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करीला माता पर अटूट आस्था, माता के दर्शन करने लकवा पीड़ित बुजुर्ग 200 किमी चलेंगे पैदल - madhya pradesh news in hindi

सागर के लकवा पीड़ित रामदास 65 साल के हैं और वे ऐसे मौसम में 15 किलो का अपने कंधे पर वजन लिए करीला माता धाम पहुंच रहे हैं. दरअसल कुछ दिनों पहले उनकी तबीयत खराब हुई थी जिसके बाद उन्होंने माता से सही होने की मनोकामना की थी. जैसे ही वे ठीक हुए तो वे माता के चरणों में जाने के लिए पैदल चल दिए.

karila mata elderly people suffering paralysis
माता के दर्शन करने लकवा पीड़ित बुजुर्ग 200 किमी पैदल चलेंगे
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Published : May 8, 2023, 10:57 PM IST

Updated : May 8, 2023, 11:14 PM IST

माता के दर्शन करने लकवा पीड़ित बुजुर्ग 200 किमी पैदल चलेंगे

सागर। "मूकं करोति वचलम, पंगुम लंघायते गिरीम, यतकृपा तमहां वन्दे परमानंद माधवम" ऋग्वेद का ये श्लोक आमतौर पर सुनने और पढ़ने मिलता है. श्लोक के अर्थ पर जाएं तो भावार्थ इस तरह कि "परमेश्वर की कृपा से गूंगा बोलने लगता और लंगड़ा पहाड़ चढ़ जाता है. ऐसा ही कुछ 65 साल के बुजुर्ग रामदास के साथ हुआ है. रामदास लकवाग्रस्त हैं और वह ठीक से चल नहीं पाते हैं, लेकिन उनका करीला माता पर अटूट आस्था है. पिछले दिनों जब बुजुर्ग रामदास की तबीयत बिगड़ी, तो उन्होंने करीला माता से मनोकामना की और तबीयत ठीक होने पर घर से करीला माता मंदिर तक पैदल जाने की बात कही. बुजुर्ग रामदास बीमारी से ठीक हुए और अब मई की गर्मी में पैदल चलकर करीला धाम जा रहे हैं. रामदास का मानना है कि अगर आज वो जीवित हैं, तो करीला माता की कृपा से जीवित हैं इसीलिए उनका आभार जताने जा रहे हैं.

करीला माता के प्रति अटूट आस्था: सागर जिले के रेहली विकासखंड के मोठार गांव के 65 साल के रामदास लकवाग्रस्त हैं. उम्र और मौसम के बदलाव के चलते पिछले महीने बीमार पड़ गए थे. करीला माता में अटूट आस्था रखने वाले रामदास ने माता से मनोकामना मांगी थी कि वह ठीक हो जाएंगे तो पैदल चलकर दर्शन करने आएंगे. माता से मनोकामना मांगकर उन्होंने मेडिकल से दवा मंगाकर खाली और कुछ दिन बाद उनकी तबीयत ठीक हो गई. बुजुर्ग रामदास का मानना है कि माता की कृपा से उनकी सेहत में सुधार हुआ है और आज उनकी कृपा से चलने-फिरने लायक हुए हैं.

चलने के काबिल होते ही नहीं की मौसम की परवाह: बुजुर्ग लकवा पीड़ित रामदास को लगा कि अब वो चलने फिरने लायक हो गए हैं तो उन्होंने मौसम की परवाह किए बिना जरूरत का सामान रखा और पैदल करीला के लिए चल पड़े. फिलहाल मौसम का मिजाज ऐसा है कि सफर करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. कभी तेज धूप और गर्मी अपने तेवर दिखाती है तो कभी बेमौसम बरसात शुरू हो जाती है. लेकिन विपरीत मौसम की परवाह किए बिना बुजुर्ग रामदास मां से किया वादा निभाने मां का झंडा लेकर पैदल निकल पड़े हैं.

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  1. बुंदेलखंड के प्रसिद्ध तीर्थ रानगिर की राह होगी आसान, रामनवमी पर गोपाल भार्गव देंगे झूला पुल की सौगात
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10 दिन पैदल चलने के बाद होंगे मां के दर्शन: हाथ में माता के नाम का झंडा और पीठ पर जरूरत के सामान का करीब 15 किलो वजन का बैग लादकर लकवा पीड़ित बुजुर्ग रामदास करीला के लिए निकल चुके हैं. अशोकनगर जिले से करीला धाम पहुंचने के लिए बुजुर्ग रामदास को करीब 10 दिन का वक्त लगेगा. रामदास लकवा पीड़ित होने के बावजूद 1 दिन में करीब 20 किलोमीटर का सफर तय कर रहे हैं. 10 दिन बाद वे झंडा चढ़ाएंगे और स्वस्थ करने के लिए मां का आभार व्यक्त करेंगे.

माता के दर्शन करने लकवा पीड़ित बुजुर्ग 200 किमी पैदल चलेंगे

सागर। "मूकं करोति वचलम, पंगुम लंघायते गिरीम, यतकृपा तमहां वन्दे परमानंद माधवम" ऋग्वेद का ये श्लोक आमतौर पर सुनने और पढ़ने मिलता है. श्लोक के अर्थ पर जाएं तो भावार्थ इस तरह कि "परमेश्वर की कृपा से गूंगा बोलने लगता और लंगड़ा पहाड़ चढ़ जाता है. ऐसा ही कुछ 65 साल के बुजुर्ग रामदास के साथ हुआ है. रामदास लकवाग्रस्त हैं और वह ठीक से चल नहीं पाते हैं, लेकिन उनका करीला माता पर अटूट आस्था है. पिछले दिनों जब बुजुर्ग रामदास की तबीयत बिगड़ी, तो उन्होंने करीला माता से मनोकामना की और तबीयत ठीक होने पर घर से करीला माता मंदिर तक पैदल जाने की बात कही. बुजुर्ग रामदास बीमारी से ठीक हुए और अब मई की गर्मी में पैदल चलकर करीला धाम जा रहे हैं. रामदास का मानना है कि अगर आज वो जीवित हैं, तो करीला माता की कृपा से जीवित हैं इसीलिए उनका आभार जताने जा रहे हैं.

करीला माता के प्रति अटूट आस्था: सागर जिले के रेहली विकासखंड के मोठार गांव के 65 साल के रामदास लकवाग्रस्त हैं. उम्र और मौसम के बदलाव के चलते पिछले महीने बीमार पड़ गए थे. करीला माता में अटूट आस्था रखने वाले रामदास ने माता से मनोकामना मांगी थी कि वह ठीक हो जाएंगे तो पैदल चलकर दर्शन करने आएंगे. माता से मनोकामना मांगकर उन्होंने मेडिकल से दवा मंगाकर खाली और कुछ दिन बाद उनकी तबीयत ठीक हो गई. बुजुर्ग रामदास का मानना है कि माता की कृपा से उनकी सेहत में सुधार हुआ है और आज उनकी कृपा से चलने-फिरने लायक हुए हैं.

चलने के काबिल होते ही नहीं की मौसम की परवाह: बुजुर्ग लकवा पीड़ित रामदास को लगा कि अब वो चलने फिरने लायक हो गए हैं तो उन्होंने मौसम की परवाह किए बिना जरूरत का सामान रखा और पैदल करीला के लिए चल पड़े. फिलहाल मौसम का मिजाज ऐसा है कि सफर करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. कभी तेज धूप और गर्मी अपने तेवर दिखाती है तो कभी बेमौसम बरसात शुरू हो जाती है. लेकिन विपरीत मौसम की परवाह किए बिना बुजुर्ग रामदास मां से किया वादा निभाने मां का झंडा लेकर पैदल निकल पड़े हैं.

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10 दिन पैदल चलने के बाद होंगे मां के दर्शन: हाथ में माता के नाम का झंडा और पीठ पर जरूरत के सामान का करीब 15 किलो वजन का बैग लादकर लकवा पीड़ित बुजुर्ग रामदास करीला के लिए निकल चुके हैं. अशोकनगर जिले से करीला धाम पहुंचने के लिए बुजुर्ग रामदास को करीब 10 दिन का वक्त लगेगा. रामदास लकवा पीड़ित होने के बावजूद 1 दिन में करीब 20 किलोमीटर का सफर तय कर रहे हैं. 10 दिन बाद वे झंडा चढ़ाएंगे और स्वस्थ करने के लिए मां का आभार व्यक्त करेंगे.

Last Updated : May 8, 2023, 11:14 PM IST
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