सतना। कहते हैं अगर हौसले बुलंद हो तो हर काम आसान हो जाता है, जी हां इस बात को सच कर दिखाने वाले सतना जिले के माधवगढ़ कस्बे के इटौरा गांव के किसान के 15 वर्षीय बेटे हिमांशु मिश्रा ने भाला फेंक प्रतियोगिता में राष्ट्रीय स्तर पर रजत पदक हासिल कर जिले का नाम देशभर में रोशन किया है. जिसके बाद हिमांशु रजत पदक लेकर जब अपने घर पहुंचा उस घर में खुशियों का माहौल छाया हुआ है, पूरे परिवार का सर फक्र से ऊंचा हो गया. हिमांशु कक्षा 10 वीं का छात्र है.
- नेशनल भाला प्रतियोगिता के आयोजन में जीता रजत पदक
असम गुवाहाटी में इंदिरा गांधी एथलेटिक्स स्टेडियम में 9 फरवरी को नेशनल भाला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था. जिसमें हिमांशु ने 57.20 मीटर भाला फेंका, और देश में दूसरा स्थान प्राप्त कर रजत पदक हासिल किया.
- छोटे किसान के बेटे हैं हिमांशु
हिमांशु के पिता विनय मिश्रा एक छोटे से किसान है और खेतों में खून पसीना एक कर अन्न पैदा करने वाले अन्नदाता के इस बेटे ने अपने पिता सर फक्र से ऊंचा कर दिया. अन्नदाता के बेटे ने देशभर में सतना जिले का नाम रोशन किया है. हिमांशु इसके अलावा अपने घर में एक देशी जिम भी तैयार किया है. जिसमें वे खुद के साथ आसपास के ग्रामीण के बच्चों को भी देशी तरीके से जिम करने का प्रशिक्षण निशुल्क देता है.
- परिवार के सहयोग से मिली उपलब्धि
इस बारे में जब हिमांशु मिश्रा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उन्हें बचपन से ही खेलकूद का शौक था. विगत 4 साल पहले भाला फेंक खेल की शुरुआत की. जिसके बाद धीरे-धीरे हिमांशु ने ब्लॉक स्तर पर इस खेल में भाग लिया, और इसके बाद जिला स्तर, संभाग स्तर के बाद प्रदेश स्तर तक इस खेल में पहुंचा और अब राष्ट्रीय स्तर पर असम गुवाहाटी में हुए भाला फेंक एथलेटिक्स प्रतियोगिता में रजत पदक हासिल किया. इसका श्रेय हिमांशु ने अपने माता-पिता और दादा-दादी को दिया है. हिमांशु का लक्ष्य रजत के बाद स्वर्ण पदक लाएगा. खेल को लेकर हिमांशु ने बताया कि हर व्यक्ति को खेल खेलना चाहिए. क्योंकि जो व्यक्ति स्पोर्ट से जुड़ा होता है. नकारात्मक सोच से दूर रहता है. उस व्यक्ति के अंदर सकारात्मक विचार पैदा होते हैं. और वह हमेशा आगे बढ़ने के लिए सोचता है. खेलने से हर व्यक्ति स्वस्थ रहता है.
- बेटे की सफलता से माता-पिता उत्साहित
हिमांशु के पिता ने बताया कि हमारी पारिवारिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण हम उसे खेलने से मना करते थे. लेकिन उसकी लगन और चाहत को देखकर उसके पिता सहित उसके पूरे परिवार ने उसको सहयोग करना शुरू कर दिया. 3 वर्ष पहले हिमांशु का हाथ भी फैक्चर हो चुका था. लेकिन हिमांशु ने इस खेल को खेलना बंद नहीं किया. वह लगातार अपने लक्ष्य को लेकर ड़टा रहा और आज रजत पदक हासिल करके हमारे परिवार का सर ऊंचा कर दिया. हम सभी को बहुत खुशी है. हिमांशु के कृषक पिता सरकार से अपने बेटे के लिए मदद की गुहार लगा रहे हैं.
हिमांशु की मां माया मिश्रा ने बताया कि हमारे पास भाला खरीदने तक के लिए पैसे नहीं थे. हमारा बेटा पहले बांस के डंडे से पूरे प्रेक्टिस करता था. किसी तरीके से हम सभी ने पैसों का इंतजाम करके भाला खरीद कर अपने बेटे को दिया. और आज उसने रजत पदक हासिल करके हम सभी को बहुत खुशी दी है. हमारा परिवार आज खुशियों से भर चुका है.
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- गांव के लोग भी उत्साहित
किसान के बेटे की इस सफलता को लेकर गांव के स्थानीय लोग भी उसकी प्रशंसा कर रहे हैं, और उन्होंने हिमांशु को गांव के लिए एक प्रेरणा के रूप में माना है, कि 15 साल की उम्र में हिमांशु में दूसरे बच्चों के लिए एक प्रेरणा का काम किया है. और हम सभी को भी बहुत खुशी है. वहीं हिमांशु के स्कूल के प्रिंसिपल भी उनकी प्रशंसा कर रहे हैं. उन्होंने यह कहा कि हिमांशु ने देश में जिले का नाम रौशन किया है. निश्चित रूप से यह एक बड़ी उपलब्धि है. और इससे दूसरे बच्चों को भी एक बड़ी प्रेरणा मिलेगी.