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Chaitra Navratra 2023 Ashtmi: मनोकामनाएं पूरी करने के लिए अष्टमी के दिन ऐसे करें पूजा, क्या करें और क्या न करें

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Published : Mar 28, 2023, 1:23 PM IST

नवरात्रि के दौरान चारों ओर भक्तिमय वातावरण बना हुआ है. नवरात्रि में अष्टमी के दिन को बहुत ही विशेष माना जाता है. चैत्र नवरात्रि में इस बार अष्टमी तिथि 29 मार्च बुधवार को पड़ रही है. आखिर नवरात्रि में अष्टमी तिथि क्यों विशेष होती है, इस दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, किस तरह से अष्टमी तिथि में विधि विधान से पूजा-पाठ करें, जिससे सारी मनोकामना पूर्ण हो जाएं. बता रहे हैं ज्योतिष और वास्तु के जानकार पंडित श्रवण त्रिपाठी.

Chaitra Navratra 2023 Ashtmi
मनोकामनाएं पूरी करने के लिए दुर्गा अष्टमी के दिन कैसे करें पूजा
मनोकामनाएं पूरी करने के लिए दुर्गा अष्टमी के दिन कैसे करें पूजा

शहडोल। ज्योतिष और वास्तु के जानकार पंडित श्रवण त्रिपाठी बताते हैं कि वैसे तो नवरात्रि के सभी दिन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं. लेकिन शास्त्रों में लिखा है कि जो लोग किसी कारणवश नवरात्रि में 9 दिन व्रत नहीं कर पाते, विधि विधान से पूजा-पाठ नहीं कर पाते हैं वो अष्टमी के दिन संपूर्ण विधि विधान से पूजन करें. मां महागौरी का पूजन करें. ऐसा करने से उन्हें निश्चित ही मनोवांछित सफलताएं प्राप्त होती हैं. शास्त्रों के अनुसार अष्टमी तिथि के दिन ही महा भयानक भद्रकाली करोड़ों योगनियों सहित दक्ष का यज्ञ विध्वंस करने के लिए प्रकट हुई थीं. दक्ष के अत्याचारों, दक्ष के अहंकार को तोड़ने के लिए इस दिन भद्रकाली का प्रादुर्भाव हुआ था. जिस कारण से यह तिथि बहुत महत्वपूर्ण होती है.

ऐसे करें विधि-विधान से पूजा : अष्टमी तिथि में विधि विधान से पूजन करने से समस्त कष्ट, दुख दूर हो जाते हैं. शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है. यह तिथि परम कल्याणकारी है. अगर कोई साधक पवित्र मन से सही विधि विधान से इस दिन मां भगवती का पूजन करता है तो निश्चित ही उसे अनेक प्रकार की समृद्धि, यश, कीर्ति एवं विजय प्राप्त होती है. 29 मार्च को जो भी व्यक्ति अष्टमी के दिन विधि विधान से पूजा पाठ करना चाहता है, वो सूर्योदय से पहले उठ जाए. स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ वस्त्र पहनकर पूजन के लिए सर्वप्रथम मां भगवती को शुद्ध जल एवं गंगा जल से स्नान कराएं. फिर मां भगवती को सफेद वस्त्र धारण कराएं, सफेद पुष्प अर्पित करें. इसी के साथ चंदन का इत्र मां भगवती को जरूर अर्पित करें. माता को जो नैवेद्य चढ़ाएं उसमें सफेद चीजों का प्रयोग ज्यादा करें. खासकर नारियल से बनी बर्फी, नारियल से बनी हुई मिठाई, माता रानी को चढ़ाते हैं तो माता बहुत प्रसन्न होती हैं. अष्टमी के दिन आप यथाशक्ति हवन करें एवं कन्या भोज अवश्य करायें.

अष्टमी में भूलकर भी न करें ये काम : नवरात्रि में अष्टमी तिथि के दिन साधक को चाहिए कि नुकीली वस्तुओं का उपयोग तो बिल्कुल भी नहीं करें. जैसे सुई, कैंची, चाकू, छुरी या किसी भी तरीके के कटपिट करने वाली नुकीली वस्तु का भूलकर भी इस्तेमाल न करें. साथ ही इस दिन कोशिश करें कि हमसे किसी का भी अपमान ना हो. किसी भी कन्या का निरादर ना हो. माता-पिता का निरादर ना हो. अपने गुरुजनों का निरादर ना हो. अगर आप ऐसा करते हैं तो आपके दुखों में वृद्धि हो सकती है.

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अष्टमी के दिन करें ये काम : अष्टमी के दिन अस्त्र शस्त्र का पूजन कर सकते हैं. विद्यार्थी अपने पाठ्य पुस्तक सामग्रियों का पूजन करें. जो भी विद्यार्थी किसी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो इस दिन माता की भक्ति करें. मां भगवती का ध्यान करें और अपने पठन सामग्रियों की पूजन करें. इन स्थितियों में मनोवांछित फल प्राप्त होगा. अगर आप अष्टमी के दिन विधि विधान से मां भगवती की पूजन करते हैं तो सुख समृद्धि में वृद्धि होगी और विजय प्राप्त होगी. बहुत पुराना रोग भी आपका समाप्त हो जाता है. अष्टमी के दिन जो भी साधक मां भगवती की आराधना सच्चे मन से करता है तो उसके समस्त दुखों का निवारण होता है.

मनोकामनाएं पूरी करने के लिए दुर्गा अष्टमी के दिन कैसे करें पूजा

शहडोल। ज्योतिष और वास्तु के जानकार पंडित श्रवण त्रिपाठी बताते हैं कि वैसे तो नवरात्रि के सभी दिन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं. लेकिन शास्त्रों में लिखा है कि जो लोग किसी कारणवश नवरात्रि में 9 दिन व्रत नहीं कर पाते, विधि विधान से पूजा-पाठ नहीं कर पाते हैं वो अष्टमी के दिन संपूर्ण विधि विधान से पूजन करें. मां महागौरी का पूजन करें. ऐसा करने से उन्हें निश्चित ही मनोवांछित सफलताएं प्राप्त होती हैं. शास्त्रों के अनुसार अष्टमी तिथि के दिन ही महा भयानक भद्रकाली करोड़ों योगनियों सहित दक्ष का यज्ञ विध्वंस करने के लिए प्रकट हुई थीं. दक्ष के अत्याचारों, दक्ष के अहंकार को तोड़ने के लिए इस दिन भद्रकाली का प्रादुर्भाव हुआ था. जिस कारण से यह तिथि बहुत महत्वपूर्ण होती है.

ऐसे करें विधि-विधान से पूजा : अष्टमी तिथि में विधि विधान से पूजन करने से समस्त कष्ट, दुख दूर हो जाते हैं. शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है. यह तिथि परम कल्याणकारी है. अगर कोई साधक पवित्र मन से सही विधि विधान से इस दिन मां भगवती का पूजन करता है तो निश्चित ही उसे अनेक प्रकार की समृद्धि, यश, कीर्ति एवं विजय प्राप्त होती है. 29 मार्च को जो भी व्यक्ति अष्टमी के दिन विधि विधान से पूजा पाठ करना चाहता है, वो सूर्योदय से पहले उठ जाए. स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ वस्त्र पहनकर पूजन के लिए सर्वप्रथम मां भगवती को शुद्ध जल एवं गंगा जल से स्नान कराएं. फिर मां भगवती को सफेद वस्त्र धारण कराएं, सफेद पुष्प अर्पित करें. इसी के साथ चंदन का इत्र मां भगवती को जरूर अर्पित करें. माता को जो नैवेद्य चढ़ाएं उसमें सफेद चीजों का प्रयोग ज्यादा करें. खासकर नारियल से बनी बर्फी, नारियल से बनी हुई मिठाई, माता रानी को चढ़ाते हैं तो माता बहुत प्रसन्न होती हैं. अष्टमी के दिन आप यथाशक्ति हवन करें एवं कन्या भोज अवश्य करायें.

अष्टमी में भूलकर भी न करें ये काम : नवरात्रि में अष्टमी तिथि के दिन साधक को चाहिए कि नुकीली वस्तुओं का उपयोग तो बिल्कुल भी नहीं करें. जैसे सुई, कैंची, चाकू, छुरी या किसी भी तरीके के कटपिट करने वाली नुकीली वस्तु का भूलकर भी इस्तेमाल न करें. साथ ही इस दिन कोशिश करें कि हमसे किसी का भी अपमान ना हो. किसी भी कन्या का निरादर ना हो. माता-पिता का निरादर ना हो. अपने गुरुजनों का निरादर ना हो. अगर आप ऐसा करते हैं तो आपके दुखों में वृद्धि हो सकती है.

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अष्टमी के दिन करें ये काम : अष्टमी के दिन अस्त्र शस्त्र का पूजन कर सकते हैं. विद्यार्थी अपने पाठ्य पुस्तक सामग्रियों का पूजन करें. जो भी विद्यार्थी किसी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो इस दिन माता की भक्ति करें. मां भगवती का ध्यान करें और अपने पठन सामग्रियों की पूजन करें. इन स्थितियों में मनोवांछित फल प्राप्त होगा. अगर आप अष्टमी के दिन विधि विधान से मां भगवती की पूजन करते हैं तो सुख समृद्धि में वृद्धि होगी और विजय प्राप्त होगी. बहुत पुराना रोग भी आपका समाप्त हो जाता है. अष्टमी के दिन जो भी साधक मां भगवती की आराधना सच्चे मन से करता है तो उसके समस्त दुखों का निवारण होता है.

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