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सागर में 213 साल पुराने 'रहस मेले' का शुभारंभ

सागर जिले के गढ़ाकोटा में 213 साल पुराने प्राचीन रहस मेले का शुभारंभ किया गया. इस मौके पर पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव भी मौजूद रहे.

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Published : Feb 17, 2021, 4:54 PM IST

Minister Gopal Bhargava inaugurated the fair after worshiping.
मंत्री गोपाल भार्गव ने पूजा कर मेले का शुभारंभ किया.

सागर। गढ़ाकोटा में 213 साल पुराने प्राचीन रहस मेले का शुभारंभ किया गया. मेले के शुभारंभ में चावड़ी इमारत पर ध्वजारोहण और राजा मर्दन सिंह जूदेव की प्रतिमा पर माल्यार्पण पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव ने किया. मेले में हर साल सफाई कामगारों द्वारा ध्वजारोहण किया जाता है, साथ ही आयोजन में नगर के पूर्व में रहे मालगुजार परिवार द्वारा विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है.

'रहस मेले' का शुभारंभ

इस दौरान मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा कि प्राचीन रहस मेला हमारी संस्कृति, धरोहर है. इसे हमें संजोए रखना है. 213 सालों से लगातार मेले का आगाज किया जाता हैं, वहीं अब ऐतिहासिक रहस मेले को अब आधुनिक स्वरूप दिया जा रहा है. पहले रहली विधानसभा को कम ही लोग जानते थे लेकिन अब क्षेत्र में लगातार हो रहे विकास के कारण यह मेला भी विशाल रूप धारण करता जा रहा है और क्षेत्र की भी प्रदेश में अलग पहचान बन गई है.

नवग्रह मेला का सांसद और विधायक ने किया भूमिपूजन

क्या है रहस मेला ?

दरअसल रहस मेला पशुओं का मेला हुआ करता था. कहा जाता है कि 213 साल पहले इस मेले की शुरुआत हुई थी. मुख्य रूप से लोग यहां अपने पशुओं को बेचने के लिए आते थे. हालांकि आज के समय में इस मेले का स्वरूप बदल चुका है. साथ ही इस मेले में बड़े-बड़े आयोजन, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां होती हैं. हालांकि पशुओं को बेचने की प्रक्रिया अभी भी मेले में की जाती हैं. मंत्री गोपाल भार्गव का यह गृहनगर होने की वजह से वह इस मेले में निरंतर सक्रिय रहते हैं.

सागर। गढ़ाकोटा में 213 साल पुराने प्राचीन रहस मेले का शुभारंभ किया गया. मेले के शुभारंभ में चावड़ी इमारत पर ध्वजारोहण और राजा मर्दन सिंह जूदेव की प्रतिमा पर माल्यार्पण पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव ने किया. मेले में हर साल सफाई कामगारों द्वारा ध्वजारोहण किया जाता है, साथ ही आयोजन में नगर के पूर्व में रहे मालगुजार परिवार द्वारा विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है.

'रहस मेले' का शुभारंभ

इस दौरान मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा कि प्राचीन रहस मेला हमारी संस्कृति, धरोहर है. इसे हमें संजोए रखना है. 213 सालों से लगातार मेले का आगाज किया जाता हैं, वहीं अब ऐतिहासिक रहस मेले को अब आधुनिक स्वरूप दिया जा रहा है. पहले रहली विधानसभा को कम ही लोग जानते थे लेकिन अब क्षेत्र में लगातार हो रहे विकास के कारण यह मेला भी विशाल रूप धारण करता जा रहा है और क्षेत्र की भी प्रदेश में अलग पहचान बन गई है.

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क्या है रहस मेला ?

दरअसल रहस मेला पशुओं का मेला हुआ करता था. कहा जाता है कि 213 साल पहले इस मेले की शुरुआत हुई थी. मुख्य रूप से लोग यहां अपने पशुओं को बेचने के लिए आते थे. हालांकि आज के समय में इस मेले का स्वरूप बदल चुका है. साथ ही इस मेले में बड़े-बड़े आयोजन, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां होती हैं. हालांकि पशुओं को बेचने की प्रक्रिया अभी भी मेले में की जाती हैं. मंत्री गोपाल भार्गव का यह गृहनगर होने की वजह से वह इस मेले में निरंतर सक्रिय रहते हैं.

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