शहडोल। कोरोना संक्रमण के कारण पहले से ही किसान परेशान हैं. अब बदलते मौसम ने भी उनकी चिंता बढ़ा दी है. आलम ये है कि अब किसान आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. किसानों का कहना है कि कोरोना काल में उन्हें भारी नुकसान हो रहा है. सब्जी की फसल तो उन्होंने लगा ली है, लेकिन उसे खरीदने के लिए कोई नहीं आ रहा है.
बारिश ने बढ़ाई इन किसानों की मुसीबत
जिले में शुक्रवार को बारिश के साथ ओलावृष्टि भी देखने को मिली है, जिसके कारण सब्जी की खेती करने वाले किसानों के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं. ओलावृष्टि की वजह से सब्जी की फसलें बर्बाद हो गई हैं. इनमें टमाटर, लौकी, खीरा और कद्दू जैसी सब्जियां शामिल हैं. किसानों का कहना है कि ओलावृष्टि की वजह से अब उनकी सब्जियों पर दाग लग गए हैं, जिसके कारण सब्जियों की फसल को नुकसान हुआ है. मौसम की मार उनकी फसल पर इस तरह से पड़ी है कि उनकी पूरी फसल चौपट हो गई है.
इसलिए सूख रही टमाटर की फसल
वहीं, किसान जीत लाल पटेल का कहना है कि उनकी टमाटर की फसल का रंग अब फीका हो रहा है. पहले उनकी लगाई हुई टमाटर बढ़िया तरीके से पक रही थी, लेकिन बारिश के कारण उनके टमाटर पर अजीब से दाग पड़ने लगे हैं. वह पहले ही नुकसान झेल रहे थे और अब बदलते मौसम ने उन्हें और नुकसान पहुंचा दिया है, जो फसलें तैयार हो गई हैं, उनमें दाग लगने की समस्या तो आई ही है, लेकिन इसके साथ ही कई फसलों की पत्तियां भी खराब हो रही हैं. कुछ सब्जियों की फसल में फूल आ रहे हैं और आने वाले कुछ दिन में उसमें फल लगते, लेकिन बारिश के कारण वह फूल भी अब गिर गए हैं.
ओलावृष्टि के साथ रोग का साया
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह कहते हैं कि जो सोलोनेसियस क्रॉप होते हैं जैसे कि टमाटर, मिर्ची, बैगन आदी उसमें बिल्ट रोग आता है. ये भूमि जनित रोग है. इनमें फसल चक्र न अपनाने की वजह से ये रोग आता है. यह दो चीजों से होता है. एक तो बैक्टीरियल है और दूसरा फंगल बेस्ड है. अगर फसलों में स्प्रे और ड्रिचिंग की जाए, तो कुछ हद तक फसलों को बचाया जा सकता है. अगर किसान फसल चक्र अपने खेतों में अपनाएं, तो ये रोग फसलों में नहीं होगा. ये रोग मौसम के बदलाव के समय में दिखता है.