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कोरोना काल: न्यायालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई पहली सुनवाई

आजादी के बाद जिले में स्थापित शासकीय न्याय व्यवस्था में कोरोना संक्रमण काल में कानून के क्षेत्र में एक नया नवाचार अमल में लाया गया है. जिसमें रूटीन की प्रक्रिया से एकदम हटकर जिला न्यायालय में वीडियो कॉफ्रेंसिंग संचार साधन आधारित न्याय व्यवस्था के एक नए युग की शुरूआत हुई है.

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Published : May 16, 2020, 11:31 PM IST

Today's first hearing through video conferencing in the court in Sehore
न्यायालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई पहली सुनवाई

सीहोर। कोरोना वायरस संक्रमण के दौर में बचाव के लिए जारी लॉकडाउन में न्यायपालिका की प्रकिया बदली-बदली नजर आने लगी है. शासकीय न्याय प्रक्रिया की स्थापना से जारी रूटीन न्याय प्रक्रिया से एकदम अलग ही आंतरिक माहौल में आधुनिक संसाधनों से आधारित उपकरणों के मध्यम से जिला न्यायालय के दो वरिष्ठ वकीलों के न्यायालय के कॉन्फ्रेंस हाल में बैठकर दीवानी मामले की अंतिम बहस की. लेकिन सबसे अलग मंजर दिखा जिला एवं सत्र न्यायधीश के चेम्बर का. जहां बहस के दौरान ना तो पक्षकार और ना ही विटनेस बॉक्स में गवाह नजर आ रहे हैं. न्यायधीशों की अदालत में वकीलों की बहस की तेज-तेज आवाजों की जगह एकदम ख़ामोशी का वातावरण से कोरोना काल का एहसास जरुर कराता दिखा.

फैसला मेल से दोनों पक्षकारों को प्रेषित किया

दरअसल जबलपुर उच्च न्यायालय के निर्देश पर दीवानी मामलों की सुनवाई वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए प्रदेश में शुरू की गई है. इसी के अंतर्गत सीहोर के जिला न्यायालय में लॉकडाउन के दौरान वीडियो कॉफ्रेंस के जरिए जिला एवं सत्र न्यायाधीश राज्यवर्धन गुप्ता ने दीवानी मामले की अंतिम बहस सुनी और इस बहस के बाद अपना ई-फैसला मेल से दोनों पक्षकारों को प्रेषित किया.

न्याय व्यवस्था में अनूठा बदलाब

आजादी के बाद जिले में स्थापित शासकीय न्याय व्यवस्था में कोरोना संक्रमण काल में यह कानून के क्षेत्र में एक नया नवाचार अमल में लाया गया है. जिसमें रूटीन की प्रक्रिया से एकदम हटकर जिला न्यायालय में संचार साधन आधारित न्याय व्यवस्था के एक नए युग की शुरुआत हुई है. इस व्यवस्था में जिला न्यायालय के कॉफ्रेंस हाल में बैठकर वरिष्ठ वकीलों ने दीवानी मामले में अपनी जोरदार बहस वीडियो कॉलिंग के माध्यम से की. दरअसल जबलपुर उच्च न्यायालय द्वारा जारी निर्देश के आधार पर जिला न्यायालयों में दीवानी मामलों की बहस और निर्णय वीसी के जरिए किये जाने और निर्णय का मार्ग प्रशस्त हुआ है.

आज जिला एवं सत्र न्यायाधीश से अनुमति लेकर जब मीडिया ने जिला न्यायालय में चल रही प्रक्रिया को देखने और समझने का प्रयास किया तो अंदर के हालात रोजमर्रा की जगह एकदम जुदा नजर आए. लॉकडाउन की लम्बी अवधि के बाद दीवानी मामले की ई-सुनवाई इस अदालत में हुई. ना तो दोनों पक्षकार, ना दोनों के वकील. सूने-सूने विटनेस बॉक्स कोरोना काल की कहानी कहते दिख रहे थे.

अपने डेस्क पर अकेले बैठे जिला एवं सत्र न्यायाधीश राज्यवर्धन गुप्ता अपने मुंह पर मास्क और हाथों में दस्ताने पहने हुए थे और उनके सामने लगी एलईडी स्क्रीन पर तीन फ्रेम नजर आ रहे थे. पहले फ्रेम में सीनियर वकील कमर अहमद सिद्दकी और दूसरे फ्रेम में वरिष्ठ वकील जीतेंद्र व्यास बहस के लिए तैयार नजर आए. बारी-बारी से दोनों ने इस दीवानी मामले की अपनी फाइनल बहस की. दोनों वकील जिला न्यायालय से वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए सीधे जिला कोर्ट में जिला एवं सत्र न्यायाधीश से लाइव जुड़े हुए थे.

इस बहस के बाद वरिष्ठ वकील कमर अहमद सिद्दकी ने कहा की ये मेरे न्याय पालिका के जीवन में यह पहला अवसर था जब हमने वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए बहस की है. इस मामले के दूसरे पक्षकार के एडवोकेट जीतेंद्र व्यास ने कहा की मेरे जीवन में भी यह एकदम नया अनुभव है.

सीहोर। कोरोना वायरस संक्रमण के दौर में बचाव के लिए जारी लॉकडाउन में न्यायपालिका की प्रकिया बदली-बदली नजर आने लगी है. शासकीय न्याय प्रक्रिया की स्थापना से जारी रूटीन न्याय प्रक्रिया से एकदम अलग ही आंतरिक माहौल में आधुनिक संसाधनों से आधारित उपकरणों के मध्यम से जिला न्यायालय के दो वरिष्ठ वकीलों के न्यायालय के कॉन्फ्रेंस हाल में बैठकर दीवानी मामले की अंतिम बहस की. लेकिन सबसे अलग मंजर दिखा जिला एवं सत्र न्यायधीश के चेम्बर का. जहां बहस के दौरान ना तो पक्षकार और ना ही विटनेस बॉक्स में गवाह नजर आ रहे हैं. न्यायधीशों की अदालत में वकीलों की बहस की तेज-तेज आवाजों की जगह एकदम ख़ामोशी का वातावरण से कोरोना काल का एहसास जरुर कराता दिखा.

फैसला मेल से दोनों पक्षकारों को प्रेषित किया

दरअसल जबलपुर उच्च न्यायालय के निर्देश पर दीवानी मामलों की सुनवाई वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए प्रदेश में शुरू की गई है. इसी के अंतर्गत सीहोर के जिला न्यायालय में लॉकडाउन के दौरान वीडियो कॉफ्रेंस के जरिए जिला एवं सत्र न्यायाधीश राज्यवर्धन गुप्ता ने दीवानी मामले की अंतिम बहस सुनी और इस बहस के बाद अपना ई-फैसला मेल से दोनों पक्षकारों को प्रेषित किया.

न्याय व्यवस्था में अनूठा बदलाब

आजादी के बाद जिले में स्थापित शासकीय न्याय व्यवस्था में कोरोना संक्रमण काल में यह कानून के क्षेत्र में एक नया नवाचार अमल में लाया गया है. जिसमें रूटीन की प्रक्रिया से एकदम हटकर जिला न्यायालय में संचार साधन आधारित न्याय व्यवस्था के एक नए युग की शुरुआत हुई है. इस व्यवस्था में जिला न्यायालय के कॉफ्रेंस हाल में बैठकर वरिष्ठ वकीलों ने दीवानी मामले में अपनी जोरदार बहस वीडियो कॉलिंग के माध्यम से की. दरअसल जबलपुर उच्च न्यायालय द्वारा जारी निर्देश के आधार पर जिला न्यायालयों में दीवानी मामलों की बहस और निर्णय वीसी के जरिए किये जाने और निर्णय का मार्ग प्रशस्त हुआ है.

आज जिला एवं सत्र न्यायाधीश से अनुमति लेकर जब मीडिया ने जिला न्यायालय में चल रही प्रक्रिया को देखने और समझने का प्रयास किया तो अंदर के हालात रोजमर्रा की जगह एकदम जुदा नजर आए. लॉकडाउन की लम्बी अवधि के बाद दीवानी मामले की ई-सुनवाई इस अदालत में हुई. ना तो दोनों पक्षकार, ना दोनों के वकील. सूने-सूने विटनेस बॉक्स कोरोना काल की कहानी कहते दिख रहे थे.

अपने डेस्क पर अकेले बैठे जिला एवं सत्र न्यायाधीश राज्यवर्धन गुप्ता अपने मुंह पर मास्क और हाथों में दस्ताने पहने हुए थे और उनके सामने लगी एलईडी स्क्रीन पर तीन फ्रेम नजर आ रहे थे. पहले फ्रेम में सीनियर वकील कमर अहमद सिद्दकी और दूसरे फ्रेम में वरिष्ठ वकील जीतेंद्र व्यास बहस के लिए तैयार नजर आए. बारी-बारी से दोनों ने इस दीवानी मामले की अपनी फाइनल बहस की. दोनों वकील जिला न्यायालय से वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए सीधे जिला कोर्ट में जिला एवं सत्र न्यायाधीश से लाइव जुड़े हुए थे.

इस बहस के बाद वरिष्ठ वकील कमर अहमद सिद्दकी ने कहा की ये मेरे न्याय पालिका के जीवन में यह पहला अवसर था जब हमने वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए बहस की है. इस मामले के दूसरे पक्षकार के एडवोकेट जीतेंद्र व्यास ने कहा की मेरे जीवन में भी यह एकदम नया अनुभव है.

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