शहडोल। आदिवासी बाहुल्य शहडोल के जिला मुख्यालय से सटा हुआ आदिवासी बाहुल्य गांव बिचारपुर है जो लगातार पिछले कुछ सालों से सुर्खियों में बना हुआ है, वजह है इस गांव में हर दूसरे घर में आपको फुटबॉल के नेशनल खिलाड़ी मिल जाएंगे, और यही वजह है कि अब यहां फुटबॉल एकेडमी फीडर सेंटर खुलने जा रहा है जिसमें अब बहुत ही कम वक्त बचा है क्योंकि उसके लिए कोच की भी नियुक्त कर ली गई है.
फुटबॉल एकेडमी फीडर सेंटर के लिए कोच नियुक्त: दरअसल अभी हाल ही में कुछ दिन पहले यह घोषणा हुई थी कि शहडोल जिले के विचारपुर गांव में सांई की ओर से एक फुटबॉल एकेडमी शुरू की जा रही है, जिसे फुटबॉल एकेडमी फीडर सेंटर के तौर पर शुरू किया जा रहा है, और वहां एक प्रोफेशनल कोच भी नियुक्त किया जाएगा, जिसकी नियुक्ति अब हो चुकी है. मध्यप्रदेश शासन संचालनालय खेल और युवा कल्याण विभाग भोपाल के माध्यम से फुटबॉल फीडर सेंटर बिचारपुर के लिए कोच पद पर लक्ष्मी सहीस को चुना गया है.
जानिए कौन हैं कोच लक्ष्मी सहीस ?: बता दें कि जिस खिलाड़ी को कोच पद के लिए चुना गया है वह फुटबॉल की माहिर खिलाड़ियों में से एक हैं और बिचारपुर की ही रहने वाली हैं. लक्ष्मी सहीस 9 बार नेशनल फुटबॉल में खेल चुकी हैं और अभी भी उसी विचारपुर मैदान में लगातार बच्चों को फुटबॉल सिखा रही हैं और अब उसी मैदान में कोच के पद पर वह नियुक्त हो चुकी हैं. बता दें की लक्ष्मी सहीस फुटबॉल की अच्छी खिलाड़ी अपने समय में रही हैं और इसी वजह से वह इतने नेशनल खेल चुकी हैं. लक्ष्मी सहीस एमए की पढ़ाई भी की हैं, और फुटबॉल में E-Certificate भी लिया है और अब कोच पद पर नियुक्त होने के बाद उनके खुशी का ठिकाना नहीं है.
अब और निखरेगा फुटबॉल: सहायक संचालक खेल एन आई एस फुटबॉल कोच रईस अहमद के मुताबिक बिचारपुर में इस फुटबॉल एकेडमी के खुल जाने से वहां के युवा खिलाड़ियों को बहुत फायदा होगा. वहां के ही नहीं बल्कि सांभाग के खिलाड़ियों को फायदा होगा जो भी इस एकेडमी में सिलेक्ट होगा उसे खेल की बारीकी सीखने को मिलेगी. साथ ही इस एकेडमी में जो भी खिलाड़ी सेलेक्ट होगा उसे फायदा यह भी मिलेगा कि जो डाइट की असुविधा होती है खिलाड़ियों को उस डाइट के लिए मानदेय भी थोड़ा बहुत दिया जाएगा. जिससे खिलाड़ी अपनी डाइट की कमी को पूरा कर सकेंगे और फुटबॉल के लिए बेहतर खिलाड़ी निकल सकेंगे.
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विचारपुर फुटबॉल का बड़ा केंद्र: शहडोल जिले का विचारपुर गांव आदिवासी बाहुल्य गांव है लेकिन इस गांव की पहचान फुटबॉल के नाम से होती है. इस गांव को मिनी ब्राजील के नाम से जाना जाता है. ईटीवी भारत ने इस खबर को पिछले कई सालों से लगातार प्रमुखता से उठाया और लगातार यहां के खिलाड़ियों के बारे में बताता रहा है. अभी हाल ही में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शहडोल जिले के दौरे पर थे और पकरिया में उन्होंने चौपाल लगाई थी तो उस चौपाल में फुटबॉल के खिलाड़ी भी शामिल हुए थे जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विचारपुर गांव के खिलाड़ियों से चर्चा की थी और उनसे पूछा था कि आखिर इस गांव में ऐसा क्या खास है कि यहां के खिलाड़ी जो इतना बेहतर खेलते हैं. सुना है कि यहां हर दूसरे घर में फुटबॉल के नेशनल खिलाड़ी मिलते हैं इसका जिक्र उन्होंने मन की बात में भी करने की कही थी और काफी खुश भी हुए थे.
फुटबॉल क्रांति का असर: शहडोल संभाग में जबसे कमिश्नर राजीव शर्मा आए हैं फुटबॉल क्रांति शुरू की गई है और इसका असर भी देखने को मिलने लग गया है. जगह-जगह अब फुटबॉल के खिलाड़ी और क्लब आपको मिल जाएंगे. इसका फायदा यह हो रहा है कि अब यहां से बेहतर खिलाड़ी भी निकल रहे हैं. संभाग भर के गांव-गांव में देखें तो कमिश्नर के प्रयासों से अब तक करीब एक हज़ार से भी ज्यादा फुटबॉल क्लबों का गठन भी किया जा चुका है, और अब फुटबॉल क्रांति का ही असर है कि बिचारपुर गांव जहां के खिलाड़ी लगातार अभाव से गुजर रहे थे उन्हें कोई मंच नहीं मिल रहा था लेकिन अब फुटबॉल क्रांति के बाद से वहां फुटबॉल की लहर दौड़ रही है और फुटबॉल में ही लोगों को बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है.