सागर। मध्यप्रदेश के सबसे बडे़ वन्य जीव अभ्यारण्य नौरादेही को बाघों से आबाद करने वाले बाघ किशन की मौत हो गयी है. दरअसल बाघ किशन पिछले दिनों टेरिटोरियल फाइट में गंभीर रूप से घायल हो गया था और पिछले तीन दिनों से उसका इलाज भी चल रहा था लेकिन शनिवार सुबह नौरादेही अभ्यारण्य की पेट्रोलिंग टीम को बाघ किशन मरा हुआ मिला. बाघ किशन की मौत की सूचना वन्यजीव अभ्यारण्य प्रबंधन द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों की दी गयी है. जबलपुर पशुचिकित्सा महाविद्यालय के विशेषज्ञ और पन्ना नेशनल पार्क के डाक्टर की मौजूदगी में बाघ किशन का पोस्टमार्टम किया गया. वनविभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में बाघ किशन का अंतिम संस्कार किया जाएगा.
नदी किनारे मृत अवस्था में मिला बाघ किशन: नौरादेही वन्य जीव अभ्यारण्य का N-2 मतलब बाघ किशन मृत अवस्था में शनिवार सुबह नौरादेही वन्य जीव अभ्यारण्य की पेट्रोलिंग टीम को मिला. अभ्यारण्य के एसडीओ एस आर मलिक ने बताया कि शनिवार सुबह जब पेट्रोलिंग टीम बमनेर नदी खेरवा घाट के पास पहुंची, जहां पिछले तीन दिनों से बाघ किशन का इलाज चल रहा था, तो बाघ किशन निढाल पड़ा हुआ था. पेट्रोलिंग टीम ने देखा तो बाघ किशन मर चुका था दरअसल बाघ किशन करीब दस दिन पहले बाघ N-3 से टेरिटोरियल फाइट में गंभीर रूप से घायल हो गया था. जिसकी जानकारी वन्यजीव अभ्यारण्य प्रबंधन को मंगलवार को मिली थी और पन्ना नेशनल पार्क से आए डॉ संजीव गुप्ता बुधवार से लगातार उसका इलाज कर रहे थे. तीन दिनों तक बाघ किशन का इलाज किया गया और माना जा रहा था कि बाघ किशन की हालत में सुधार हो रहा है लेकिन आज बाघ किशन की मौत से वन्यजीव प्रेमियों में गम का माहौल है.
बाघ का अंतिम संस्कार: एसडीओ एस आर मलिक ने बताया कि बाघ किशन का पोस्टमार्टम बमनेर नदी के खेरवा घाट पर पन्ना नेशनल पार्क के डॉ संजीव गुप्ता और जबलपुर स्थित पशुचिकित्सा विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ की मौजूदगी में पोस्टमार्टम के बाद सीसीएफ वनवृत्त सागर और डीएफओ नौरादेही अभ्यारण्य की मौजूदगी में किशन के शव का प्रोटोकाल के तहत अंतिम संस्कार किया जाएगा.
नौरादेही को बाघों से आबाद करने वाला है किशन: नौरादेही अभ्यारण्य मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा वन्यजीव अभ्यारण्य है, जो करीब 1097 वर्ग किमी में सागर, दमोह और नरसिंहपुर जिले में फैला हुआ है. नौरादेही के विशाल क्षेत्रफल और घास के मैदानों को देखते हुए 2018 में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण परियोजना के अंतर्गत बाघों को बसाने की शुरुआत की गई थी. 2018 में कान्हा किसली उद्यान से बाघिन राधा और बांधवगढ़ से बाघ किशन को लाया गया था. कुछ ही दिनों में दोनों बाघ-बाघिन को नौरादेही की माहौल में रच-बस गए.