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शहडोल: कृषि महाविद्यालय की मांग हुई तेज, भारतीय किसान संघ ने दी आंदोलन की चेतावनी - shahdol news

शहडोल में अब एक बार फिर से भारतीय किसान संघ ने कृषि महाविद्यालय की मांग को तेज कर दिया है और इस बार तो भारतीय किसान संघ का कहना है कि जब तक बात नहीं मानी जाएगी तब तक सरकार का पीछा नहीं छोड़ने वाले.

कृषि महाविद्यालय की मांग तेज
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Published : Sep 19, 2019, 4:54 PM IST

शहडोल। जिले में काफी समय से कृषि महाविद्यालय की मांग की जा रही है, लेकिन अब तक कृषि महाविद्यालय की सौगात इस आदिवासी अंचल को नहीं मिली है. शहडोल सम्भाग आदिवासी अंचल तो है ही साथ ही कृषि प्रधान भी है. अब एक बार फिर से भारतीय किसान संघ ने कृषि महाविद्यालय की मांग को तेज कर दिया है और इस बार तो भारतीय किसान संघ का कहना है कि जब तक बात नहीं मानी जाएगी तब तक सरकार का पीछा नहीं छोड़ने वाले, फिर चाहे उसके लिए कितने भी आंदोलन क्यों न करना पड़े.

कृषि महाविद्यालय की मांग तेज

वहीं कृषि महाविद्यालय की मांग को लेकर कांग्रेस का भी कहना है कि वो भी लगातार इसकी मांग कर रही है. पहली बार मुख्यमंत्री जब शहडोल आए थे तभी इसके लिए ज्ञापन सौंपा गया था. भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह ने बताया की अभी हाल ही में मुख्यमंत्री के नाम कृषि महाविद्यालय की मांग को लेकर ज्ञापन दिया है और वो अब इसकी मांग और तेज करने वाले हैं.

वहीं शहडोल कांग्रेस का भी मानना है, की जिले को कृषि महाविद्यालय की सौगात मिलनी चाहिए. यहां इसकी जरूरत है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शिवकुमार नामदेव कहते हैं कि यहां कृषि महाविद्यालय बहुत जरूरी है और इसीलिए जब मुख्यमंत्री पहली बार शहडोल पहुंचे थे तो उन्हें इस बात को लेकर ज्ञापन भी दिया गया था.

शहडोल। जिले में काफी समय से कृषि महाविद्यालय की मांग की जा रही है, लेकिन अब तक कृषि महाविद्यालय की सौगात इस आदिवासी अंचल को नहीं मिली है. शहडोल सम्भाग आदिवासी अंचल तो है ही साथ ही कृषि प्रधान भी है. अब एक बार फिर से भारतीय किसान संघ ने कृषि महाविद्यालय की मांग को तेज कर दिया है और इस बार तो भारतीय किसान संघ का कहना है कि जब तक बात नहीं मानी जाएगी तब तक सरकार का पीछा नहीं छोड़ने वाले, फिर चाहे उसके लिए कितने भी आंदोलन क्यों न करना पड़े.

कृषि महाविद्यालय की मांग तेज

वहीं कृषि महाविद्यालय की मांग को लेकर कांग्रेस का भी कहना है कि वो भी लगातार इसकी मांग कर रही है. पहली बार मुख्यमंत्री जब शहडोल आए थे तभी इसके लिए ज्ञापन सौंपा गया था. भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह ने बताया की अभी हाल ही में मुख्यमंत्री के नाम कृषि महाविद्यालय की मांग को लेकर ज्ञापन दिया है और वो अब इसकी मांग और तेज करने वाले हैं.

वहीं शहडोल कांग्रेस का भी मानना है, की जिले को कृषि महाविद्यालय की सौगात मिलनी चाहिए. यहां इसकी जरूरत है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शिवकुमार नामदेव कहते हैं कि यहां कृषि महाविद्यालय बहुत जरूरी है और इसीलिए जब मुख्यमंत्री पहली बार शहडोल पहुंचे थे तो उन्हें इस बात को लेकर ज्ञापन भी दिया गया था.

Intro:Note_ दो वर्जन है पहला वर्जन भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह का है, दूसरा वर्जन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शिवकुमार नामदेव का है।


फिर उठने लगी कृषि महाविद्यालय की मांग, भारतीय किसान संघ ने कहा मांग पूरी न होने तक पीछा न छोड़ेंगे

शहडोल- शहडोल सम्भाग बहुत ही तेज़ी के साथ आगे बढ़ने वाला संभाग है, संभागीय मुख्यालय में मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, यूनिवर्सिटी, सब कुछ खुल चुके हैं लेकिन अबतक कृषि महाविद्यालय की सौगात इस आदिवासी अंचल को नहीं मिला है जबकि पिछले कई सालों से इस महाविद्यालय की मांग की जा रही है, शहडोल सम्भाग आदिवासी अंचल तो है ही साथ ही कृषि प्रधान एरिया भी है, ऐसे में कृषि महाविद्यालय की डिमांड यहां पिछले कुछ सालों से की जा रही थी, लेकिन अब एक बार फिर से भारतीय किसान संघ ने कृषि महाविद्यालय की मांग को तेज़ कर दिया है, और इस बार तो भारतीय किसान संघ का कहना है कि जबतक बात नहीं मानी जायेगी तबतक सरकार का पीछा नहीं छोड़ने वाले फिर चाहे उसके लिए कितने भी आंदोलन क्यों न करना पड़े।

वहीं कृषि महाविद्यालय की मांग को लेकर कांग्रेस का भी कहना है कि वो भी लगातार इसकी मांग कर रही है पहली बार मुख्यमंत्री जब शहडोल आये थे तभी इसके लिए ज्ञापन सौंपा गया था। और लगातार इसके लिए प्रयास किये जा रहे हैं।


Body:शहडोल संभागीय मुख्यालय में मेडिकल कॉलेज की शुरुआत हो चुकी है, इंजीनियरिंग कॉलेज भी पिछले कुछ साल से शुरू हो चुका है, यूनिवर्सिटी की सौगात भी यहां मिल चुकी है लेकिन अबतक कृषि महाविद्यालय की डिमांड यहां के लोगों की पूरी नहीं हो सकी है जबकि ये आदिवासी अंचल कृषि बाहुल्य इलाका है। और यहां ज्यादातर लोग किसान हैं और यहां के बच्चे भी कृषि के क्षेत्र में हायर एजुकेशन लेना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें महानगरों में जाना पड़ता है ऐसे में जो बाहर का खर्च वहन कर पाते हैं वो तो चले जाते हैं अपने सपनों को साकार करने लेकिन जो गरीब हैं बाहर का खर्च वहन नहीं कर पाते हैं उनके बच्चों के सपने बस सपने ही रह जाते हैं।

और इसीलिए कृषि महाविद्यालय की डिमांड यहां समय समय पर होती रही है, और अब भारतीय किसान संघ ने एक बार फिर से इसकी हवा तेज़ कर दी है।

हम सरकार का पीछा नहीं छोड़ेंगे

भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह ने बताया की अभी हाल ही में मुख्यमंत्री के नाम कृषि महाविद्यालय की मांग को लेकर ज्ञापन दिया है, और अब इसकी मांग और तेज़ करने वाले हैं, किसान संघ के जिला अध्यक्ष ने बताया कि कृषि महाविद्यालय की मांग को उनके संघ ने दो साल पहले जब भाजपा की सरकार थी तब से उठाया था, साथ उन्होंने ये भी कहा की क्षेत्र के सांसद विधायकों ने उस समय मुख्यमंत्री को इस बात के लिए कन्विंस ही नहीं किया, अगर थोड़ी प्रयास करते तो ये मांग पूरी हो जाती। साथ ही भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह ने ये चेतावनी दी है कि इस बार मांग पूरी करनी पड़ेगी और अगर मांग पूरी नहीं कि गई तो संघर्ष जारी रहेगा, जब तक ये मांग पूरी नहीं होगी हम सरकार का पीछा नहीं छोड़ेंगे, फिर सरकार चाहे किसी की भी हो। कितने भी आंदोलन क्यों न करने पड़ें।

छात्रों को जाना पड़ता है बाहर

कृषि के क्षेत्र में अगर हायर एजुकेशन लेना चाहते हैं तो शहडोल संभाग के छात्रों को बाहर जान पड़ेगा, किसान संघ के जिला अध्यक्ष बताते हैं की किसान के बेटे हैं किसानों के पास इतने संसाधन नहीं होते की वो अपने बच्चों को बाहर शिक्षा दिला सकें।

कांग्रेस ने कहा प्रयास जारी

वहीं शहडोल कांग्रेस का भी मानना है की शहडोल को कृषि महाविद्यालय की सौगात मिलनी चाहिए यहां इसकी जरूरत है, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शिवकुमार नामदेव कहते हैं कि यहां कृषि महाविद्यालय बहुत जरूरी है और इसीलिये जब मुख्यमंत्री पहली बार शहडोल पहुंचे हुए थे तो उन्हें इस बात को लेकर ज्ञापन भी दिया गया था,जिसमें शहडोल में कृषि महाविद्यालय की मांग की गई थी। और लगातार प्रयास जारी है।






Conclusion:गौरतलब है कि शहडोल सम्भाग आदिवासी अंचल के अन्तर्गत आता है और यहां भारी तादात में लोग कृषि कार्य करते हैं और वक्त की नज़ाकत को देखते हुए यहां के छात्र कृषि में हायर एजुकेशन लेना चाहते हैं लेकिन संभागीय मुख्यालय में कृषि महाविद्यालय न होने से वो इससे महरूम रह जाते हैं क्योंकि उनके पास इतना पैसा ही नहीं होता है की वो महानगरों में जाकर वहां का खर्च मेंटेन करते हुए पढ़ाई कर सकें।
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