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सोयाबीन की जगह मक्के पर जताया है भरोसा तो पढ़ें ये खबर, कृषि वैज्ञानिकों ने दी खास सलाह - सोयबीन की खेती

सोयाबीन की जगह मक्के की खेती करने वाले किसानों के लिए वैज्ञानिकों ने फसलों के रख रखाव के बारे में बताया है.

वैज्ञानिकों ने किसानों को दी खास सलाह
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Published : Aug 2, 2019, 6:41 AM IST

शहडोल। आदिवासी अंचल के अंतर्गत आने वाले शहडोल में धान की खेती की जाती है. कई जगह सोयाबीन की फसल भी होती है, लेकिन इस साल अंचल में मक्के की खेती का एरिया बढ़ा है, सोयाबीन की खेती करने वाले अधिकतर किसानों ने इस बार फसल में बदलाव कर मक्के की खेती पर भरोसा जताया है.

वैज्ञानिकों ने किसानों को दी खास सलाह

दलहनी फसल लगाने में ज्यादा फायदा
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर पीएन त्रिपाठी बताते हैं कि धान की फसल के लिए जिलें में अब तक सही बारिश नहीं हुई है. धान की फसल के लिए ज्यादा पानी की जरूरत होती है, जबकि जिले में बारिश अब तक कम ही हुई है, लेकिन मक्के और दलहनी फसलों के लिए बारिश ठीक है.

किसानों ने फसल में किया परिवर्तन
कृषि वैज्ञनिक पीएन त्रिपाठी बताते हैं कि पिछले कुछ सालों से सोयाबीन की फसल में किसानों को बड़ा झटका लग रहा है, क्योंकि इसमें चारकोल रॉड नामक बीमारी आ रही थी और किसान परेशान था. इसलिए इस साल फसल परिवर्तन पर ज्यादातर किसानों ने भरोसा जताया है और मक्के की फसल का एरिया बढ़ा है.

मक्के की खेती वाले रखें खास ध्यान
जो किसान मक्के की खेती कर रहे हैं, उन्हें थोड़ा ध्यान देने की जरूरत है. पिछले साल मक्के में मध्यप्रदेश में विशेष रूप से देखने मिला था कि फॉल ऑफ आर्मी फौजी कीट मक्के की फसल को काफी नुकसान पहुंचाया था. इस साल भी इसके हमले की आशंका है. इसलिए किसानों को सजग रहने की जरुरत है.

जानिए क्या है 'फौजी' कीट और उसके संकेत
फाल ऑफ आर्मी को फौजी कीट भी कहा जाता है. खेतों के निरीक्षण के दौरान अगर कहीं भी मक्के के खेत में पत्तियों का काटना, पत्तियों को खाना, पौधे में पोंगली बन रही हो तो ये सभी फौजी कीट के लक्षण हैं. ऐसा कुछ आपके खेत में दिख रहा है तो तुरंत कृषि वैज्ञानिकों से मिलकर फसल पर दवाई का छिड़काव करें.

मक्के की खेती का दायरा बढ़ा
कृषि वैज्ञनिक डॉक्टर पीएन त्रिपाठी बताते हैं कि इस बार पूरे शहडोल जिले की बात करें तो मक्के की खेती में 8 से 10 हजार हेक्टेयर की बढोत्तरी हुई है. इस बार सोयाबीन की फसल का एरिया घटा है और मक्के की फसल का दायरा बढ़ा है. पिछले साल सोयाबीन की फसल में चारकोल रॉड का बहुत ज्यादा प्रकोप था, जिससे किसान परेशान थे और वैज्ञनिक लगातार फसल बदलने की बात कह रहे थे. इस बार किसानों ने वैज्ञनिकों की बात भी मानी है और सोयबीन की अपेक्षा इस बार मक्के पर ज्यादा भरोसा जताया है.

शहडोल। आदिवासी अंचल के अंतर्गत आने वाले शहडोल में धान की खेती की जाती है. कई जगह सोयाबीन की फसल भी होती है, लेकिन इस साल अंचल में मक्के की खेती का एरिया बढ़ा है, सोयाबीन की खेती करने वाले अधिकतर किसानों ने इस बार फसल में बदलाव कर मक्के की खेती पर भरोसा जताया है.

वैज्ञानिकों ने किसानों को दी खास सलाह

दलहनी फसल लगाने में ज्यादा फायदा
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर पीएन त्रिपाठी बताते हैं कि धान की फसल के लिए जिलें में अब तक सही बारिश नहीं हुई है. धान की फसल के लिए ज्यादा पानी की जरूरत होती है, जबकि जिले में बारिश अब तक कम ही हुई है, लेकिन मक्के और दलहनी फसलों के लिए बारिश ठीक है.

किसानों ने फसल में किया परिवर्तन
कृषि वैज्ञनिक पीएन त्रिपाठी बताते हैं कि पिछले कुछ सालों से सोयाबीन की फसल में किसानों को बड़ा झटका लग रहा है, क्योंकि इसमें चारकोल रॉड नामक बीमारी आ रही थी और किसान परेशान था. इसलिए इस साल फसल परिवर्तन पर ज्यादातर किसानों ने भरोसा जताया है और मक्के की फसल का एरिया बढ़ा है.

मक्के की खेती वाले रखें खास ध्यान
जो किसान मक्के की खेती कर रहे हैं, उन्हें थोड़ा ध्यान देने की जरूरत है. पिछले साल मक्के में मध्यप्रदेश में विशेष रूप से देखने मिला था कि फॉल ऑफ आर्मी फौजी कीट मक्के की फसल को काफी नुकसान पहुंचाया था. इस साल भी इसके हमले की आशंका है. इसलिए किसानों को सजग रहने की जरुरत है.

जानिए क्या है 'फौजी' कीट और उसके संकेत
फाल ऑफ आर्मी को फौजी कीट भी कहा जाता है. खेतों के निरीक्षण के दौरान अगर कहीं भी मक्के के खेत में पत्तियों का काटना, पत्तियों को खाना, पौधे में पोंगली बन रही हो तो ये सभी फौजी कीट के लक्षण हैं. ऐसा कुछ आपके खेत में दिख रहा है तो तुरंत कृषि वैज्ञानिकों से मिलकर फसल पर दवाई का छिड़काव करें.

मक्के की खेती का दायरा बढ़ा
कृषि वैज्ञनिक डॉक्टर पीएन त्रिपाठी बताते हैं कि इस बार पूरे शहडोल जिले की बात करें तो मक्के की खेती में 8 से 10 हजार हेक्टेयर की बढोत्तरी हुई है. इस बार सोयाबीन की फसल का एरिया घटा है और मक्के की फसल का दायरा बढ़ा है. पिछले साल सोयाबीन की फसल में चारकोल रॉड का बहुत ज्यादा प्रकोप था, जिससे किसान परेशान थे और वैज्ञनिक लगातार फसल बदलने की बात कह रहे थे. इस बार किसानों ने वैज्ञनिकों की बात भी मानी है और सोयबीन की अपेक्षा इस बार मक्के पर ज्यादा भरोसा जताया है.

Intro:note_ वर्जन कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर पीएन त्रिपाठी की है।

जानिए क्यों इस बार ज्यादातर किसानों ने मक्के पर जताया है भरोसा, अगर आप भी मक्के की कर रहे हैं खेती तो पढ़ें ये खबर

शहडोल- शहडोल जिला आदिवासी अंचल के अन्तर्गत आता है और यहां प्रमुखतः धान के फसल की खेती की जाती है तो वहीं कई जगह सोयाबीन की खेती करके भी किसान बहुत समृद्ध हुए। लेकिन इस साल इस अंचल में मक्के के खेती का एरिया बढ़ा है। सोयाबीन की खेती करने वाले अधिकतर किसानों ने इस बार फसल मे बदलाव किया है और मक्के की खेती पर भरोसा जताया है। मतलब साफ है मक्के की खेती का एरिया इस बार बढ़ा है।


Body:मक्के की खेती करने वालों के काम की खबर

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर पीएन त्रिपाठी बताते हैं कि इस बार बारिश धान के फसल के लिए इस एरिया में अबतक तो सही नहीं हो रही है क्योंकि धान के फसल के लिए ज्यादा पानी की जरूरत होती है। और बारिश अबतक कम ही हुई है, लेकिन मक्के और दलहनी फसलों के लिए बारिश ठीक है।
वैसे भी मक्के को कम पानी की आवश्यकता होती है। कृषि वैज्ञनिक बताते हैं कि पिछले कुछ सालों से सोयाबीन की फसल में किसानों को बड़ा झटका लग रहा है क्योंकी इसमें चारकोल रॉड नामक बीमारी आ रही थी। और किसान परेशान था, इसीलिये इस साल फसल परिवर्तन पर ज्यादातर किसानों ने भरोसा जताया है और मक्के की फसल का एरिया बढ़ा है।

मक्के की खेती वाले रखें खास ध्यान

जो किसान मक्के की खेती कर रहे हैं उन्हें थोड़ी ध्यान देने की जरूरत है। पिछले साल मक्के में मध्यप्रदेश में विशेष रूप से ये देखने को मिला था कि फॉल ऑफ आर्मी फ़ौजी कीट मक्के के फसल को काफी नुकसान पहुंचाया था, और इस साल इसके हमले की संभावना है इसलिए थोड़ी सजग रहने की जरुरत है।

ऐसे में मक्के की खेती करने वाले किसान अपने खेतों का निरीक्षण सतत करते रहें और कहीं भी कुछ भी सस्पेक्टेड दिखे तो उसे कृषि वैज्ञनिकों को बताएं उनसे सलाह ले, और दवाई डालें।

जानिए क्या है 'फौजी'कीट,और कैसे हैं इसके संकेत

फाल ऑफ आर्मी इसे फौजी कीट भी कहा जाता है, खेतों के निरीक्षण के दौरान अगर कहीं भी मक्के की खेत में पत्तियों का काटना, पत्तियों को खाना, पौधे में पोंगली बन रही हो तो ये सभी फौज़ी कीट के लक्षण है। तो तुरन्त कृषि वैज्ञनिकों से मिलकर उनसे सलाह ले और दवाई का छिड़काव कर दें।

मक्के के खेती का एरिया बढ़ा

कृषि वैज्ञनिक डॉक्टर पीएन त्रिपाठी बताते हैं कि इस बार पूरे शहडोल जिले की बात करें तो मक्के के खेती में 8 से 10 हज़ार हेक्टेयर की बढोत्तरी हुई हैं। इस बार सोयाबीन के फसल का एरिया घटा है और मक्के के फसल का एरिया बढ़ा है।


Conclusion:गौरतलब है कि पिछले साल सोयाबीन की फसल में चारकोल रॉड का बहुत ज्यादा प्रकोप था जिससे किसान परेशान थे और वैज्ञनिक लगातार फसल बदलने की बात कह रहे थे इस बार किसानों ने वैज्ञनिकों की बात भी मानी है और सोयबीन की किसानों ने इस बार मक्के पर भरोसा जताया है अब देखना है कि इस बार किसानों को कितनी आमदनी होती है।
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