सिवनी। जिले में समर्थन मूल्य पर खरीदा जा रहा पीला सोना यानि धान पर नियम-कायदों को रौंदकर जमकर खेल चल रहा है. आरोप है कि खरीदी केन्द्रों में खरीदी प्रभारी और प्रबंधक मिलीभगत कर किसानों को चूना लगा रहे हैं. वहीं नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंधक से लेकर क्वॉलिटी कन्ट्रोलर तक खेल कर रहे हैं. क्वॉलिटी कन्ट्रोलर की टीम खरीदी केन्द्रों में धान की क्वॉलिटी चेक करने की बजाय गायब है और उसके नाम पर समितियों से वसूली की जा रही है.
क्वॉलिटी कन्ट्रोलर गायब
खरीदी केन्द्रों से धान की क्वॉलिटी को चेक कर खराब धान की कन्ट्रोलिंग करने वाले क्वॉलिटी कन्ट्रोलर केन्द्रों में नजर नहीं आ रहे हैं. क्वॉलिटी कन्ट्रोलर की मेहरबानी कहें या फिर मिलीभगत की वजह से खरीदी प्रबंधक और केन्द्र प्रभारी अच्छी क्वॉलिटी की बजाय खराब और अंकुरित हो चुके धान को भी चोरी-छिपे मिक्स करके टैग और सील लगे हुए बोरे में भरकर सीधे गोदामों में भेज रहे हैं. बता दें कि इसके एवज में जहां खरीदी प्रभारी किसानों से पैसे ले रहे हैं, वहीं क्वॉलिटी कंट्रोलर को भी कमीशन मिल रहा है.
धान की गुणवत्ता अच्छी या फिर खराब
नियमानुसार धान की गुणवत्ता की जांच और साफ-सुथरी होने के बाद ही सील और टैग लगे हुए बारदाने में भरकर परिहवन किया जाना है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. कई समितियों में सीधे किसान खरीदी प्रभारियों से सेटिंग करके घर से बोरे में भरकर धान ला रहे हैं और सील लगे बोरे में भर दिया जा रहा है. ऐसे में यह तय नहीं किया जा सकता है कि धान की गुणवत्ता अच्छी है या फिर खराब. लाखों क्विंटल की खरीदी में महज नागरिक आपूर्ति निगम की टीम समाचार पत्रों की सुर्खियों की वजह से महज 5 हजार क्विंटल धान को ही रिजेक्ट कर पाया है.
बारदानों की किल्लत, परिवहन ठप, मची लूट
जैसे-जैसे 20 जनवरी की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे खरीदी केन्द्रों में धान की बंपर आवक हो रही है. वहीं बारदानों की किल्लत बढ़ रही है. खरीदी केन्द्रों में नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंधक एलके जरिया और उनकी टीम पर बारदानों की कमी करने का आरोप है, वहीं किसान अपने धान को भरने के लिए बारदानों की भी चोरी कर रहे हैं.
अफसरों का मोबाइल बंद, ऑफिस में बोलने से कतरा रहे कर्मचारी
धान की खरीदी का जिम्मा संभालने वाले प्रबंधक एलके जरिया का जहां दो दिनों से मोबाइल बंद था, कॉल करने पर स्विच ऑफ आ रहा था, वहीं कार्यालय में भी कर्मचारियों ने अफसर की स्वीकृति के बिना कोई भी जानकारी देने से साफ इंकार कर दिया. वहीं इस संबंध में जिले के कलेक्टर प्रवीण सिंह के मोबाइल नंबर पर कॉल किया गया, तो घंटी बजती रही, लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया.