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Bageshwar Dham Sarkaar: बिना प्रशासनिक अनुमति के पंडित धीरेद्र शास्त्री की कथा, हादसा हुआ तो कौन होगा जिम्मेदार

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Published : Apr 25, 2023, 10:48 AM IST

सागर में बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कथा शुरू हो गई है. लेकिन गजब यह है कि आयोजकों ने जिला प्रशासन के निर्देशों का पालन नहीं किया है. इसलिए प्रशासन ने अनुमति प्रदान नहीं की. बता दें कि पंडित धीरेंद्र शास्त्री की कथा में बड़ी संख्या में भक्त आते हैं. ऐसे में अगर कोई हादसा होगा तो कौन जिम्मेदार होगा.

Bageshwar Dham Sarkaar Pandit Dhirendra Shastri kath
बिना प्रशासनिक अनुमति के पंडित धीरेद्र शास्त्री की कथा
बिना प्रशासनिक अनुमति के पंडित धीरेद्र शास्त्री की कथा

सागर। शहर की सीमा के बाहर सागर-कानपुर मार्ग पर बहेरिया गदगद गांव में 24 अप्रैल से बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री की श्रीमद्भागवत कथा शुरू हो गई है, लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि कथा बिना प्रशासनिक अनुमति के हो रही है. क्योंकि कथा को लेकर प्रशासन ने आयोजकों को व्यवस्थाओं को लेकर जो दिशा-निर्देश जारी किए थे, आयोजकों द्वारा उन्हें पूरा नहीं किया गया. ऐसी स्थिति में जिला प्रशासन ने आयोजकों को कथा की अनुमति जारी नहीं की है और कथा बिना अनुमति के शुरू हो गई है.

प्रशासन ने पल्ला झाड़ा : प्रशासन ने तो अनुमति ना जारी कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है. वहीं आयोजक प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं. दरअसल, बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पं.धीरेंद्र शास्त्री की सागर के बहेरिया गदगद में होने वाली श्रीमद्भागवत कथा के लिए जिला प्रशासन के अफसरों ने कथा स्थल का दौरा कर 20 अप्रैल को दिशा-निर्देश जारी किए थे. कथा से एक दिन पहले प्रभारी कलेक्टर चंद्रशेखर शुक्ला ने अपर कलेक्टर सपना त्रिपाठी, एएसपी विक्रम सिंह और ज्योति ठाकुर सहित आयोजन समिति के साथ कथा स्थल का निरीक्षण किया था और निरीक्षण के बाद आयोजन समिति के सदस्यों को आवश्यक निर्देश दिए थे.

ये हैं प्रशासन के दिशा-निर्देश :

  • आयोजन समिति द्वारा कथास्थल पर तैयार किए गए मुख्य कथा पंडाल में मुख्य स्टेज के नीचे पक्का सीमेंटीकरण करने के निर्देश दिए थे. क्योंकि कथा स्थल काली मिट्टी वाला है. जिससे पानी गिरने की स्थिति में स्टेज को नुकसान हो सकता है.
  • प्रभारी कलेक्टर चंद्रशेखर शुक्ला ने निर्देश दिए थे कि भोजनशाला की स्थापना तीन अलग-अलग जगह पर की जाए, जिससे कि भीड़ इकट्ठी न रहे. वहीं, आयोजकों ने सिर्फ एक भोजनशाला बनाई है.
  • जिला प्रशासन ने आयोजकों और कथा स्थल पर सहयोग कर रही विभिन्न समितियों की जानकारी मोबाइल नंबर सहित उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे, लेकिन आयोजकों द्वारा जिला प्रशासन को यह जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई.
  • कथास्थल पर बिजली की व्यवस्था के लिए प्रशासन ने दो अस्थायी डीपी के निर्देश दिए थे, आयोजकों ने सिर्फ एक डीपी के लिए आवेदन दिया.
  • जिला और पुलिस प्रशासन द्वारा पूरे कथा स्थल पर सीसीटीवी लगाने के लिए कहा गया था, लेकिन आयोजकों ने ऐसा नहीं किया.
  • बागेश्वर धाम की पिछली कथा के अनुभव के आधार पर जिला प्रशासन ने रोजाना तीन लाख लोगों के पहुंचने का अनुमान लगाया था. इस लिहाज से पंडाल बनाने के लिए कहा था, लेकिन आयोजकों ने सिर्फ एक लाख लोगों के हिसाब से पंडाल की व्यवस्था की है.

क्या कहना है जिला प्रशासन का : सागर एसडीएम विजय कुमार डेहरिया ने कहा है कि जिला प्रशासन ने आयोजन को लेकर तैयारियां की हैं. आयोजकों को पहले ही पत्र जारी कर आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए थे. जिसमें विद्युत व्यवस्था, पंडाल और कानून व्यवस्था से संबंधित दिशा-निर्देश किए गए दिए गए थे. हमने उनको सारी तैयारियों के संबंध में दो पत्र जारी किए थे. अभी तक उन पत्रों का जवाब नहीं आया है. इसलिए जिला प्रशासन द्वारा कार्यक्रम को लेकर कोई अनुमति जारी नहीं की गई है.

बिना प्रशासनिक अनुमति के पंडित धीरेद्र शास्त्री की कथा

सागर। शहर की सीमा के बाहर सागर-कानपुर मार्ग पर बहेरिया गदगद गांव में 24 अप्रैल से बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री की श्रीमद्भागवत कथा शुरू हो गई है, लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि कथा बिना प्रशासनिक अनुमति के हो रही है. क्योंकि कथा को लेकर प्रशासन ने आयोजकों को व्यवस्थाओं को लेकर जो दिशा-निर्देश जारी किए थे, आयोजकों द्वारा उन्हें पूरा नहीं किया गया. ऐसी स्थिति में जिला प्रशासन ने आयोजकों को कथा की अनुमति जारी नहीं की है और कथा बिना अनुमति के शुरू हो गई है.

प्रशासन ने पल्ला झाड़ा : प्रशासन ने तो अनुमति ना जारी कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है. वहीं आयोजक प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं. दरअसल, बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पं.धीरेंद्र शास्त्री की सागर के बहेरिया गदगद में होने वाली श्रीमद्भागवत कथा के लिए जिला प्रशासन के अफसरों ने कथा स्थल का दौरा कर 20 अप्रैल को दिशा-निर्देश जारी किए थे. कथा से एक दिन पहले प्रभारी कलेक्टर चंद्रशेखर शुक्ला ने अपर कलेक्टर सपना त्रिपाठी, एएसपी विक्रम सिंह और ज्योति ठाकुर सहित आयोजन समिति के साथ कथा स्थल का निरीक्षण किया था और निरीक्षण के बाद आयोजन समिति के सदस्यों को आवश्यक निर्देश दिए थे.

ये हैं प्रशासन के दिशा-निर्देश :

  • आयोजन समिति द्वारा कथास्थल पर तैयार किए गए मुख्य कथा पंडाल में मुख्य स्टेज के नीचे पक्का सीमेंटीकरण करने के निर्देश दिए थे. क्योंकि कथा स्थल काली मिट्टी वाला है. जिससे पानी गिरने की स्थिति में स्टेज को नुकसान हो सकता है.
  • प्रभारी कलेक्टर चंद्रशेखर शुक्ला ने निर्देश दिए थे कि भोजनशाला की स्थापना तीन अलग-अलग जगह पर की जाए, जिससे कि भीड़ इकट्ठी न रहे. वहीं, आयोजकों ने सिर्फ एक भोजनशाला बनाई है.
  • जिला प्रशासन ने आयोजकों और कथा स्थल पर सहयोग कर रही विभिन्न समितियों की जानकारी मोबाइल नंबर सहित उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे, लेकिन आयोजकों द्वारा जिला प्रशासन को यह जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई.
  • कथास्थल पर बिजली की व्यवस्था के लिए प्रशासन ने दो अस्थायी डीपी के निर्देश दिए थे, आयोजकों ने सिर्फ एक डीपी के लिए आवेदन दिया.
  • जिला और पुलिस प्रशासन द्वारा पूरे कथा स्थल पर सीसीटीवी लगाने के लिए कहा गया था, लेकिन आयोजकों ने ऐसा नहीं किया.
  • बागेश्वर धाम की पिछली कथा के अनुभव के आधार पर जिला प्रशासन ने रोजाना तीन लाख लोगों के पहुंचने का अनुमान लगाया था. इस लिहाज से पंडाल बनाने के लिए कहा था, लेकिन आयोजकों ने सिर्फ एक लाख लोगों के हिसाब से पंडाल की व्यवस्था की है.

क्या कहना है जिला प्रशासन का : सागर एसडीएम विजय कुमार डेहरिया ने कहा है कि जिला प्रशासन ने आयोजन को लेकर तैयारियां की हैं. आयोजकों को पहले ही पत्र जारी कर आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए थे. जिसमें विद्युत व्यवस्था, पंडाल और कानून व्यवस्था से संबंधित दिशा-निर्देश किए गए दिए गए थे. हमने उनको सारी तैयारियों के संबंध में दो पत्र जारी किए थे. अभी तक उन पत्रों का जवाब नहीं आया है. इसलिए जिला प्रशासन द्वारा कार्यक्रम को लेकर कोई अनुमति जारी नहीं की गई है.

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