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सतना: अप्रत्यक्ष तरीके से होगा महापौर का चुनाव, बीजेपी पार्षदों ने जताई आपत्ति - कांग्रेस पार्षद रामकुमार तिवारी

मलनाथ सरकार ने ने फैसला लिया है कि महापौर और नगर निगम अध्यक्ष को जनता सीधे अपने वोट के जरिए नहीं चुनेगी, सरकार के इस फैसले का विरोध बीजेपी पार्षद कर रहे हैं. इसके साथ ही जनता ने इसका विरोध किया है.

बीजेपी पार्षदों ने जताई आपत्ति
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Published : Oct 4, 2019, 3:36 AM IST

सतना। कमलनाथ सरकार आने के बाद मध्यप्रदेश में नगर निगम के मेयर को पार्षद चुनेंगे. इस पर आम लोगों के अलावा बीजेपी पार्षदों ने भी आपत्ति जताई है. लोगों का कहना है कि अब यह चुनाव पूंजीपतियों का रह गया है. जिसका सीधा असर जनता की समस्याओं पर पड़ सकता है.

बीजेपी पार्षदों ने जताई आपत्ति


दरअसल, प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आते ही जनता द्वारा मेयर को चुनने की प्रकिया पर रोक लगाने की घोषणा कर दी है. हालांकि भाजपा के समय में ये चुनाव सीधे जनता के द्वारा ही होते थे, लेकिन कांग्रेस सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के समय चुनाव की प्रणाली को फिर से अपना लिया है.


कांग्रेस पार्षद रामकुमार तिवारी का कहना है कि दिग्विजय सरकार के समय में पार्षद ही महापौर चुनते थे, लेकिन शिवराज सरकार आने के बाद फैसला बदल दिया गया, जिसे फिर से शुरू किया गया है.
वहीं बीजेपी पार्षद सुशील सिंह का कहना है कि अब ये चुनाव पूंजीपतियों का होगा. इस चरह के चुनाव के बाद महापौर सिर्फ पार्षदों की ही सुनेगा, जिससे जनता की समस्याओं को नजरअंदाज कर दिया जायेगा. उन्होंने शहर के विकास के लिए जरूरी है कि महापौर का चुनाव जनता द्वारा किया जाए.

सतना। कमलनाथ सरकार आने के बाद मध्यप्रदेश में नगर निगम के मेयर को पार्षद चुनेंगे. इस पर आम लोगों के अलावा बीजेपी पार्षदों ने भी आपत्ति जताई है. लोगों का कहना है कि अब यह चुनाव पूंजीपतियों का रह गया है. जिसका सीधा असर जनता की समस्याओं पर पड़ सकता है.

बीजेपी पार्षदों ने जताई आपत्ति


दरअसल, प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आते ही जनता द्वारा मेयर को चुनने की प्रकिया पर रोक लगाने की घोषणा कर दी है. हालांकि भाजपा के समय में ये चुनाव सीधे जनता के द्वारा ही होते थे, लेकिन कांग्रेस सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के समय चुनाव की प्रणाली को फिर से अपना लिया है.


कांग्रेस पार्षद रामकुमार तिवारी का कहना है कि दिग्विजय सरकार के समय में पार्षद ही महापौर चुनते थे, लेकिन शिवराज सरकार आने के बाद फैसला बदल दिया गया, जिसे फिर से शुरू किया गया है.
वहीं बीजेपी पार्षद सुशील सिंह का कहना है कि अब ये चुनाव पूंजीपतियों का होगा. इस चरह के चुनाव के बाद महापौर सिर्फ पार्षदों की ही सुनेगा, जिससे जनता की समस्याओं को नजरअंदाज कर दिया जायेगा. उन्होंने शहर के विकास के लिए जरूरी है कि महापौर का चुनाव जनता द्वारा किया जाए.

Intro:एंकर --
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा नगर निगम के अंतर्गत महापौर चुनाव को अप्रत्यक्ष तरीके से कराने के लिए सरकार ने घोषणा की है. अब यह चुनाव जनता से ना चुनकर सीधे महापौर से कराया जाएगा. इस बात से सतना शहर के महापौर पार्षद और आम जनता ने आपत्ति जताई. अब यह चुनाव पूंजीपतियों का रह गया है. जिसका सीधा असर जनता की समस्याओं पर पड़ सकता है।


Body:Vo --
मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार जाते ही कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत आने वाला महापौर चुनाव को अप्रत्यक्ष तरीके से करने के सरकार ने घोषणा की है. भाजपा के समय में यह चुनाव सीधे जनता के द्वारा चुना गया महापौर ही नगर निगम का प्रथम नागरिक कहलाता है. लेकिन कांग्रेस सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के सरकार के समय चुनाव की प्रणाली को फिर से अपना लिया है. महापौर का चुनाव पार्षदों द्वारा किया जाएगा. पार्षदों की माने तो यह चुनाव अब पूंजीपतियों का चुनाव होगा. पार्षदों की बोली लगेगी. आम जनता भी इस बात से नाखुश हैं. क्योंकि पार्षदों द्वारा चुना गया महापौर केवल पार्षदों की ही सुनेगा लेकिन जनता की समस्याएं और बढ़ जाएंगी. क्योंकि पार्षद वार्ड का विकास हो सकता है शहर के विकास के लिए महापौर का चुनाव जनता से होना चाहिए और जनता के द्वारा चुना गया महापौर जनता की समस्याओं को सुनेगा. इस चुनाव से महापौर पार्षद आम जनमानस सभी ने आपत्ति जताई है और कहा कि महापौर का चुनाव जनता से होना चाहिए जैसे अभी तक होता चला आ रहा है।


Conclusion:byte --
सुशील सिंह -- वार्ड पार्षद भाजपा ।
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भरत गुप्ता -- वार्ड पार्षद निर्दलीय ।
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रामकुमार तिवारी -- वार्ड पार्षद कांग्रेस ।
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धीरज मिश्रा -- स्थानीय निवासी ।
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विष्णु त्रिपाठी -- पूर्व महापौर सतना ।
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