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MP Assembly Election 2023: अंगद की तरह डटे रहेंगे गोपाल भार्गव, 9वीं बार लड़ेंगे चुनाव!

मध्यप्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव 2023 से में उम्मीद जताई जा रहा है कि एमी सरकार के पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव अभी अंगद की तरह डटे मैदान में डटे रहंगे रहेंगे. बता दें कि अगर गोपाल भार्गव ने चुनाव लड़ा तो वे चुनावी मैदान में 9वीं बार अपनी किस्मत अजमाएंगे.

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Published : Mar 6, 2023, 1:57 PM IST

Updated : Mar 6, 2023, 2:05 PM IST

एमपी 2023 का चुनाव लड़ सकते हैं गोपाल भार्गव

सागर। विधानसभा चुनाव 2023 में कई चेहरों को लेकर कयासों का दौर चल रहा है कि ये चेहरे चुनाव में नजर आएंगे कि नहीं, लेकिन मध्यप्रदेश विधानसभा के सबसे ज्यादा चुनाव जीतने वाले वरिष्ठ विधायक और पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव के इरादे अंगद की तरह नजर आ रहे हैं. गोपाल भार्गव लगातार 9वीं वार ताल ठोकने के लिए तैयार हैं और आगामी विधानसभा चुनाव में फिर किस्मत आजमा सकते हैं, हालांकि उनके उत्तराधिकारी बेटे अभिषेक भार्गव अपनी चुनावी पारी शुरू करने के लिए बेताब हैं. इन सब के बीच सियासत के खेलों को समझने में माहिर गोपाल भार्गव अपने पत्ते खोलने के लिए तैयार नहीं हैं, गोपाल भार्गव की बातचीत से साफ समझ आ रहा है कि वह "वेट एंड वॉच" की रणनीति अपनाकर चुनाव का इंतजार कर रहे हैं. जहां वे एक तरफ अपना दावा कमजोर नहीं होने दे रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ उन्होंने अपने बेटे के भविष्य की जिम्मेदारी पार्टी पर छोड़ दी है. इन हालातों को लेकर सियासी पंडित मानते हैं कि "गोपाल भार्गव 2003 से भाजपा की तमाम सरकारों में कैबिनेट मंत्री रहे और 2018 में सरकार गई, तो नेता प्रतिपक्ष बने. अब अगर उनकी कोई महत्वाकांक्षा बाकी रह गई है, तो वह मुख्यमंत्री बनने की है और शायद इसलिए वह "वेट एंड वॉच" की रणनीति अपना रहे हैं."

Gopal bhargav politics election 2023
विधानसभा चुनाव 2023 में फिर किस्मत आजमा सकते हैं गोपाल भार्गव

क्यों है मंत्री गोपाल भार्गव चर्चा में: विधानसभा चुनाव 2023 में मंत्री गोपाल भार्गव किस भूमिका में होंगे, इस बात की चर्चा इसलिए जोर पकड़ रही है क्योंकि वह लगातार 8 चुनाव लड़ चुके हैं और जीत हासिल करते आ रहे हैं. हालांकि भाजपा में उम्र दराज लोगों को धीरे-धीरे चुनावी राजनीति से दूर किया जा रहा है और गोपाल भार्गव चुनाव के समय 72 साल के हो चुके होंगे, दूसरी तरफ उनके बेटे अपनी चुनावी पारी शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं. ऐसे में चर्चा जोर पकड़ रही है कि 2023 का विधानसभा चुनाव में गोपाल भार्गव अपने बेटे को रहली विधानसभा क्षेत्र में उत्तराधिकारी के तौर पर चुनाव लड़ा सकते हैं. सियासी जानकारों का मानना है कि गोपाल भार्गव को अपने बेटे को चुनाव में उतारने का सबसे सही वक्त है, कैलाश विजयवर्गीय ने अपने बेटे आकाश विजयवर्गीय का राजनैतिक भविष्य तय करने के लिए खुद संगठन की राजनीति में जाना बेहतर समझा और बेटे को चुनावी राजनीति में उतार दिया."

MP election 2023
विधानसभा चुनाव 2023 में फिर किस्मत आजमा सकते हैं गोपाल भार्गव

अभी अपने पत्ते खोलना नहीं चाह रहे गोपाल भार्गव: जमीन से राजनीति शुरू कर लगातार 8 चुनाव जीतने का लंबा सफर तय करने वाले गोपाल भार्गव राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं, सियासत की हवा और मुद्दों की उनको गहरी समझ है. खुद के चुनावी सन्यास और बेटे की सियासी पारी को लेकर अपनी रणनीति का खुलासा करने तैयार नजर नहीं आ रहे हैं, ना तो आज तक उन्होंने अपनी चुनावी यात्रा पर विराम लगाने की बात कही है और ना ही उन्होंने इस बात का इशारा किया है कि आगामी चुनाव में उनके विधानसभा क्षेत्र रहली से उनके बेटे गोपाल भार्गव चुनाव लड़ सकते हैं. गोपाल भार्गव अभी भी चुनावी मैदान में ताल ठोकने की तैयारी में नजर आ रहे हैं, तो दूसरी तरफ उनको अपने बेटे के भविष्य की भी उतनी ही चिंता है. हालांकि जिस तरह से गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव की राजनीतिक सक्रियता बढ़ती जा रही है, उसको लेकर लोगों का मानना है कि जल्द ही अभिषेक भार्गव चुनावी राजनीति में उतरेंगे.

राजनीति से जुड़ी अन्य खबरें:

बेटे के लिए दूसरी विधानसभा और लोकसभा सीट पर भी नजर: मंत्री गोपाल भार्गव के बेटे उनकी विधानसभा रेहली से ही चुनाव लड़े, इसको लेकर भी तरह-तरह की चर्चा राजनीतिक गलियारों में समय-समय पर जोर पकड़ती रहती हैं. कई लोग मानते हैं कि गोपाल भार्गव चाहते हैं कि वह रहली से ही चुनाव लड़े हैं और उनका बेटा किसी दूसरी विधानसभा या लोकसभा सीट से चुनाव लड़े. रहली विधानसभा की पड़ोसी विधानसभा देवरी और पथरिया जैसी विधानसभाओं पर गोपाल भार्गव की नजर लगी है, इन विधानसभाओं की स्थानीय राजनीति में उनका हस्तक्षेप भी होता है, दूसरी तरफ वह अपने बेटे को लोकसभा चुनाव लड़ाने की भी तैयारी करें बैठे हैं. बुंदेलखंड की चार लोकसभा में से सागर, दमोह और खजुराहो से भी अपने बेटे को चुनाव लड़ाने की कोशिश में रहते हैं, उनकी रणनीति यह भी है कि उनका सियासी सफर चलता रहे और बेटे की सियासत भी शुरू हो जाए.

MP election 2023
विधानसभा चुनाव 2023 में फिर किस्मत आजमा सकते हैं गोपाल भार्गव

आखिर क्यों हो राजनीति को विराम देना नहीं चाहते गोपाल भार्गव: जहां तक गोपाल भार्गव की बात करें, तो गोपाल भार्गव पिछले 8 विधानसभा चुनाव से लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं और 2003 से लगातार मंत्री भी बने हुए हैं. 2018 में भाजपा की सरकार गई, तो विपक्ष के नेता नेता प्रतिपक्ष बने. इन हालातों को लेकर कुछ राजनीतिक पंडितों का मानना है कि गोपाल भार्गव करीब 20 साल कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं. अब सिर्फ मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा हो सकती है, जो अभी तक अधूरी है. राजनीति में संभावनाओं से कभी इंकार नहीं किया जा सकता है और शायद गोपाल भार्गव इसी बात को लेकर " वेट एंड वॉच " की रणनीति अपना रहे हैं कि इकलौती और अधूरी महत्वाकांक्षा भी पूरी हो जाए.

Gopal bhargav politics MP election 2023
विधानसभा चुनाव 2023 में फिर किस्मत आजमा सकते हैं गोपाल भार्गव

क्या कहते हैं गोपाल भार्गव: विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अभी से तैयारियों में जुट गए गोपाल भार्गव अपने बेटे अभिषेक भार्गव की राजनीति को लेकर कहते हैं कि " एक वोट में दो चार सेवक मिल जाएं, तो क्या नुकसान हैं. वोट सिर्फ मुझे मिलती है और लगभग 19 से 20 साल से दीपू सहयोग कर रहा है, ना तो वह सरपंच है और ना ही पार्षद है. कभी-कभी तो मेरे से ज्यादा भी काम लोगों के लिए करता है, राजनीतिक परिवार के लोगों का भाव मदद करने का होना चाहिए, सिर्फ वोट लेने का नहीं होना चाहिए. अभिषेक को क्या पड़ी थी कि कोरोना के मरीजों के सिरहाने बैठा रहे और रेमदेसीविर इंजेक्शन और दूसरी दवाइयां ढूंढता फिरे, लेकिन ऐसे बुरे वक्त में जब परिवार तक साथ छोड़ देता है, भाई-भाई के काम नहीं आता, पुत्र पिता के काम नहीं आता, मैंने सैकड़ों उदाहरण देंखे हैं, इसलिए हम लोग सेवा करते हैं,भगवान ने शायद इसी निमित्त से भेजा है. इसके साथ ही अभिषेक भार्गव की चुनावी पारी शुरू होने के सवाल पर गोपाल भार्गव कहते हैं कि यह तो पार्टी के ऊपर है, जैसा अवसर आएगा, वैसा मौका मिलेगा. वहीं 70 प्लस के फार्मूले को काल्पनिक बताते हैं"

एमपी 2023 का चुनाव लड़ सकते हैं गोपाल भार्गव

सागर। विधानसभा चुनाव 2023 में कई चेहरों को लेकर कयासों का दौर चल रहा है कि ये चेहरे चुनाव में नजर आएंगे कि नहीं, लेकिन मध्यप्रदेश विधानसभा के सबसे ज्यादा चुनाव जीतने वाले वरिष्ठ विधायक और पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव के इरादे अंगद की तरह नजर आ रहे हैं. गोपाल भार्गव लगातार 9वीं वार ताल ठोकने के लिए तैयार हैं और आगामी विधानसभा चुनाव में फिर किस्मत आजमा सकते हैं, हालांकि उनके उत्तराधिकारी बेटे अभिषेक भार्गव अपनी चुनावी पारी शुरू करने के लिए बेताब हैं. इन सब के बीच सियासत के खेलों को समझने में माहिर गोपाल भार्गव अपने पत्ते खोलने के लिए तैयार नहीं हैं, गोपाल भार्गव की बातचीत से साफ समझ आ रहा है कि वह "वेट एंड वॉच" की रणनीति अपनाकर चुनाव का इंतजार कर रहे हैं. जहां वे एक तरफ अपना दावा कमजोर नहीं होने दे रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ उन्होंने अपने बेटे के भविष्य की जिम्मेदारी पार्टी पर छोड़ दी है. इन हालातों को लेकर सियासी पंडित मानते हैं कि "गोपाल भार्गव 2003 से भाजपा की तमाम सरकारों में कैबिनेट मंत्री रहे और 2018 में सरकार गई, तो नेता प्रतिपक्ष बने. अब अगर उनकी कोई महत्वाकांक्षा बाकी रह गई है, तो वह मुख्यमंत्री बनने की है और शायद इसलिए वह "वेट एंड वॉच" की रणनीति अपना रहे हैं."

Gopal bhargav politics election 2023
विधानसभा चुनाव 2023 में फिर किस्मत आजमा सकते हैं गोपाल भार्गव

क्यों है मंत्री गोपाल भार्गव चर्चा में: विधानसभा चुनाव 2023 में मंत्री गोपाल भार्गव किस भूमिका में होंगे, इस बात की चर्चा इसलिए जोर पकड़ रही है क्योंकि वह लगातार 8 चुनाव लड़ चुके हैं और जीत हासिल करते आ रहे हैं. हालांकि भाजपा में उम्र दराज लोगों को धीरे-धीरे चुनावी राजनीति से दूर किया जा रहा है और गोपाल भार्गव चुनाव के समय 72 साल के हो चुके होंगे, दूसरी तरफ उनके बेटे अपनी चुनावी पारी शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं. ऐसे में चर्चा जोर पकड़ रही है कि 2023 का विधानसभा चुनाव में गोपाल भार्गव अपने बेटे को रहली विधानसभा क्षेत्र में उत्तराधिकारी के तौर पर चुनाव लड़ा सकते हैं. सियासी जानकारों का मानना है कि गोपाल भार्गव को अपने बेटे को चुनाव में उतारने का सबसे सही वक्त है, कैलाश विजयवर्गीय ने अपने बेटे आकाश विजयवर्गीय का राजनैतिक भविष्य तय करने के लिए खुद संगठन की राजनीति में जाना बेहतर समझा और बेटे को चुनावी राजनीति में उतार दिया."

MP election 2023
विधानसभा चुनाव 2023 में फिर किस्मत आजमा सकते हैं गोपाल भार्गव

अभी अपने पत्ते खोलना नहीं चाह रहे गोपाल भार्गव: जमीन से राजनीति शुरू कर लगातार 8 चुनाव जीतने का लंबा सफर तय करने वाले गोपाल भार्गव राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं, सियासत की हवा और मुद्दों की उनको गहरी समझ है. खुद के चुनावी सन्यास और बेटे की सियासी पारी को लेकर अपनी रणनीति का खुलासा करने तैयार नजर नहीं आ रहे हैं, ना तो आज तक उन्होंने अपनी चुनावी यात्रा पर विराम लगाने की बात कही है और ना ही उन्होंने इस बात का इशारा किया है कि आगामी चुनाव में उनके विधानसभा क्षेत्र रहली से उनके बेटे गोपाल भार्गव चुनाव लड़ सकते हैं. गोपाल भार्गव अभी भी चुनावी मैदान में ताल ठोकने की तैयारी में नजर आ रहे हैं, तो दूसरी तरफ उनको अपने बेटे के भविष्य की भी उतनी ही चिंता है. हालांकि जिस तरह से गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव की राजनीतिक सक्रियता बढ़ती जा रही है, उसको लेकर लोगों का मानना है कि जल्द ही अभिषेक भार्गव चुनावी राजनीति में उतरेंगे.

राजनीति से जुड़ी अन्य खबरें:

बेटे के लिए दूसरी विधानसभा और लोकसभा सीट पर भी नजर: मंत्री गोपाल भार्गव के बेटे उनकी विधानसभा रेहली से ही चुनाव लड़े, इसको लेकर भी तरह-तरह की चर्चा राजनीतिक गलियारों में समय-समय पर जोर पकड़ती रहती हैं. कई लोग मानते हैं कि गोपाल भार्गव चाहते हैं कि वह रहली से ही चुनाव लड़े हैं और उनका बेटा किसी दूसरी विधानसभा या लोकसभा सीट से चुनाव लड़े. रहली विधानसभा की पड़ोसी विधानसभा देवरी और पथरिया जैसी विधानसभाओं पर गोपाल भार्गव की नजर लगी है, इन विधानसभाओं की स्थानीय राजनीति में उनका हस्तक्षेप भी होता है, दूसरी तरफ वह अपने बेटे को लोकसभा चुनाव लड़ाने की भी तैयारी करें बैठे हैं. बुंदेलखंड की चार लोकसभा में से सागर, दमोह और खजुराहो से भी अपने बेटे को चुनाव लड़ाने की कोशिश में रहते हैं, उनकी रणनीति यह भी है कि उनका सियासी सफर चलता रहे और बेटे की सियासत भी शुरू हो जाए.

MP election 2023
विधानसभा चुनाव 2023 में फिर किस्मत आजमा सकते हैं गोपाल भार्गव

आखिर क्यों हो राजनीति को विराम देना नहीं चाहते गोपाल भार्गव: जहां तक गोपाल भार्गव की बात करें, तो गोपाल भार्गव पिछले 8 विधानसभा चुनाव से लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं और 2003 से लगातार मंत्री भी बने हुए हैं. 2018 में भाजपा की सरकार गई, तो विपक्ष के नेता नेता प्रतिपक्ष बने. इन हालातों को लेकर कुछ राजनीतिक पंडितों का मानना है कि गोपाल भार्गव करीब 20 साल कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं. अब सिर्फ मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा हो सकती है, जो अभी तक अधूरी है. राजनीति में संभावनाओं से कभी इंकार नहीं किया जा सकता है और शायद गोपाल भार्गव इसी बात को लेकर " वेट एंड वॉच " की रणनीति अपना रहे हैं कि इकलौती और अधूरी महत्वाकांक्षा भी पूरी हो जाए.

Gopal bhargav politics MP election 2023
विधानसभा चुनाव 2023 में फिर किस्मत आजमा सकते हैं गोपाल भार्गव

क्या कहते हैं गोपाल भार्गव: विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अभी से तैयारियों में जुट गए गोपाल भार्गव अपने बेटे अभिषेक भार्गव की राजनीति को लेकर कहते हैं कि " एक वोट में दो चार सेवक मिल जाएं, तो क्या नुकसान हैं. वोट सिर्फ मुझे मिलती है और लगभग 19 से 20 साल से दीपू सहयोग कर रहा है, ना तो वह सरपंच है और ना ही पार्षद है. कभी-कभी तो मेरे से ज्यादा भी काम लोगों के लिए करता है, राजनीतिक परिवार के लोगों का भाव मदद करने का होना चाहिए, सिर्फ वोट लेने का नहीं होना चाहिए. अभिषेक को क्या पड़ी थी कि कोरोना के मरीजों के सिरहाने बैठा रहे और रेमदेसीविर इंजेक्शन और दूसरी दवाइयां ढूंढता फिरे, लेकिन ऐसे बुरे वक्त में जब परिवार तक साथ छोड़ देता है, भाई-भाई के काम नहीं आता, पुत्र पिता के काम नहीं आता, मैंने सैकड़ों उदाहरण देंखे हैं, इसलिए हम लोग सेवा करते हैं,भगवान ने शायद इसी निमित्त से भेजा है. इसके साथ ही अभिषेक भार्गव की चुनावी पारी शुरू होने के सवाल पर गोपाल भार्गव कहते हैं कि यह तो पार्टी के ऊपर है, जैसा अवसर आएगा, वैसा मौका मिलेगा. वहीं 70 प्लस के फार्मूले को काल्पनिक बताते हैं"

Last Updated : Mar 6, 2023, 2:05 PM IST
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