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पाकिस्तान से 22 साल बाद लौटा प्रहलाद सिंह, जेहन में जिंदा है रावलपिंडी जेल में हुए जुल्म-ओ-सितम की यादें

22 साल तक पाकिस्तान जेल में बंद रहे सागर के प्रहलाद सिंह राजपूत अब अपनों के बीच हैं, पर उनके जेहन में वो यादें अभी भी जिंदा हैं, जिसे उन्होंने पिछले 22 साल तक झेला है. कभी हां, कभी ना तो कभी बदला लेने की बात पर उनके हाव भाव बदलते रहते हैं.

Story of prisoner Prahlad singh
प्रहलाद सिंह राजपूत
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Published : Sep 1, 2021, 7:15 AM IST

Updated : Sep 1, 2021, 7:55 AM IST

सागर। 22 साल पहले घर से लापता प्रहलाद सिंह राजपूत अब अपनों के बीच पहुंच चुका है, इतने लंबे समय तक वह पाकिस्तान की रावलपिंडी जेल में बंद रहा. प्रहलाद जब सागर जिले के गौरझामर थाना के घोसीपट्टी गांव में अपनों के बीच पहुंचा तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा, जब वह गायब हुआ था, तब मानसिक रूप से विक्षिप्त थे और उनकी उम्र 33 साल थी, अब जब घर वापसी हुई है तो वह 55 साल के हो चुके हैं. 22 साल बाद गांव पहुंचे प्रहलाद को बहुत सी बातें याद हैं, लेकिन पाकिस्तानी जेल का नाम लेते ही वह सिर झुका लेते हैं. प्रहलाद कैसे सागर जिले के छोटे से गांव से पाक अधिकृत कश्मीर पहुंच गए ? कैसे वह पाकिस्तानी फौज के हाथ लग गए और कैसे पाक अधिकृत कश्मीर से रावलपिंडी जेल पहुंच गए ? इस बारे में प्रहलाद को कुछ भी याद नहीं है. प्रहलाद को अगर याद है तो वहां मिलने वाला खाना और यातना के नाम पर एक बार सिर फोड़ने की घटना वो भी आधा अधूरा बताते हैं. ऐसे में ईटीवी भारत प्रहलाद सिंह राजपूत के घर पहुंचा और जानने की कोशिश की कि घर से लापता होने के बाद पाकिस्तान पहुंचने और रिहाई तक उनका वक्त कैसा गुजरा.

प्रहलाद सिंह से बातचीत

कौन है प्रहलाद और कैसे हो गए थे गायब

प्रहलाद सिंह राजपूत सागर जिले के गौरझामर थाना क्षेत्र के घोसीपट्टी गांव के निवासी हैं, प्रहलाद सिंह बचपन से मानसिक रूप से विक्षिप्त हैं और 33 साल की उम्र में अचानक घर से लापता हो गए थे, प्रहलाद के परिजनों ने उनको ढूंढ़ने की काफी कोशिश की, लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ. करीब दो-तीन साल तक ढूंढ़ने की हर संभव कोशिश के बाद प्रहलाद सिंह के परिजन निराश हो गए, लेकिन 2015 में उनकी उम्मीद तब फिर जगी, जब भोपाल से पहुंची पुलिस टीम ने उनके भाई के गायब होने के बाद पाकिस्तान पहुंचने की जानकारी दी. इसके बाद प्रहलाद के परिजनों ने वापसी के प्रयास तेज कर दिए. 2020 में सागर पुलिस अधीक्षक अतुल सिंह की पहल पर प्रहलाद की वापसी के प्रयास और तेज किए गए, जिसका नतीजा ये हुआ कि प्रहलाद 22 साल बाद अपनों के बीच पहुंच गए हैं.

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परिजनों के साथ प्रहलाद सिंह राजपूत

प्रहलाद सिंह के गांव में खुशी की लहर

प्रहलाद के गांव पहुंचने पर आज उनका जोरदार स्वागत किया गया, उन्होंने बचपन से जानने वाले लोगों के साथ बातचीत भी की. बातचीत में प्रहलाद बचपन के कई साथियों को नाम से पहचान गए और उन्होंने अपने कई साथियों के नाम लेकर उनका हाल भी पूछे, प्रहलाद को अपने गांव की अभी भी कई बातें याद हैं. प्रहलाद के घर पहुंचने पर उनके कई साथियों और परिजनों ने उनका जोरदार स्वागत किया.

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स्थानीय लोगों के साथ प्रहलाद सिंह राजपूत

अपने वतन लौटा प्रह्लाद: 23 साल से पाकिस्तानी जेल में था बंद, जानिए प्रह्लाद को घर आने में क्यों लगे 23 साल

पाकिस्तान के बारे में कुछ भी नहीं याद

तारीफ की बात ये है कि प्रहलाद सिंह को अपने गांव से गायब होने के पहले की कई चीजें याद हैं और कई लोगों के नाम भी याद हैं, लेकिन उनके गायब होने और पाक अधिकृत कश्मीर पहुंचने और वहां से जेल जाने के बारे में कोई भी सवाल पूछा जाता है तो वह अपना सिर नीचे कर लेते हैं. कैसे वह लापता हुए और कैसे वह पाक अधिकृत कश्मीर पहुंच गए ? इसके बारे में कोई जवाब नहीं देते हैं और अगर देते भी हैं तो वह समझ से परे होता है.

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परिजनों के साथ प्रहलाद सिंह राजपूत

जेल के खाने की जरूर करते हैं बात

प्रहलाद से जब पाकिस्तान में उनके साथ क्या हुआ ? उनसे जेल में काम करवाया जाता था या नहीं? उन्हें कैसे खाना मिलता था, उनके साथ मारपीट होती थी या नहीं ? इन सवालों पर सिर्फ वह खाने के बारे में ही बात करते हैं और बताते हैं कि उन्हें जली रोटियां मिलती थी, ऐसा खाना मिलता था कि वह बीमार हो जाते थे. खाने के नाम पर सिर्फ दाल रोटी मिलती थी, इस बीच अचानक से सेब की बात करने लगते हैं, उनसे काम लिया जाता था या नहीं लिया जाता था, इस सवाल पर वह सिर झुका लेते हैं.

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परिजनों के साथ प्रहलाद सिंह राजपूत

यातना के नाम पर फोड़ा सिर

जब उनसे यह जानने की कोशिश की गई कि पाकिस्तान की रावलपिंडी जेल में उन्हें किसी तरह की यातना दी गई या मारपीट की गई तो कई बार तो वह अपना सिर झुकाने लेते हैं और सिर हिलाकर मना करते हैं, लेकिन कभी-कभी बताते हैं कि उनका सर फोड़ दिया गया था और उनके हाथ में इंजेक्शन लगाए गए थे.

करते हैं किसी को मारने की बात

कभी-कभी प्रहलाद अचानक से कहने लगते हैं कि मैं उसको मारूंगा और बदला लूंगा. किस तरह से वह बदला लेंगे, यह भी बताने की कोशिश करते हैं. इस विषय पर चर्चा करते हुए लगता है कि उन्हें इतनी यातनाएं दी गई कि वह उनका बदला लेना चाहते हैं.

सागर। 22 साल पहले घर से लापता प्रहलाद सिंह राजपूत अब अपनों के बीच पहुंच चुका है, इतने लंबे समय तक वह पाकिस्तान की रावलपिंडी जेल में बंद रहा. प्रहलाद जब सागर जिले के गौरझामर थाना के घोसीपट्टी गांव में अपनों के बीच पहुंचा तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा, जब वह गायब हुआ था, तब मानसिक रूप से विक्षिप्त थे और उनकी उम्र 33 साल थी, अब जब घर वापसी हुई है तो वह 55 साल के हो चुके हैं. 22 साल बाद गांव पहुंचे प्रहलाद को बहुत सी बातें याद हैं, लेकिन पाकिस्तानी जेल का नाम लेते ही वह सिर झुका लेते हैं. प्रहलाद कैसे सागर जिले के छोटे से गांव से पाक अधिकृत कश्मीर पहुंच गए ? कैसे वह पाकिस्तानी फौज के हाथ लग गए और कैसे पाक अधिकृत कश्मीर से रावलपिंडी जेल पहुंच गए ? इस बारे में प्रहलाद को कुछ भी याद नहीं है. प्रहलाद को अगर याद है तो वहां मिलने वाला खाना और यातना के नाम पर एक बार सिर फोड़ने की घटना वो भी आधा अधूरा बताते हैं. ऐसे में ईटीवी भारत प्रहलाद सिंह राजपूत के घर पहुंचा और जानने की कोशिश की कि घर से लापता होने के बाद पाकिस्तान पहुंचने और रिहाई तक उनका वक्त कैसा गुजरा.

प्रहलाद सिंह से बातचीत

कौन है प्रहलाद और कैसे हो गए थे गायब

प्रहलाद सिंह राजपूत सागर जिले के गौरझामर थाना क्षेत्र के घोसीपट्टी गांव के निवासी हैं, प्रहलाद सिंह बचपन से मानसिक रूप से विक्षिप्त हैं और 33 साल की उम्र में अचानक घर से लापता हो गए थे, प्रहलाद के परिजनों ने उनको ढूंढ़ने की काफी कोशिश की, लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ. करीब दो-तीन साल तक ढूंढ़ने की हर संभव कोशिश के बाद प्रहलाद सिंह के परिजन निराश हो गए, लेकिन 2015 में उनकी उम्मीद तब फिर जगी, जब भोपाल से पहुंची पुलिस टीम ने उनके भाई के गायब होने के बाद पाकिस्तान पहुंचने की जानकारी दी. इसके बाद प्रहलाद के परिजनों ने वापसी के प्रयास तेज कर दिए. 2020 में सागर पुलिस अधीक्षक अतुल सिंह की पहल पर प्रहलाद की वापसी के प्रयास और तेज किए गए, जिसका नतीजा ये हुआ कि प्रहलाद 22 साल बाद अपनों के बीच पहुंच गए हैं.

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परिजनों के साथ प्रहलाद सिंह राजपूत

प्रहलाद सिंह के गांव में खुशी की लहर

प्रहलाद के गांव पहुंचने पर आज उनका जोरदार स्वागत किया गया, उन्होंने बचपन से जानने वाले लोगों के साथ बातचीत भी की. बातचीत में प्रहलाद बचपन के कई साथियों को नाम से पहचान गए और उन्होंने अपने कई साथियों के नाम लेकर उनका हाल भी पूछे, प्रहलाद को अपने गांव की अभी भी कई बातें याद हैं. प्रहलाद के घर पहुंचने पर उनके कई साथियों और परिजनों ने उनका जोरदार स्वागत किया.

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स्थानीय लोगों के साथ प्रहलाद सिंह राजपूत

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पाकिस्तान के बारे में कुछ भी नहीं याद

तारीफ की बात ये है कि प्रहलाद सिंह को अपने गांव से गायब होने के पहले की कई चीजें याद हैं और कई लोगों के नाम भी याद हैं, लेकिन उनके गायब होने और पाक अधिकृत कश्मीर पहुंचने और वहां से जेल जाने के बारे में कोई भी सवाल पूछा जाता है तो वह अपना सिर नीचे कर लेते हैं. कैसे वह लापता हुए और कैसे वह पाक अधिकृत कश्मीर पहुंच गए ? इसके बारे में कोई जवाब नहीं देते हैं और अगर देते भी हैं तो वह समझ से परे होता है.

Story of prisoner Prahlad singh
परिजनों के साथ प्रहलाद सिंह राजपूत

जेल के खाने की जरूर करते हैं बात

प्रहलाद से जब पाकिस्तान में उनके साथ क्या हुआ ? उनसे जेल में काम करवाया जाता था या नहीं? उन्हें कैसे खाना मिलता था, उनके साथ मारपीट होती थी या नहीं ? इन सवालों पर सिर्फ वह खाने के बारे में ही बात करते हैं और बताते हैं कि उन्हें जली रोटियां मिलती थी, ऐसा खाना मिलता था कि वह बीमार हो जाते थे. खाने के नाम पर सिर्फ दाल रोटी मिलती थी, इस बीच अचानक से सेब की बात करने लगते हैं, उनसे काम लिया जाता था या नहीं लिया जाता था, इस सवाल पर वह सिर झुका लेते हैं.

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परिजनों के साथ प्रहलाद सिंह राजपूत

यातना के नाम पर फोड़ा सिर

जब उनसे यह जानने की कोशिश की गई कि पाकिस्तान की रावलपिंडी जेल में उन्हें किसी तरह की यातना दी गई या मारपीट की गई तो कई बार तो वह अपना सिर झुकाने लेते हैं और सिर हिलाकर मना करते हैं, लेकिन कभी-कभी बताते हैं कि उनका सर फोड़ दिया गया था और उनके हाथ में इंजेक्शन लगाए गए थे.

करते हैं किसी को मारने की बात

कभी-कभी प्रहलाद अचानक से कहने लगते हैं कि मैं उसको मारूंगा और बदला लूंगा. किस तरह से वह बदला लेंगे, यह भी बताने की कोशिश करते हैं. इस विषय पर चर्चा करते हुए लगता है कि उन्हें इतनी यातनाएं दी गई कि वह उनका बदला लेना चाहते हैं.

Last Updated : Sep 1, 2021, 7:55 AM IST
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