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10 हजार की प्रोत्साहन राशि पाने के लिए 30 हजार किए खर्च, SDM ने कहा- नहीं की ऐसी कोई घोषणा

बीते साल कलेक्टर अजय गुप्ता ने आंवलीघाट पर 10 हजार रुपये प्रति गोताखोर देने की घोषणा की थी. लेकिन अब तक 10 हजार रुपये की राशि नहीं दी गई है. इस मामले को लेकर पीड़ित ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है. हैरान कर देने वाली बात ये है कि 10 हजार की राशि पाने के लिए एक गोताखोर के 30 हजार रुपये खर्च कर दिए.

Memorandum submitted to collector
कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन
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Published : Dec 1, 2020, 3:58 PM IST

सीहोर। गोताखोरों को प्रोत्साहन देने के लिए बीते साल कलेक्टर अजय गुप्ता ने आंवलीघाट पर 10 हजार रुपये प्रति गोताखोर देने की घोषणा की थी. लेकिन एक साल बाद भी अब तक 10 हजार रुपये की राशि नहीं दी गई है. वहीं इस राशि को पाने के लिए एक गोताखोर 30 हजार रुपये तक खर्च कर चुका है. इतना ही नहीं एडीएम ने तो इस तरह के आदेश से ही इनकार कर दिया है.

गोताखारों ने इस सम्मान निधि को पाने के लिए बुधनी से जिला मुख्यालय स्थित कलेक्ट्रेट कार्यालय तक आठ बार किराये की गाड़ी लेकर चक्कर लगा दिए. जिसमें उसके 30 हजार रूपए खर्च हो गए. एक साल का वक्त गुजरने बावजूद घोषित की गई राशि, अब तक गोताखोरों को नहीं मिली है, गोताखोरों ने कलेक्टर बुधनी एसडीएम को भी अवगत कराया है, लेकिन ऐसा जबाव मिला की गोताखोर हैरान हो गए है. एसडीएम ने कहा कि इस तरह के कोई भी आदेश जारी नहीं किए गए थे. जबकि कलेक्टर अजय गुप्ता ने पिछले साल ऐसे 11 गोतोखोरों को दक्षिणा राशि देने का ऐलान किया था.

जिसके बाद मंगलवार को कलेक्ट्रेट पहुंचे गोताखोरों ने आष्टा विधायक रघुनाथ मालवीय और पूर्व जनपद सदस्य रामभजन मालवीय के साथ मिलकर डिप्टी कलेक्टर रवि वर्मा को मामले से संबंधित ज्ञापन सौंपा. कलेक्टर के द्वारा घोषित प्रोत्साहन राशि प्रत्येक गोताखोर को दस हजार रूपये दिलाने की मांग की है.

प्रशासन देता है हस्तलिखित प्रमाण पत्र

गोताखोरों ने अब तक कितनी लाशें नर्मदा नदी से निकाली हैं. इस की सही गिनती उन्हें भी नहीं मालूम रहती है. लेकिन स्थानीय प्रशासन के द्वारा गोताखोरों को अब तक 100 से अधिक हस्तलिखित प्रमाण पत्र जान बचाने पर दिए जा चुके हैं. नर्मदा में डूबने से बचने वाले लोगों और उनके परिजन गोताखोरोंं को देवदूत से कम नहीं मानते हैं.

सीहोर। गोताखोरों को प्रोत्साहन देने के लिए बीते साल कलेक्टर अजय गुप्ता ने आंवलीघाट पर 10 हजार रुपये प्रति गोताखोर देने की घोषणा की थी. लेकिन एक साल बाद भी अब तक 10 हजार रुपये की राशि नहीं दी गई है. वहीं इस राशि को पाने के लिए एक गोताखोर 30 हजार रुपये तक खर्च कर चुका है. इतना ही नहीं एडीएम ने तो इस तरह के आदेश से ही इनकार कर दिया है.

गोताखारों ने इस सम्मान निधि को पाने के लिए बुधनी से जिला मुख्यालय स्थित कलेक्ट्रेट कार्यालय तक आठ बार किराये की गाड़ी लेकर चक्कर लगा दिए. जिसमें उसके 30 हजार रूपए खर्च हो गए. एक साल का वक्त गुजरने बावजूद घोषित की गई राशि, अब तक गोताखोरों को नहीं मिली है, गोताखोरों ने कलेक्टर बुधनी एसडीएम को भी अवगत कराया है, लेकिन ऐसा जबाव मिला की गोताखोर हैरान हो गए है. एसडीएम ने कहा कि इस तरह के कोई भी आदेश जारी नहीं किए गए थे. जबकि कलेक्टर अजय गुप्ता ने पिछले साल ऐसे 11 गोतोखोरों को दक्षिणा राशि देने का ऐलान किया था.

जिसके बाद मंगलवार को कलेक्ट्रेट पहुंचे गोताखोरों ने आष्टा विधायक रघुनाथ मालवीय और पूर्व जनपद सदस्य रामभजन मालवीय के साथ मिलकर डिप्टी कलेक्टर रवि वर्मा को मामले से संबंधित ज्ञापन सौंपा. कलेक्टर के द्वारा घोषित प्रोत्साहन राशि प्रत्येक गोताखोर को दस हजार रूपये दिलाने की मांग की है.

प्रशासन देता है हस्तलिखित प्रमाण पत्र

गोताखोरों ने अब तक कितनी लाशें नर्मदा नदी से निकाली हैं. इस की सही गिनती उन्हें भी नहीं मालूम रहती है. लेकिन स्थानीय प्रशासन के द्वारा गोताखोरों को अब तक 100 से अधिक हस्तलिखित प्रमाण पत्र जान बचाने पर दिए जा चुके हैं. नर्मदा में डूबने से बचने वाले लोगों और उनके परिजन गोताखोरोंं को देवदूत से कम नहीं मानते हैं.

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