शहडोल। शहडोल जिला अस्पताल के एसएनसीयू और पीआइसीयू में बच्चों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. बीते 24 घंटे में पीआईसीयू और एसएनसीयू में चार बच्चों की मौत हुई है. इसमें पीआइसीयू के तीन और एक बच्चा एसएनसीयू में दम तोड़ा है. 24 घंटे के अंदर एक साथ चार नवजात बच्चों की मौत के मामले में फिर जिला अस्पताल प्रबंधन पर सवालों के घेरे में आ गया है.
नवजात बच्चों की मौत से मचा हड़कंप
शहडोल जिले में पिछले 24 घंटे में एक बार फिर से 4 नवजातों की मौत हो गई है, जिसमें 3 दिन से लेकर 4 महीने तक के बच्चे शामिल हैं. पीआईसीयू में 3 और एसएनसीयू में एक बच्चे की मौत हुई है. जिनकी मौत हुई है उसमें बुढ़ार-अरझुली के एक 4 माह का बच्चा पुष्पराज, सिंहपुर के बोड़री गांव का 3 माह का बच्चा राज कोल, 2 माह का प्रियांश, ये सभी पीआईसीयू में भर्ती थी, तो वहीं उमरिया जिले की निशा की भी एसएनसीयू में मौत हुई है. नवजातों की मौत से हड़कंप मच गया है. हलांकि काफी समय तक बच्चों की मौत के मामले को अस्पताल प्रबंधन छिपाता रहा.
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क्या थी मौत की वजह ?
इस मामले में सीएमएचओ राजेश पांडे का कहना है कि इस संबंध में मुझे संज्ञान में आया है. एक बच्चे की मौत एसएनसीयू वार्ड में और तीन बच्चों की मौत दूसरे वार्ड में हुई. बच्चों की मौत का कारण शुरूआती जांच में सामने आया कि उमिरया जिले से एक दिन का नवजात बच्चा आया था उसे वेंटीलेटर सपोर्ट पर रखा गया. लेकिन सांस लेने में तकलीफ के कारण बच्चा 24 घंटे तक ही सर्वाइव कर सका. बाकी तीन बच्चे एसएनसीयू के वार्ड के थे जिन्हें काफी गंभीर अवस्था में लाया गया था और वो 5-6 घंटे ही सर्वाइव कर सके.
कमेटी बनाकर जांच के दिए आदेश
सीएमएचओ राजेश पांडे ने बताया कि ये बात 27 तारीख की है, इस पर हमने जांच के आदेश जारी कर दिए हैं, और कमेटी बनाकर तीन दिन का समय दिया गया है. विधिवत जांच करके प्रतिवेदन देने के लिए कहा गया है और अगर जांच में कोई दोषी पाया जाता है या किसी की गलती पाई जाती है तो उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी. अगर अस्पताल की ओर से कोई खामी सामने आती है तो उन पर भी कार्रवाई की जाएगी.
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कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने किया हंगामा
इस घटना के बाद जिला चिकित्सालय के बाहर ही कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने धरना देना शुरू कर दिया, जिसके बाद वहां और हंगामा मचना शुरू हो गया, नारेबाजी के बाद प्रशासनिक अमला पहुंचा. जिसके बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने दोषियों पर कार्रवाई का आश्वासन मिलने पर अपना प्रदर्शन खत्म किया.
पहले भी आ चुका है ऐसा ही मामला
गौरतलब है कि, इससे पहले भी करीब एक साल पहले 24 घंटे के अंदर 6 बच्चों की मौत जिला चिकित्सालय के एसएनसीयू वार्ड में हो गई थी, उस वक्त भी मामले के तूल पकड़ने के बाद खुद तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री तुलसीराम सिलावट जिला चिकित्सालय पहुंचे थे, जहां सिविल सर्जन और सीएमएचओ पर कार्रवाई की गई थी.