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शहडोल: पढ़ाई छोड़ समस्याओं के विरोध में सड़कों पर उतरे इंजीनियरिंग छात्र, बोले- 'कोई सुनता ही नहीं'

शहडोल के इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र समस्याओं के विरोध में सड़कों पर उतरे, बोले- 'कोई सुनता ही नहीं', 3 दिन कॉलेज बंद, सोमवार से आमरण अनशन करेंगे

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Published : Mar 1, 2019, 2:40 PM IST

विरोध प्रदर्शन करते इंजीनियरिंग छात्र

शहडोल। जिले का इंजीनियरिंग कॉलेज किसी न किसी वजह से हमेशा सुर्खियों में बना रहता है. यहां के छात्र पढ़ाई, लैब, लाइब्रेरी, फैकल्टी और अव्यवस्थाओं को लेकर हमेशा विरोध जताते आए हैं. एक बार फिर इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों ने रैली निकालते हुए अपनी समस्याओं के निदान के लिए कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है.

mp, shahdol
विरोध प्रदर्शन करते इंजीनियरिंग छात्र

छात्रों का आरोप है कि शहडोल में इंजीनियरिंग कॉलेज खुले करीब साढ़े तीन साल हो गए, लेकिन आज तक उसे अपनी बिल्डिंग नहीं मिल सकी है. इतना ही नहीं कॉलेज में न तो लैब है, न लाइब्ररी है, और न ही फैकल्टी हैं. इसके अलावा भी कई मूलभूत सुविधाएं और समस्याओं के लिए कई बार आवाज उठाया गया, लेकिन कोई सुनवाई ही नहीं हुई. इस तरह से स्टूडेंट के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.

विरोध प्रदर्शन करते इंजीनियरिंग छात्र

फाइनल सेमेस्टर के छात्रों का कहना है कि 2015 में भी कॉलेज खोला गया था और तब से लेकर अब तक समस्याओं के निदान के लिए 71वीं बार वे ज्ञापन दे रहे हैं, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई. बस हर जगह आश्वासन ही मिलता है. छात्रों ने कहा कि आज से तीन दिनों तक कॉलेज में तालाबंदी रहेगी और फिर सोमवार से व्यापक स्तर पर आमरण अनशन पर सारे स्टूडेंट बैठ जाएंगे.

शहडोल। जिले का इंजीनियरिंग कॉलेज किसी न किसी वजह से हमेशा सुर्खियों में बना रहता है. यहां के छात्र पढ़ाई, लैब, लाइब्रेरी, फैकल्टी और अव्यवस्थाओं को लेकर हमेशा विरोध जताते आए हैं. एक बार फिर इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों ने रैली निकालते हुए अपनी समस्याओं के निदान के लिए कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है.

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विरोध प्रदर्शन करते इंजीनियरिंग छात्र

छात्रों का आरोप है कि शहडोल में इंजीनियरिंग कॉलेज खुले करीब साढ़े तीन साल हो गए, लेकिन आज तक उसे अपनी बिल्डिंग नहीं मिल सकी है. इतना ही नहीं कॉलेज में न तो लैब है, न लाइब्ररी है, और न ही फैकल्टी हैं. इसके अलावा भी कई मूलभूत सुविधाएं और समस्याओं के लिए कई बार आवाज उठाया गया, लेकिन कोई सुनवाई ही नहीं हुई. इस तरह से स्टूडेंट के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.

विरोध प्रदर्शन करते इंजीनियरिंग छात्र

फाइनल सेमेस्टर के छात्रों का कहना है कि 2015 में भी कॉलेज खोला गया था और तब से लेकर अब तक समस्याओं के निदान के लिए 71वीं बार वे ज्ञापन दे रहे हैं, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई. बस हर जगह आश्वासन ही मिलता है. छात्रों ने कहा कि आज से तीन दिनों तक कॉलेज में तालाबंदी रहेगी और फिर सोमवार से व्यापक स्तर पर आमरण अनशन पर सारे स्टूडेंट बैठ जाएंगे.

Intro:ऐसे तैयार होंगे इंजीनियर, पढ़ाई छोड़ समस्याओं को लेकर विरोध में फिर उतरे छात्र, बोले कोई सुनता ही नहीं

शहडोल- शपथ ले रहे, सड़क पर नारेबाजी कर रहे, ये वो छात्र हैं, जो कॉलेज की समस्याओं को लेकर विरोध कर रहे हैं।

शहडोल का इंजीनियरिंग कॉलेज ऐसा कॉलेज है जो हमेशा ही सुर्खियों में बना रहता है, ऐसा कॉलेज जहां के छात्र पढ़ाई, लैब, लाइब्रेरी, फैकल्टी और सुविधाओं को लेकर हमेशा ही विरोध करते नज़र आते हैं, इन समस्याओं से जूझते नज़र आते हैं, छात्रों का कहना है कि कॉलेज में कोई व्यवस्था ही नहीं है। कितना भी विरोध करो कोई सुनता ही नहीं है, लेकिन अब बहुत हो गया अब अपनी आवाज भोपाल तक पहुंचा के ही रहेंगे।

छात्रों का आरोप है कि शहडोल में इंजीनियरिंग कॉलेज खुले करीब साढ़े तीन साल हो गए, लेकिन आज तक बिल्डिंग नहीं मिल सकी है, इतना ही नहीं न लैब है, न लाइब्ररी है, और न ही फैकल्टी है, इसके अलावा भी कई समस्याएं हैं इसके लिए कई बार आवाज उठाया गया लेकिन कोई सुनवाई ही नहीं।


Body:बोले 71 वीं बार दे रहे ज्ञापन

फाइनल सेमेस्टर के छात्र कहते हैं कि 2015 में कॉलेज खुला, समस्याओं को लेकर 71वीं बार ज्ञापन दे रहे, लेकिन अबतक कोई सुनवाई नहीं हर जगह बस अस्वासन ही मिलता है लेकिन अब बहुत हो चुका, छात्रों ने कहा की आज से तीन दिन तक कॉलेज में तालाबंदी प्रदर्शन रहेगा, और फिर सोमवार से धरने पर सारे स्टूडेंट बैठ जायेंगे, इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों ने आज रैली निकालते हुए अपनी समस्याओं के निदान के लिए कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।

गौरतलब है कि शहडोल में जब से इंजीनियरिंग कॉलेज खुला है इस साल एक बैच निकल भी जाएगा, लेकिन अबतक ये छात्र सुविधाओं और समस्याओं की लड़ाई लड़ रहे हैं। कॉलेज के एक सीनियर छात्र कहते हैं कि जब से इस कॉलेज में आये हैं पढ़ाई कम समस्याओं को लेकर प्रोटेस्ट ज्यादा किये लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई, कॉलेज तो खोल दिया लेकिन कॉलेज में सुविधाएं नहीं दी, ऐसे कैसे इंजीनियर तैयार होंगे।


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