सतना। कमलनाथ सरकार आने के बाद मध्यप्रदेश में नगर निगम के मेयर को पार्षद चुनेंगे. इस पर आम लोगों के अलावा बीजेपी पार्षदों ने भी आपत्ति जताई है. लोगों का कहना है कि अब यह चुनाव पूंजीपतियों का रह गया है. जिसका सीधा असर जनता की समस्याओं पर पड़ सकता है.
दरअसल, प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आते ही जनता द्वारा मेयर को चुनने की प्रकिया पर रोक लगाने की घोषणा कर दी है. हालांकि भाजपा के समय में ये चुनाव सीधे जनता के द्वारा ही होते थे, लेकिन कांग्रेस सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के समय चुनाव की प्रणाली को फिर से अपना लिया है.
कांग्रेस पार्षद रामकुमार तिवारी का कहना है कि दिग्विजय सरकार के समय में पार्षद ही महापौर चुनते थे, लेकिन शिवराज सरकार आने के बाद फैसला बदल दिया गया, जिसे फिर से शुरू किया गया है.
वहीं बीजेपी पार्षद सुशील सिंह का कहना है कि अब ये चुनाव पूंजीपतियों का होगा. इस चरह के चुनाव के बाद महापौर सिर्फ पार्षदों की ही सुनेगा, जिससे जनता की समस्याओं को नजरअंदाज कर दिया जायेगा. उन्होंने शहर के विकास के लिए जरूरी है कि महापौर का चुनाव जनता द्वारा किया जाए.