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सीहोर के कपिल ने साउथ अफ्रीका को हराकर पैरा जूडो में जीता गोल्ड, देश का नाम किया रोशन - win gold in Para Judo

सीहोर के कपिल ने इंग्लैंड में आयोजित कॉमनवेल्थ जूडो चैंपियनशिप में साउथ अफ्रीका के खिलाड़ी को हराकर गोल्ड मेडल जीता है. टैक्सी ड्राइवर के बेटे ने विदेश की सरजमीं पर देश का ही नहीं, बल्कि सीहोर का नाम भी रोशन कर दिया.

कपिल ने विदेश की धरती पर भारत का नाम किया रोशन
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Published : Oct 3, 2019, 11:09 PM IST

सीहोर। टैक्सी ड्राइवर रामसिंह परमार के बेटे कपिल ने देश के साथ ही विदेश में भी सीहोर का नाम रोशन किया है. 25 सितंबर से इंग्लैंड में आयोजित पैरा जूडो कॉमनवेल्थ गेम्स में साउथ अफ्रीका के खिलाड़ी को हराकर गोल्ड मेडल हासिल किया है.

कपिल ने विदेश की धरती पर भारत का नाम किया रोशन

कपिल परमार ने बताया कि इंग्लैंड में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स में उसका चयन 60 किग्रा वर्ग में हुआ था. जिसमें उसका पहला मैच इंग्लैंड से हुआ था. दूसरा उज्बेकिस्तान और तीसरा मुकाबला इंडिया के साथ ही हुआ, जिसमें भी वह विजयी रहे. कपिल ने बताया कि आखिरी फाइनल मुकाबले में साउथ अफ्रीका को हराकर गोल्ड हासिल किया.

9 साल के संघर्ष के बाद मिला गोल्ड
कपिल ने बताया कि 2008 में करंट लगने के कारण बांई आंख की रोशनी चली गई थी. इसमें 80 प्रतिशत तक कम दिखाई देता है. जब एक आंख में कम दिखने लगा, तो कुश्ती खेलना बंद कर दिया था. इसकी जगह जूडो को चुना और राष्ट्रीय स्तर पर 23 बार खेल चुके हैं.

कपिल ने बताया कि पैरा जूडो कॉमनवेल्थ गेम्स में अपनी जगह बनाने के लिए तकरीबन नौ साल डटकर मेहनत की है और कोच के सराहनीय योगदान के बाद कही जा कर ये मुकाम हासिल किया है. रोज करीब 8 घंटे अभ्यास किया. कपिल की इस उपलब्धि पर घर परिवार के लोग बहुत खुश हैं.
माखन परमार का कहना है कि कपिल का विदेश की सरजमीं पर गोल्ड मेडल जीतना बेहद गर्व की बात है. उन्होंने कहा कि वो मध्यप्रदेश सरकार से अपील करते है कि इस होनहार खिलाड़ी की तरफ ध्यान दे और कपिल को आगे बढ़ाने में मदद करें.

सीहोर। टैक्सी ड्राइवर रामसिंह परमार के बेटे कपिल ने देश के साथ ही विदेश में भी सीहोर का नाम रोशन किया है. 25 सितंबर से इंग्लैंड में आयोजित पैरा जूडो कॉमनवेल्थ गेम्स में साउथ अफ्रीका के खिलाड़ी को हराकर गोल्ड मेडल हासिल किया है.

कपिल ने विदेश की धरती पर भारत का नाम किया रोशन

कपिल परमार ने बताया कि इंग्लैंड में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स में उसका चयन 60 किग्रा वर्ग में हुआ था. जिसमें उसका पहला मैच इंग्लैंड से हुआ था. दूसरा उज्बेकिस्तान और तीसरा मुकाबला इंडिया के साथ ही हुआ, जिसमें भी वह विजयी रहे. कपिल ने बताया कि आखिरी फाइनल मुकाबले में साउथ अफ्रीका को हराकर गोल्ड हासिल किया.

9 साल के संघर्ष के बाद मिला गोल्ड
कपिल ने बताया कि 2008 में करंट लगने के कारण बांई आंख की रोशनी चली गई थी. इसमें 80 प्रतिशत तक कम दिखाई देता है. जब एक आंख में कम दिखने लगा, तो कुश्ती खेलना बंद कर दिया था. इसकी जगह जूडो को चुना और राष्ट्रीय स्तर पर 23 बार खेल चुके हैं.

कपिल ने बताया कि पैरा जूडो कॉमनवेल्थ गेम्स में अपनी जगह बनाने के लिए तकरीबन नौ साल डटकर मेहनत की है और कोच के सराहनीय योगदान के बाद कही जा कर ये मुकाम हासिल किया है. रोज करीब 8 घंटे अभ्यास किया. कपिल की इस उपलब्धि पर घर परिवार के लोग बहुत खुश हैं.
माखन परमार का कहना है कि कपिल का विदेश की सरजमीं पर गोल्ड मेडल जीतना बेहद गर्व की बात है. उन्होंने कहा कि वो मध्यप्रदेश सरकार से अपील करते है कि इस होनहार खिलाड़ी की तरफ ध्यान दे और कपिल को आगे बढ़ाने में मदद करें.

Intro:सीहोर-टैक्सी ड्राइवर के बेटे ने कर दिखाया कमाल,

-इंग्लैंड में आयोजित कामन्वलेथ जुडो चैंपियन शिप में साउथ अफ्रीका के खिलाड़ी को हराकर जीता गोल्ड,

- साउथ अफ्रीका के खिलाड़ी को हराकर जीता गोल्ड मेडल,

-गोल्ड जीतकर सीहोर का नाम देश भर में किया रोशन,

- 12 साल के संघर्ष के बाद मिला गोल्ड
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बाईट- 01कपिल गोल्ड विजेता,

बाईट- 02 राम सिंह परमार, कपिल के पिता,

बाईट- 03 माखन परमार, पूर्व पार्षद, एवं समाज अध्यक्ष,
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सीहोर- मध्य प्रदेश के छोटे से शहर सीहोर के छोटे से गांव मुरदी के छोटे से घर में रहने वाले आंखों से कमजोर कपिल ने कमाल कर दिखाया। कपिल परमार ने इंग्लैंड में आयोजित कामनवेल्थ जूडो चैंपियनशिप 2019 के पैरा कामनवेल्थ गैम में जुडो के 60 किलो वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।


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जानकरी के अनुसार शहर के मुरली निवासी टैक्सी ड्राइवर राम सिंह परमार के बेटे कपिल ने देश के साथ ही विदेश में भी सीहोर को नई पहचान दी है कपिल परमार ने अपने पहले मुकाबले में इंग्लैंड के खिलाडी को दूसरे मुकाबले में इंडिया के खिलाडी को ...और सेमीफाईनल में उज्बेकिस्तान के खिलाडी को हराया।अंतिम फायनल मुकाबले में उन्होंने साउथ अफ्रीका के खिलाडी को परास्त कर अपने देश भारत के लिए गोल्ड मैडल जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया ।

कपिल ने बताया की मेरी मां के आशीर्वाद वह नियमित अभ्यास से यह संभव हुआ मैं यहां से भोपाल जाकर अभ्यास करता था जिसने मेरे कोच का सराहनीय योगदान रहा।कपिल की इस उपलब्धि पर घर परिवार के लोग बहुत खुश हैं।Conclusion:
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