शहडोल। शिवालयों में महाशिवरात्रि को लेकर विशेष तैयारियां चल रही हैं. शिवरात्रि के दिन सुबह से ही शिवालयों में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. लोग इस दिन व्रत रखते हैं. इस दिन भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व होता है. भगवान शिव की कैसे पूजा करें, कौन-कौन से शुभ मुहूर्त हैं, चार पहर की पूजा कैसे होती है. ऐसे तमाम सवालों के जवाब जानें पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से.
पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं, इस बार की महाशिवरात्रि खास है. क्योंकि हर बार फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को शिवरात्रि होती थी, लेकिन इस बार त्रियोदशी और चतुर्दशी एक ही दिन है. मतलब त्रियोदशी सुबह 7 बजकर 52 मिनट तक है, इसके बाद चतुर्दशी पूरा दिन पूरी रात रहने की वजह से इसका विशेष महत्व बन रहा है. ऐसा संयोग बहुत समय बाद बन रहा है.
चार पहर की शिव पूजा
सुशील शुक्ला शास्त्री ने बताया कि, ये पूजन महाशिवरात्रि के दिन सुबह से शुरू होगा, जो श्रद्धालु चार पहर की पूर्ण पूजा करना चाहते हैं, तो सुबह 6 से 12 बजे तक एक पहर की पूजा होगी. उसके बाद दोपहर 12 से शाम 6 बजे तक दूसरी पूजा फिर शाम 6 बजे से रात 12 बजे तक तीसरी पूजा और रात 12 बजे से सुबह 6 बजे तक चौथी पूजा होती है. ये सभी पूजा विस्तार से होती हैं.
अगर श्रद्धालु संक्षिप्ति में करना चाहते हैं, तो विशेष पूजा का समय शाम को होता है. शाम को 6 से 9 शिव जी की स्थापना करके फूल, बेलपत्र, चावल, पकवान और फल चढ़ाकर पूजा करें. वहीं दूसरे पहर की पूजा रात 9 से 12 के बीच में होती है. उसमें भी पकवान चढ़ाए जाते हैं. और फिर निशा रात्रि यानी रात 12 से 3 के बीच में पूजा होती है जिसमें दूध, गंगाजल, शहद, शक्कर, गन्ने का रस व भांग से महादेव का अभिषेक किया जाता है.
पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि, शास्त्रों में लिखा है कि अगर 12 महीने हम त्रयोदशी के व्रत कर लें या एक दिन महाशिवरात्रि की पूजा, बराबर फल मिलता है. श्रद्धालु व्रत पूर्ण करने के बाद उसके अगली सुबह भगवान शिव अभिषेक करें, पूजन करें, हवन करें और तब जाकर व्रत खोलें.