सागर। शहर की ऐतिहासिक लाखा बंजारा झील में अतिक्रमण को लेकर एनजीटी में चल रहे मामले में मंगलवार को हुई सुनवाई में 4 सदस्यीय पीठ में मध्य प्रदेश सरकार को जमकर फटकार लगाई है. झील का अतिक्रमण न हटाए जाने से नाराज एनजीटी ने जहां संबंधित तहसीलदार को अयोग्य करार दिया. वहीं हैरानी व्यक्त करते हुए एनजीटी ने पूछा कि जब झील इतनी पुरानी और ऐतिहासिक है, तो इसे अभी तक वेटलैंड घोषित क्यों नहीं किया गया. (lakha banjara lake sagar)
क्या है मामलाः लाखा बंजारा झील में अतिक्रमण को लेकर महिला कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने एनजीटी में याचिका दायर की थी. जया ठाकुर की याचिका पर एनजीटी में सुनवाई करते हुए लाखा बंजारा झील की अतिक्रमण को लेकर सीमांकन के निर्देश दिए था. जिला प्रशासन द्वारा सीमांकन कराए जाने के बाद झील पर 36 लोगों का अतिक्रमण सामने आया था. जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्यालय और भाजपा के पूर्व सांसद लक्ष्मी नारायण यादव के बेटे शामिल थे. (ngt decision on lakha banjara lake sagar)
कोर्ट ने सरकार को किया निर्देशितः जिला प्रशासन और सरकार द्वारा अतिक्रमण स्पष्ट हो जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई. इस मामले में सरकार द्वारा एनजीटी के समक्ष रिपोर्ट पेश करने के बाद सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता जया ठाकुर ने बताया कि कोर्ट के कई बार बोलने पर भी सरकार द्वारा आज तक झील का अतिक्रमण नहीं हटाया गया. वहां आरएसएस का कार्यालय है. आज कोर्ट ने कड़े शब्दों में सरकार को निर्देशित किया है कि अतिक्रमण हटाकर झील की साफ-सफाई पर ध्यान दें. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि झील को संरक्षित श्रेणी में रखा जाए. ताकि भविष्य में कोई अतिक्रमण ना हो. (wet land sagar)
एनजीटी ने जताई हैरानीः याचिकाकर्ता के वकील वरुण ठाकुर ने बताया है कि सागर की लाखा बंजारा झील को लेकर एनजीटी में सुनवाई हुई. झील में काफी समय से अतिक्रमण हो रहा है. इस मामले में मप्र सरकार ने भी स्टेटस रिपोर्ट पेश की थी. इसमें झील पर 36 लोगों का अतिक्रमण बताया गया. सरकार द्वारा अतिक्रमण नहीं हटाने की स्थिति में 10 फरवरी को एनजीटी ने सरकार को आदेश पारित किया.
NGT के नियमों की अनदेखी, प्रतिबंध के बावजूद गंगा में विसर्जित किए जा रहे शव
अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू होने के पहले एक अतिक्रमण कर्ता ने हाईकोर्ट से इस आधार पर स्टे दिया कि उसे नगर निगम का नोटिस नहीं मिला था. इस मामले में सुनवाई करते हुए एनजीटी 4 सदस्यीय बेंच ने संबंधित तहसीलदार को अयोग्य ठहराते हुए कहा कि इन्हें कानून का ज्ञान नहीं है और पूछा कि बाकी लोगों का अतिक्रमण क्यों नहीं हटाया जा रहा है? एनजीटी ने ये भी पूछा है कि इतनी प्राचीन झील होने के बाद वेटलैंड घोषित क्यों नहीं किया जा रहा है. एनजीटी ने अपना फैसला रिजर्व रखा है.