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बछड़े-बछिया का प्रेम देख ग्रामीणों ने करा दी शादी, निभाई गई सारी रस्में

सीहोर में ग्रामीणों ने एक बछड़े और बछिया की शादी करा दी. बछड़ा और बछिया यहां हिंदू रीति-रिवाजों से सात फेरे लेकर एक-दूसरे के हो गए.

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Published : Nov 11, 2019, 12:03 AM IST

बछड़े और बछिया

सीहोर। आपने एक से बढ़कर एक शादी समारोह देखे होंगे लेकिन आज हम आपको एक ऐसी अनूठी शादी दिखाने जा रहे हैं जिसके बारे में आपने ना कभी सुना होगा और ना ऐसी शादी के आप गवाह बने होंगे. दरअसल सीहोर के जावर तहसील के करमनखेड़ी गांव में एक बछिया और बछड़े की शादी कराई गई. जिसमें दुल्हा गाय का बछड़ा तो दुल्हन गाय की बछड़ी थी. जबकि बाराती के रूप में ग्रामीण थे. बैंडबाजों के साथ जब विवाह की बारात निकली तो देखने वाले आश्चर्यकित रह गए.

बछड़े और बछिया की शादी

ग्रामीणों ने गाय की बछड़ी और बछड़े जिसे कामधेनु और नंदी का रूप माना जाता है, दोनों का आपस में विवाह कराया. विवाह कोई साधारण नहीं था जो एक सामान्य परिवार की शादी में रीति रिवाज किए जाते हैं, वह सभी मांगलिक कार्य किए गए.

गांव के सरपंच ने बताया कि करमनखेड़ी गांव में दो महीने पहले एक गाय का बछड़ा और बछिया बाहर से आ गए थे. यह दोनों ही साथ में रहने लगे. वह जहां पर जाते वहां भी साथ में ही रहते थे. दोनों के बीच का प्रेम देखकर ग्रामीण आश्चर्य में पड़ गए. उनके इस प्रेम को देखने के बाद सभी ने मिलकर शादी कराने का फैसला लिया.

ग्रामीणों ने इसके लिए राशि एकत्रित की. वहीं बकायदा गणेश पूजन के बाद दोनों को दुल्हा-दुल्हन बनाया गया. यह प्रकिृया पूरी होने के बाद बछिया और बछड़े का हिन्दू रीति रिवाज से विवाह कराया गया. खास बात यह है कि शादी कराने के लिए पंडितों को बुलाया गया था. विवाह के दिन वर पक्ष बछड़े की तरफ से अर्जुनसिंह ठाकुर बैंडबाजे के साथ बारात लेकर वधु पक्ष बछिया के तेजसिंह आचार्य के घर बारात लेकर पहुंचे.

यहां बकायदा स्टेज सजाया गया था, जहां एक से बढ़कर एक नृत्य की प्रस्तुति देखने को मिली. ग्रामीणों ने खाने का आयोजन भी करा. वर और वधु अग्नि के समक्ष सात फेरे लेकर एक दूजे के हो गए. अनोखी शादी को जिसने भी देखा वह आश्चर्यकित रह गया.

सीहोर। आपने एक से बढ़कर एक शादी समारोह देखे होंगे लेकिन आज हम आपको एक ऐसी अनूठी शादी दिखाने जा रहे हैं जिसके बारे में आपने ना कभी सुना होगा और ना ऐसी शादी के आप गवाह बने होंगे. दरअसल सीहोर के जावर तहसील के करमनखेड़ी गांव में एक बछिया और बछड़े की शादी कराई गई. जिसमें दुल्हा गाय का बछड़ा तो दुल्हन गाय की बछड़ी थी. जबकि बाराती के रूप में ग्रामीण थे. बैंडबाजों के साथ जब विवाह की बारात निकली तो देखने वाले आश्चर्यकित रह गए.

बछड़े और बछिया की शादी

ग्रामीणों ने गाय की बछड़ी और बछड़े जिसे कामधेनु और नंदी का रूप माना जाता है, दोनों का आपस में विवाह कराया. विवाह कोई साधारण नहीं था जो एक सामान्य परिवार की शादी में रीति रिवाज किए जाते हैं, वह सभी मांगलिक कार्य किए गए.

गांव के सरपंच ने बताया कि करमनखेड़ी गांव में दो महीने पहले एक गाय का बछड़ा और बछिया बाहर से आ गए थे. यह दोनों ही साथ में रहने लगे. वह जहां पर जाते वहां भी साथ में ही रहते थे. दोनों के बीच का प्रेम देखकर ग्रामीण आश्चर्य में पड़ गए. उनके इस प्रेम को देखने के बाद सभी ने मिलकर शादी कराने का फैसला लिया.

ग्रामीणों ने इसके लिए राशि एकत्रित की. वहीं बकायदा गणेश पूजन के बाद दोनों को दुल्हा-दुल्हन बनाया गया. यह प्रकिृया पूरी होने के बाद बछिया और बछड़े का हिन्दू रीति रिवाज से विवाह कराया गया. खास बात यह है कि शादी कराने के लिए पंडितों को बुलाया गया था. विवाह के दिन वर पक्ष बछड़े की तरफ से अर्जुनसिंह ठाकुर बैंडबाजे के साथ बारात लेकर वधु पक्ष बछिया के तेजसिंह आचार्य के घर बारात लेकर पहुंचे.

यहां बकायदा स्टेज सजाया गया था, जहां एक से बढ़कर एक नृत्य की प्रस्तुति देखने को मिली. ग्रामीणों ने खाने का आयोजन भी करा. वर और वधु अग्नि के समक्ष सात फेरे लेकर एक दूजे के हो गए. अनोखी शादी को जिसने भी देखा वह आश्चर्यकित रह गया.

Intro:
सीहोर- अनोखी शादी,

-दूल्हा बना बछड़ा, दुल्हन बनी बछिया,

-गाँव वाले बने बराती और घराती,

- विवाह की सभी रस्मे भी निभाई गई,

- ग्रामीणों ने कराई शादी,

- निकाली बारात, कराया भोजन,
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बाईट-01अर्जुन सिंह ठाकुर (सरपंच ग्राम करमनखेड़ी,)
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सीहोर- आपने एक से बढ़कर एक शादी समारोह देखे होंगे लेकिन आज हम आपको एक ऐसी अनूठी शादी दिखाने जा रहे हैं जिसके बारे में आपने ना कभी सुना होगा और ना ऐसी शादी के आप गवाह बने होंगे...

जिले के जावर तहसील के गांव करमनखेड़ी से मामला सामने आया है। जंहा एक बछिया और बछड़े की शादी कराई गई जिसमें दुल्हा गाय का बछड़ा तो दुल्हन गाय की बछड़ी थी, जबकि बाराती के रूप में ग्रामीण थे। बैंडबाजों के साथ जब विवाह की बारात निकली तो देखने वाले आश्चर्यकित रह गए।

ग्रामीणों ने गाय की बछड़ी और  बछड़े जिसे कामधेनु और नंदी का रूप माना जाता है दोनों का आपस में विवाह कराया गया। विवाह  कोई साधारण नहीं था जो एक सामान्य परिवार की शादी मे किए रीति रिवाज किए जाते है वह सभी  मांगलिक कार्य किए गए।

Body:सरपंच ने बताया कि करमनखेड़ी गांव में दो महीने पहले एक गाय का बछड़ा और बछिया बाहर से आ गए थे। यह दोनों ही साथ में रहने लगे। वहीं जहां पर जाते वहां भी साथ में ही रहते थे। दोनों के बीच का प्रेम देखकर ग्रामीण आश्चर्य में पड़ गए। उनके इस प्रेम को देखने के बाद सभी ने मिलकर शादी कराने का निर्णय लिया।

ग्रामीणों ने इसके लिए राशि एकत्रित की। वहीं बकायदा गणेश पूजन के बाद दोनों को दुल्हा-दुल्हन बनाया गया। यह प्रकिृया पूरी होने के बाद बछिया और बछड़े का पूरा हिन्दू रीति रिवाज से विवाह कराया गया। खास बात यह है कि शादी कराने के लिए पंडितों को बुलाया था। विवाह के दिन वर पक्ष बछड़े की तरफ से अर्जुनसिंह ठाकुर बैंडबाजे के साथ बारात लेकर वधु पक्ष बछिया के तेजसिंह आचार्य के घर बारात लेकर पहुंचे।

यहां बकायदा स्टेज सजाया गया था, जहां एक से बढ़कर एक नृत्य की प्रस्तुति देखने को मिली। ग्रामीणों ने भोजन का आयोजन भी करा। वर और वधु अग्रि के समक्ष सात फेरे लेकर एक दूजे के हो गए। अनोखी शादी को जिसने भी देखा वह आश्चर्यकित रह गया।

                Conclusion:
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