोल स्टेडियम में एथलेटिक्स के खिलाड़ी

खेल से मोहभंग, कहां से लाएं पैसा: खिलाड़ियों का कहना है कि खेल को लेकर इन दिनों काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. स्टेट ओपन और नेशनल ओपन में तो 600 रुपये हर इवेंट के लिए फीस जमा करना होता है. खिलाड़ियों ने कहा कि, इतना पैसा कहां से ला पाएंगे. यात्रा खर्च, खाने रहने का खर्च और खेल में हिस्सा लेने के फीस को मिलाकर देखा जाए तो 10 से 12 हजार एक बार के टूर में लगेंते हैं. ऐसे में इतना पैसा कहां से लाएंगे. यही वजह है कि, अब खिलाड़ियों का एथलेटिक्स के खेल से मोहभंग हो रहा है. जो कुछ खिलाड़ी प्रैक्टिस करने पहुंच भी रहे हैं तो वह इस सिस्टम को लेकर काफी निराश हैं, हताश हैं.

Shahdol Athletics Players
एथलेटिक्स खेल में महंगाई की मार

डाइट के लिए पैसे नहीं: शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है. यहां गरीब तबके के खिलाड़ी ज्यादा हैं. इनका खेल तो बहुत अच्छा है, लेकिन डाइट ना होने की वजह से उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. किसी कदर समाजसेवियों के माध्यम से अगर डाइट की व्यवस्था हो भी गई तो अब जिस तरह से ए एफ आई ने अपने नए रूल्स में ओपन गेम्स के लिए एंट्री फीस बढ़ाया है. उससे खिलाड़ियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

प्रशिक्षण और सुविधाएं हासिल कर बुंदेलखंड का नाम रोशन कर रहे हैं युवा

खेल में महंगाई की मार: इन गरीब खिलाड़ियों का कहना है कि, यहां प्रॉपर डाइट के लिए तो पैसे नहीं होते तो वह खेल में हिस्सा लेने के लिए कहां से लाएंगे इतना पैसा. अब तो एथलेटिक्स के खेल में भी महंगाई की मार देखने को मिल रही है. खिलाड़ियों का कहना है कि, अब तो एथलेटिक्स में करियर ही अंधकार में लग रहा है. चतुराई इसी में है कि एथलेटिक्स के अलावा दूसरे खेलों की ओर अब अपने आप को मोड़ लिया जाए.

कोच भी चिंतित: एथलेटिक्स खिलाड़ियों का एथलेटिक्स के खेल से हो रहे मोहभंग को लेकर एथलेटिक्स कोच धीरेंद्र सिंह बताते हैं कि, एथलेटिक्स में पिछले 5 महीने से एक नया नियम आया है. इसमें एथलीट को सबसे पहले मेंबर शिप लेनी पड़ती है. जिसमें कोड जनरेशन के लिए 500 रुपये लगते हैं. जिसके बाद जब ये कोड जनरेट हो जाता है. उसके बाद जब भी खेल कैलेंडर के अनुसार एथलेटिक्स की जो विधाएं होती है. ओपन स्टेट लेवल और नेशनल लेवल की तो स्टेट लेवल के लिए पर इवेंट 600 रुपये अलग से लग रहा है, पहले जो व्यवस्था थी विगत 17 साल हो गए हमें एथलेटिक्स की कोचिंग देते हुए टीम को लेकर जाते हुए हम लोग खुद एफर्ट कर लिया करते थे. क्योंकि जो एंट्री फीस पहले हुआ करती थी वो बहुत नॉमिनल होती है. 5 से 10 रुपये पर इवेंट था. तो हम इस बात का खिलाड़ियों को पता ही नहीं होने देते थे कि आपका इसमें एंट्री फीस भी लग रहा है. हम लोग खुद वो फीस जमा कर देते थे, लेकिन अभी जो स्थिति बनी हुई है वो एथलीटों के लिए पक्ष में नहीं है.(Shahdol Athletics Players)

एएफआई में बदलाव: रेलवे भी पहले इन खिलाड़ियों को कंसेशन दिया करता था. एएफआई के माध्यम से स्टेट लेवल के माध्यम से लेकिन अब ये भी बंद हो गया है. वहां से कंसेशन आना भी बंद हो गया है. हालांकि रेलवे स्टूडेंट के लिए बहुत सारी सुविधाएं देता है, लेकिन उसका लाभ जब कंसेशन स्लिप हमको मिलेगी तभी हम उसका लाभ ले पाएंगे लेकिन एएफआई की ओर से वही नहीं मिल पा रहा. दूसरी बात जब वहां पर जाते थे पैसों के लिए नो प्रॉफिट नो लॉस पर सुबह-शाम डाइट के लिए एक स्टाल लगा दिया जाता था जो एथलीटों के लिए बहुत ही राहत थी. (Shahdol Stadium Athletics tribal players)

National Games 2022: गुजरात की इलावेनिल को गोल्ड, एथलेटिक्स में नौ रिकॉर्ड टूटे

पहले था सस्ता आवास: इसी तरह आवास के लिए भी इनको सस्ता आवास उपलब्ध कराया जाता था, लेकिन वर्तमान स्थिति यह हो गई है कि, एक एथलीट पार्टिसिपेंट करना चाहता है तो 10 से 12 हजार रूपये अफ्फोर्ट उसको करना पड़ता है. इसके बाद मिडिल क्लास के जो लोग हैं गरीब तबके के लोग हैं उनके लिए भी इसे एफोर्ड करना बड़ी समस्या हो गई है.खिलाडियों का कहना है कि, शासन को भी यह सोचना चाहिए कि एसोसिएशन को कोई ऐसी फंडिंग करें जिससे बच्चों की खेल में अच्छी पार्टिसिपेशन हो. निश्चित रूप से जब ज्यादा से ज्यादा पार्टिसिपेंट आएंगे तो अच्छे परफ़ॉर्म की ओर खिलाड़ियों का रुझान जाएगा.

बच्चों का भी खेल के प्रति रुझान कम: आपको बता दें कि जो एथलेटिक्स है वह गेम है जिससे सारे एथलीट निकलते हैं. अगर इसी तरह की व्यवस्था होगी तो गरीब पार्टिसिसिपेन्ट नहीं होगा. इस तरह की व्यवस्था के बाद बच्चों का भी खेल के प्रति रुझान कम हुआ है. इसी ग्राउंड में कभी 15 से 20 बच्चे आया करते थे, लेकिन अब उनको इस खेल में अपना भविष्य अंधकार में दिख रहा है. इसके अलावा एएफआई ने एक रूल और जारी किया है. अगर आप स्टेट पार्टिसिपेट करते हैं और 400 मीटर दौड़ते हैं तो कम से कम 52 सेकंड की टाइमिंग चाहिए. अगर आप इस टाइम को पार नहीं करते हैं तो आपको सर्टिफिकेट भी नहीं मिलेगा. इस तरह से अगर कोई एथलीट जाता भी है तो, उसे सर्टिफिकेट हाथ नहीं लगता. (Shahdol Stadium Athletics Game)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.