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खंडहर में तब्दील हो रहे गरीबों के आशियाने, जिम्मेदार बना रहे अजीबोगरीब बहाने

सतना में लगभग 2 सौ करोड़ की लागत से गरीबों के लिए बनाए जा रहे घर अब खंडहर में तब्दील हो चुके हैं. वहीं महापौर का कहना है कि इन आवासों में अदृश्य शक्तियों का वास हो चुका है.

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Published : Nov 15, 2019, 1:10 PM IST

खंडहर में तब्दिल हो रहें गरिबों के आशियानें

सतना। नगर निगम स्मार्ट सिटी के अंतर्गत शहर में लगभग 2 सौ करोड़ की लागत से गरीबों के लिए घर बनाए जा रहे हैं. इसके बावजूद शहर की हालत बद से बदतर है. वहीं शहर के अवासविहीन गरीबों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उतैली में 2,850 मकान बनाकर गरीबों को लॉटरी सिस्टम से आवंटित करना था. मगर आज तक सतना नगर निगम एक भी गरीब परिवार को मकान आवंटित नहीं कर पाई. करीब 400 से 1700 गरीब परिवारों ने कर्ज लेकर मार्जिन मनी के तहत प्रति परिवार ने 20-20 हजार लगभग साढ़े नौ करोड़ रुपए भी जमा कर चुके, लेकिन आज तक परिवार नगर निगम के चक्कर ही काट रहे हैं.

मामले में सतना महापौर भी नगर निगम के अधिकारियों को दोषी मान रही हैं. महापौर ममता पांडेय की मानें तो नवीन आवास भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा हुआ है और किसी बड़े हादसे की वजह भी बन सकता है. उनकी मानें तो इन आवासों की जांच में अनियमितताएं पाई गई हैं, जिसके चलते बने आवास खंडहर हो चुके हैं. वहीं महापौर का अजीबोगरीब तर्क भी है कि अब इन नवीन आवासों में अदृश्य शक्तियों का वास हो चुका है.

सतना। नगर निगम स्मार्ट सिटी के अंतर्गत शहर में लगभग 2 सौ करोड़ की लागत से गरीबों के लिए घर बनाए जा रहे हैं. इसके बावजूद शहर की हालत बद से बदतर है. वहीं शहर के अवासविहीन गरीबों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उतैली में 2,850 मकान बनाकर गरीबों को लॉटरी सिस्टम से आवंटित करना था. मगर आज तक सतना नगर निगम एक भी गरीब परिवार को मकान आवंटित नहीं कर पाई. करीब 400 से 1700 गरीब परिवारों ने कर्ज लेकर मार्जिन मनी के तहत प्रति परिवार ने 20-20 हजार लगभग साढ़े नौ करोड़ रुपए भी जमा कर चुके, लेकिन आज तक परिवार नगर निगम के चक्कर ही काट रहे हैं.

मामले में सतना महापौर भी नगर निगम के अधिकारियों को दोषी मान रही हैं. महापौर ममता पांडेय की मानें तो नवीन आवास भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा हुआ है और किसी बड़े हादसे की वजह भी बन सकता है. उनकी मानें तो इन आवासों की जांच में अनियमितताएं पाई गई हैं, जिसके चलते बने आवास खंडहर हो चुके हैं. वहीं महापौर का अजीबोगरीब तर्क भी है कि अब इन नवीन आवासों में अदृश्य शक्तियों का वास हो चुका है.

Intro:एंकर --
सतना नगर निगम स्मार्ट सिटी अंतर्गत शहर में लगभग 2 सौ करोड़ की लागत से गरीबों के लिए बनाये जा रहे हैं. इसके बाबजूद शहर की हालत बतसे बत्तर ही हैं.सबसे ज्यादा गरीबो के सपने चकनाचूर हो रहे.शहर के अवाश विहीन गरीबो को प्रधानमंत्री आवाश योजना के तहत उतैली में 2850 मकान बनाकर गरीबो को लाटरी सिस्टम से आवंटित करना था.मगर आज तक एक भी गरीब परिवार को सतना नगर निगम मकान आवंटित नही कर सका.करीब 4 सौ 17 गरीब परिवारों ने कर्ज लेकर मार्जिन मनी के तहत प्रति परिवार 20-20 हजार जमा भी किये.लेकिन मकान आज तक नही मिला.दो वर्षों से ये परिवार नगर निगम के चक्कर काट रहे ।




Body:Vo 1--
प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट पीएम आवास योजना के तहत सतना नगर निगम में उतैली में 2850 मकान बनाकर शहर के उन गरीबो को आबंटित करना था जो भवन विहीन थे और जो निचली बस्ती में निवास करते थे.अगस्त 2016 में इस योजना की सुरुआत हुई.अनुबन्ध के तहत संविदाकार को 16 माह में निर्माण कार्य पूर्ण कर देना.और 2018 तक शहर के चिह्नित गरीब परिवारों को मकान दिए जाने थे.लेकिन निर्माण कार्य कछुआ गति से चलने की वजह से प्रशासन आज तक गरीबों को मकान नहीं दे पाया.यहाँ अधिकांश मकान खंडहर में तब्दील हो चुके हैं.नगर निगम की लापरवाही और संविदाकार की मनमानी से 2 सौ करोड़ो रूपये का बजट में जमकर गोलमाल हो रहा. 417 गरीब परिवार ने 20-20 हजार लगभग साढ़े नौ करोड़ रुपये भी जमा कर चुके.जिन्हें लाटरी सिस्टम में आवास आबंटित हुया मगर.मगर डेढ़ वर्षो से ये परिवार आवास का इंतजार ही कर रहे.और नगर निगम पार्षदों के यहां चक्कर काट रहे.ऐसे में गरीब परिवार बेहद परेशान है.इस मामले में सतना महापौर भी नगर निगम अधिकारियों को दोषी मान रही.महापौर ममता पांडेय की माने तो नवीन आवास भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा हुया है.और किसी बड़े हादसे की बजह भी बन सकता है.उनकी माने तो इन आवासों की जांच में घटिया निर्माड मिला और जो बने वो आवाश खंडहर हो चुके महापौर का अजीबो गरीब तर्क भी है.उनकी माने तो अब तो इन नवीन आवासों में अदृश्य शक्तियों का बास हो चुका ।

Vo 2--
प्रधानमंत्री आवाश योजना के तहत निचली बस्तियो के गरीब परिवार को प्राथमिकता के आधार पर ये आवास वितरित करने थे.इस प्रोजेक्ट के तहत नगर निगम सीमा के 24 हजार गरीबो को चिन्हित किया गया.प्रथम प्रोजेक्ट में 2446 मकान बनाने के लिए राशी भी जारी हुई मगर अब तक एक भी परिवार का पक्के मकान में रहने का सपना साकार नही हो सका.हालांकि निगम आयुक्त की माने तो तकनीकी समस्याओ की बजह से अड़चन है.जो जल्द ठीक हो जाएगी और नए वर्ष 2020 के प्रथम माह में गरीब परिवारों को नए साल के तोहफे के रूप में आवाश आबंटित कर दिए जाएंगे ।

Byte --
राजेश विश्कर्मा -- पात्र हितग्राही ।
Byte --
ममता पांडेय -- महापौर सतना ।
Byte --
अमनवीर सिंह -- कमिश्नर नगरनिगम सतनाConclusion:Vo 3--
बहरहाल सच्चाई ये हैं कि इस बड़े प्रोजेक्ट में जमकर लीपापोती हुई.निर्माण में जमकर भ्रस्टाचार हुया है.अब तक तीन साल में सिर्फ 25 प्रतिशत ही भवन का निर्माण हुया जबकि 75 प्रतिशत काम अभी भी अधूरा है.ऐसे में आयुक्त का गरीबो को नए साल का तोहफा देने के दावे पर प्रश्न चिन्ह लग रहा तो वही महापौर के बयान से इस प्रोजेक्ट में हुई गफलत की भी कलाई खुल रही ।
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