सागर। MP Latest News: 48 साल तक वैवाहिक जीवन जीने और नाती-पोतों से भरे पूरे परिवार के साथ रहने के बाद सागर जिले के शाहगढ़ कस्बे की अंगूरी देवी अब 65 साल की उम्र में अपना सब कुछ त्याग कर वैराग्य धारण करने जा रही हैं. वो जैन साध्वी (Jain Sadhavi Angoori Devi) बनेंगी. अंगूरी देवी राजस्थान के बांसवाड़ा में मुनि विभव सागर के समक्ष दीक्षा लेंगी. दीक्षा के पहले शनिवार को शाहगढ़ में उनकी गोदभराई रस्म हुई और विनोली यात्रा निकाली गई.
टीकमगढ़ जिले की अजमेर की रहने वाली महिला अंगूरी देवी की पढ़ाई पांचवी तक हुई है, उनकी शादी 1973 में शाहगढ़ के सुरेश शाह के साथ संपन्न हुई थी. करीब 48 साल तक दांपत्य जीवन जीने वाली अंगूरी देवी की दो संताने हैं. दोनों बच्चों की शादियां काफी पहले हो चुकी है, और उनकी भी 3-3संतानें है. अब एक भरा-पूरा परिवार त्याग कर अंगूरी देवी वैराग्य धारण करने जा रही हैं (Jain Sadhavi Angoori Devi).
अंगूरी देवी की गोदभराई और विनोली यात्रा
अंगूरी देवी की दीक्षा के 11 दिन पहले शाहगढ़ नगर में बिनौली यात्रा निकाली गई और सकल दिगंबर जैन समाज द्वारा सामूहिक रूप से गोद भराई की रस्म का कार्यक्रम भी आयोजित किया गया. जिसमें जैन समाज के लोगों ने दुखी मन से उनकी गोद भराई की रस्म पूरी की. इसके बाद नियम के अनुसार बिनोली यात्रा निकाली गई, जिसमें जैन समाज के अलावा अंगूरी देवी के रिश्तेदार शामिल हुईं. बग्गी को सजा कर अंगूरी देवी को उसमें बिठाकर शाहगढ़ के मुख्य मार्गों से गाजे-बाजे के साथ उनकी बिनौली यात्रा निकाली गई. दिगंबर सकल समाज के मंदिर से शुरू हुई बिनोली यात्रा शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरी. इस दौरान जैन समाज के जितने भी लोगों के घर रास्ते में पड़े, उन्होंने अंगूरी देवी की गोद भराई की रस्म पूरी की.
20 सालों से ब्रह्मचर्य का पालन
अंगूरी देवी फिलहाल शाहगढ़ के रानी लक्ष्मीबाई वार्ड में रहती हैं और वो पिछले दो दशकों से लगातार ब्रह्मचर्य व्रत का पालन कर रही थी.अंगूरी देवी ने बताया कि सिद्धश्री माता जी से प्रेरणा मिली थी.घर में ही कठोर त्याग की उपासना कर रही थी. जैन धर्म के अनुसार कठोर ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करते हुए अब वो सांसरिक मोह-माया त्याग कर ब्रह्मचर्य की तरफ बढ़ रही हैं.
14 दिसंबर को राजस्थान के बांसवाड़ा में लेंगी दीक्षा
करीब 20 सालों से कठिन तरीके से ब्रह्मचर्य व्रत का पालन कर रही अंगूरी देवी की दीक्षा 14 दिसंबर को राजस्थान के बांसवाड़ा में संपन्न होगी. बांसवाड़ा में मुनि विभव सागर दीक्षा कार्यक्रम संपन्न कराएंगे (Jain Sadhavi Angoori Devi). छुल्लक दीक्षा होने के बाद अंगूरी देवी को नया नाम दिया जाएगा.