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जंगल में विराजे महादेव, 'भूत-प्रेत बजाते हैं ढोल-नगाड़े'

सतना जिले की उचेहरा तहसील के धनिया गांव में प्रसिद्ध भूतेश्वर धाम स्थित है. कहा जाता है कि ये देवस्थल करीब 15 सौ साल पुराना है.

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भूतेश्वर धाम
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Published : Dec 13, 2019, 2:51 PM IST

सतना। भगवान शिव देवता, असुर समेत भूत-पिशाच सभी के निर्विरोध आराध्य माने जाते हैं. इन्हीं मान्यताओं के तहत प्रदेश भर में भोलेनाथ कई रुपों में अलग-अलग जगहों पर विराजमान हैं. इन देव स्थलों की अलग-अलग मान्यता भी है. लेकिन जिले में एक देव स्थल ऐसा है,जहां कहा जाता है कि यहां पर भूत-प्रेत भगवान शंकर की आराधना करते हैं. ये देवस्थल भूतेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है.

जंगल में विराजे महादेव

उचेहरा तहसील के धनिया गांव में घने जंगलों के बीचों-बीच बने भूतेश्वर महादेव देवस्थल को स्थानीय लोग स्वयंभू शिव भी कहते हैं. यहां कई मान्यताएं प्रचलित हैं. कहा जाता है कि शाम के वक्त इस स्थान पर कोई रुक नहीं सकता. भूत-प्रेत ढोल-नगाड़ों के साथ भगवान भोलनाथ की भक्ति में लीन रहते हैं. यही वजह है कि इसे भूतेश्वर महादेव के नाम से पुकारा जाता है.
भगवान भूतेश्वर के दर्शने के लिए भक्तों को दुर्गम रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है. जंगल की संकरी पगडंडियों और नदियों के तीन धाराओं को पार करने के बाद इस देव स्थल तक पहुंचते हैं.

लोगों की मानें तो ये इस देव स्थल का निर्माण 5 वीं सदी में हुआ था. यहां श्रद्धालु दूरदराज से अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होतीं हैं. स्थानीय लोगों के मुताबिक भगवान शिव खुले में विराजमान हैं और कई बार यहां मंदिर निर्माण कराने के लिए कोशिश की गई है,लेकिन सभी कोशिशें नाकाम रहीं.

महाशिवरात्रि के दिन यहां मेला लगता है. सदियों पुराना भगवान शिव का ये देवस्थल श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है. .

सतना। भगवान शिव देवता, असुर समेत भूत-पिशाच सभी के निर्विरोध आराध्य माने जाते हैं. इन्हीं मान्यताओं के तहत प्रदेश भर में भोलेनाथ कई रुपों में अलग-अलग जगहों पर विराजमान हैं. इन देव स्थलों की अलग-अलग मान्यता भी है. लेकिन जिले में एक देव स्थल ऐसा है,जहां कहा जाता है कि यहां पर भूत-प्रेत भगवान शंकर की आराधना करते हैं. ये देवस्थल भूतेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है.

जंगल में विराजे महादेव

उचेहरा तहसील के धनिया गांव में घने जंगलों के बीचों-बीच बने भूतेश्वर महादेव देवस्थल को स्थानीय लोग स्वयंभू शिव भी कहते हैं. यहां कई मान्यताएं प्रचलित हैं. कहा जाता है कि शाम के वक्त इस स्थान पर कोई रुक नहीं सकता. भूत-प्रेत ढोल-नगाड़ों के साथ भगवान भोलनाथ की भक्ति में लीन रहते हैं. यही वजह है कि इसे भूतेश्वर महादेव के नाम से पुकारा जाता है.
भगवान भूतेश्वर के दर्शने के लिए भक्तों को दुर्गम रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है. जंगल की संकरी पगडंडियों और नदियों के तीन धाराओं को पार करने के बाद इस देव स्थल तक पहुंचते हैं.

लोगों की मानें तो ये इस देव स्थल का निर्माण 5 वीं सदी में हुआ था. यहां श्रद्धालु दूरदराज से अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होतीं हैं. स्थानीय लोगों के मुताबिक भगवान शिव खुले में विराजमान हैं और कई बार यहां मंदिर निर्माण कराने के लिए कोशिश की गई है,लेकिन सभी कोशिशें नाकाम रहीं.

महाशिवरात्रि के दिन यहां मेला लगता है. सदियों पुराना भगवान शिव का ये देवस्थल श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है. .

Intro:नोट -- स्पेशल स्टोरी अभिषेक सर ।
एंकर --
सतना जिले में एक ऐसा मंदिर जिसे भूतों का मंदिर कहा जाता है. इस मंदिर को भूतेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है. यह मंदिर जिले के उचेहरा कस्बे के धनिया गांव के घने जंगलों के बीच बना हुआ है. और चारों तरफ से नदियों से घिरा हुआ है. मंदिर तक पहुंचने के लिए पगडंडियों से होकर जाना पड़ता है. यहां पर स्वयंभू शिवलिंग विराजमान है. शाम होने के बाद यहां कोई भी आता जाता नहीं है. कहते हैं कि यहां शाम के वक्त ढोल नगाड़े जैसी अजीब सी आवाजें आती हैं. यहां पर भूतों का डेरा माना जाता है ।


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मध्यप्रदेश के सतना जिला मुख्यालय से महज 25 किलोमीटर दूर उचेहरा कस्बे के धनिया गांव में घने जंगलों के बीच एक मंदिर बना हुआ है जहां पर भगवान भोलेनाथ की एक शिवलिंग विराजमान है. कहते हैं कि यहां भूतों का डेरा होता है. जिसे भूतेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है. भूतेश्वर महादेव तक पहुंचने के लिए पगडंडी एवं नदियों के तीन धाराओं को पार करने के बाद भगवान भूतेश्वर के दर्शन होते हैं. यहां के स्थानीय लोगों की मानें तो यह मंदिर 5 वीं सदी का मंदिर है. और यहां दूरदराज से लोग अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं और सभी की मनोकामनाएं यहां पर पूरी होती हैं. इस मंदिर की खास बात यह है कि इसका निर्माण कराने के लिए कई लोगों ने प्रयास किया लेकिन मंदिर की छत का निर्माण आज तक कोई नहीं करा पाया. यहां महाशिवरात्रि के दिन भक्तों का मेला लगता है. कहते हैं कि यहां पर शाम होने के बाद कोई भी व्यक्ति नहीं आ सकता. आज शाम ढलते ही यहां पर ढोल नगाड़े जैसी अजीब सी आवाजें सुनाई देती हैं. इस मंदिर में सुबह से शाम तक कुत्तों का डेरा जमा रहता है. मंदिर नदियों के बीचो-बीच बना हुआ है बरसात के समय में यह मंदिर नदियों में डूब जाता है. सदियों पुराना यह मंदिर अपने आप में एक अद्भुत शक्ति का मंदिर माना जाता है. भूतेश्वर महादेव तक दर्शन करने के लिए नदियों एवं पगडंडियों होकर पहुंचने के बाद ही दर्शन प्राप्त होते हैं. घने जंगल से घिरे हुए इस मंदिर में जंगली जानवरों का भी खतरा बना रहता है. इस मंदिर में विराजमान भगवान भोलेनाथ की शिवलिंग अपने आप में एक अद्भुत दृश्य के रूप में प्रदर्शित होती है. यहां पर दर्शन करने वाले भक्तों का आना जाना लगा रहता है ।


Conclusion:byte --
अमन कुमार -- दर्शनार्थी ।
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राजेश सोनी -- दर्शनार्थी ।
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रवि शंकर पाठक -- स्थानीय निवासी ।
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रूपकुमार हरबोल -- स्थानीय निवासी ।
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गुलाब चंद्र पाल -- सरपंच धनिया ग्राम ऊँचेहरा सतना ।
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