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कूडो की नर्सरी बना सागर, जापान में वर्ल्ड चैंपियनशिप में हिस्सा लेंगे 4 खिलाड़ी - जापान में वर्ल्ड चैंपियनशिप

मार्शल आर्ट्स और सेल्फ डिफेंस के मामले में कूडो भले ही एक नया गेम है, लेकिन इस खेल में मध्यप्रदेश और खासकर सागर के खिलाड़ी दुनियाभर में नाम कमा रहे हैं. महज 11 साल में सागर ने कूडो की नर्सरी के तौर पर पहचान बना ली है. खास बात यह है कि मई में जापान के टोक्यो में होने बाली कूडो वर्ल्ड चैंपियनशिप में हिस्सा लेने के लिए मध्य प्रदेश से 4 खिलाड़ियों का चयन हुआ है, जिसमें तीन खिलाड़ी सागर के रहने वाले हैं.

Sagar becomes nursery of Kudo
कूडो की नर्सरी बना सागर, जापान में वर्ल्ड चैंपियनशिप में हिस्सा लेंगे 4 खिलाड़ी
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Published : Apr 19, 2023, 4:43 PM IST

कूडो की नर्सरी बना सागर, जापान में वर्ल्ड चैंपियनशिप में हिस्सा लेंगे 4 खिलाड़ी

सागर। कूडो एक मिक्स मार्शल आर्ट्स है. इसमें खेल के साथ खिलाड़ी सेल्फ डिफेंस के मामले में मजबूत होता है और एक साथ कई मार्शल आर्ट्स में पारंगत होता है. इसलिए बच्चों में कूडो की तरफ तेजी से रुझान बढ़ रहा है. सेल्फ डिफेंस के लिहाज से उनके पैरेंट्स भी बच्चों को कूडो की ट्रेनिंग दिला रहे हैं. सागर में कूडो के स्कूल लेवल के 4 नेशनल गेम्स भी आयोजित हो चुके हैं. इसमें मध्यप्रदेश ने पहला स्थान हासिल किया था.

नए खेल में सागर ने बनाया नाम : कूडो खेल ज्यादा पुराना नहीं है. करीब चार दशक पहले जापान में इसकी शुरुआत हुई थी और भारत देश में 2012 में कूडो की शुरुआत हुई. खास बात ये है कि मध्य प्रदेश में सबसे पहले कूडो का प्रशिक्षण 2012 में शुरू हो गया था और 2 साल सागर के खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने के बाद मध्य प्रदेश के दूसरे जिलों में पूर्व प्रशिक्षण की शुरुआत 2014 में हुई. अभी तक सागर में चार एसजीएफआई के स्कूल लेवल के नेशनल गेम्स आयोजित हो चुके हैं. जिनमें चारों में मध्यप्रदेश में पहला स्थान हासिल किया और मध्य प्रदेश को पहला स्थान दिलाने में सागर के खिलाड़ियों का अहम योगदान रहा है.

4 में से 3 खिलाड़ी सागर के : हाल ही में मई में टोक्यो में होने जा रही वर्ल्ड चैंपियनशिप में मध्यप्रदेश के 4 खिलाड़ियों का चयन किया गया है. जिसमें से तीन सागर और एक जबलपुर का खिलाड़ी है. सोहेल खान कूडो के जाने-माने इंटरनेशनल एथलीट हैं. 2017 में इन्होंने कूडो वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीता था. सोहेल खान 17 बार नेशनल चैंपियनशिप जीत चुके हैं और उनका टोक्यो में होने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए सिलेक्शन हुआ है. वहीं, शैलेंद्र कुर्मी जिले के राहतगढ़ विकासखंड के भैंसा गांव के किसान परिवार में जन्मे हैं. शैलेंद्र कुर्मी ने 9 वीं कक्षा से कूडो खेलने की प्रैक्टिस शुरू की. शैलेंद्र का कहना है कि लगातार प्रैक्टिस से मनोबल बढ़ा और मैंने प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना शुरू कर दिया. स्थानीय स्तर पर कूडो की कई प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और लगातार जीत मिलने ली तो नेशनल और इंटरनेशनल टूर्नामेंट में हिस्सा लिया. लगातार 6 साल कूडो खेल में 2 अंतर्राष्ट्रीय और 8 राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में गोल्ड मेडल मिले हैं.

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क्या है कूडो खेल : वहीं, गीतिका पटेल पहली बार 2 वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए सिलेक्ट हुई हैं और उनका कहना है कि यह मेरे लिए बहुत गौरव का विषय है कि वर्ल्ड कप के लिए मेरा सिलेक्शन हुआ है. कोशिश होगी कि मैं देश के लिए पदक जीतकर लाऊं. कूडो के जाने-माने कोच एजाज अहमद बताते हैं कि असल में कूडो एक मिक्स मार्शल आर्ट्स और खेल के साथ-साथ सेल्फ डिफेंस के लिए भी जाना जाता है. कोई भी अभिभावक अपने बच्चों को मार्शल आर्ट का कोई भी खेल सीखने के लिए भेजता है तो उनका मानना होता है कि बच्चा अगर मार्शल आर्ट से सीख रहा है. इसका मतलब है कि वह self-defence जरूर सीखेगा और उसमें पारंगत हो रहा है. अगर कूडो की बात करें तो ये जूडो- कराटे, बॉक्सिंग, रेसलिंग और मोई थोई मार्शल आर्ट का मिश्रण है और यदि बच्चा कूडो खेलता है तो एक साथ कई मार्शल आर्ट में पारंगत हो जाता है.

कूडो की नर्सरी बना सागर, जापान में वर्ल्ड चैंपियनशिप में हिस्सा लेंगे 4 खिलाड़ी

सागर। कूडो एक मिक्स मार्शल आर्ट्स है. इसमें खेल के साथ खिलाड़ी सेल्फ डिफेंस के मामले में मजबूत होता है और एक साथ कई मार्शल आर्ट्स में पारंगत होता है. इसलिए बच्चों में कूडो की तरफ तेजी से रुझान बढ़ रहा है. सेल्फ डिफेंस के लिहाज से उनके पैरेंट्स भी बच्चों को कूडो की ट्रेनिंग दिला रहे हैं. सागर में कूडो के स्कूल लेवल के 4 नेशनल गेम्स भी आयोजित हो चुके हैं. इसमें मध्यप्रदेश ने पहला स्थान हासिल किया था.

नए खेल में सागर ने बनाया नाम : कूडो खेल ज्यादा पुराना नहीं है. करीब चार दशक पहले जापान में इसकी शुरुआत हुई थी और भारत देश में 2012 में कूडो की शुरुआत हुई. खास बात ये है कि मध्य प्रदेश में सबसे पहले कूडो का प्रशिक्षण 2012 में शुरू हो गया था और 2 साल सागर के खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने के बाद मध्य प्रदेश के दूसरे जिलों में पूर्व प्रशिक्षण की शुरुआत 2014 में हुई. अभी तक सागर में चार एसजीएफआई के स्कूल लेवल के नेशनल गेम्स आयोजित हो चुके हैं. जिनमें चारों में मध्यप्रदेश में पहला स्थान हासिल किया और मध्य प्रदेश को पहला स्थान दिलाने में सागर के खिलाड़ियों का अहम योगदान रहा है.

4 में से 3 खिलाड़ी सागर के : हाल ही में मई में टोक्यो में होने जा रही वर्ल्ड चैंपियनशिप में मध्यप्रदेश के 4 खिलाड़ियों का चयन किया गया है. जिसमें से तीन सागर और एक जबलपुर का खिलाड़ी है. सोहेल खान कूडो के जाने-माने इंटरनेशनल एथलीट हैं. 2017 में इन्होंने कूडो वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीता था. सोहेल खान 17 बार नेशनल चैंपियनशिप जीत चुके हैं और उनका टोक्यो में होने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए सिलेक्शन हुआ है. वहीं, शैलेंद्र कुर्मी जिले के राहतगढ़ विकासखंड के भैंसा गांव के किसान परिवार में जन्मे हैं. शैलेंद्र कुर्मी ने 9 वीं कक्षा से कूडो खेलने की प्रैक्टिस शुरू की. शैलेंद्र का कहना है कि लगातार प्रैक्टिस से मनोबल बढ़ा और मैंने प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना शुरू कर दिया. स्थानीय स्तर पर कूडो की कई प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और लगातार जीत मिलने ली तो नेशनल और इंटरनेशनल टूर्नामेंट में हिस्सा लिया. लगातार 6 साल कूडो खेल में 2 अंतर्राष्ट्रीय और 8 राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में गोल्ड मेडल मिले हैं.

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क्या है कूडो खेल : वहीं, गीतिका पटेल पहली बार 2 वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए सिलेक्ट हुई हैं और उनका कहना है कि यह मेरे लिए बहुत गौरव का विषय है कि वर्ल्ड कप के लिए मेरा सिलेक्शन हुआ है. कोशिश होगी कि मैं देश के लिए पदक जीतकर लाऊं. कूडो के जाने-माने कोच एजाज अहमद बताते हैं कि असल में कूडो एक मिक्स मार्शल आर्ट्स और खेल के साथ-साथ सेल्फ डिफेंस के लिए भी जाना जाता है. कोई भी अभिभावक अपने बच्चों को मार्शल आर्ट का कोई भी खेल सीखने के लिए भेजता है तो उनका मानना होता है कि बच्चा अगर मार्शल आर्ट से सीख रहा है. इसका मतलब है कि वह self-defence जरूर सीखेगा और उसमें पारंगत हो रहा है. अगर कूडो की बात करें तो ये जूडो- कराटे, बॉक्सिंग, रेसलिंग और मोई थोई मार्शल आर्ट का मिश्रण है और यदि बच्चा कूडो खेलता है तो एक साथ कई मार्शल आर्ट में पारंगत हो जाता है.

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