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MP Election 2023: सुरखी के कद्दावर नेता नीरज शर्मा ने BJP से दिया इस्तीफा, क्या कमलनाथ को मिल गई गोविंद सिंह राजपूत की काट

मध्य प्रदेश में चुनावी साल में नेताओं का पार्टी में आने-जाने का सिलसिला जारी है. बीते कुछ दिनों में कई नेता बीजेपी-कांग्रेस ज्वाइन कर चुके हैं. वहीं खबर आ रही है कि सुरखी विधानसभा क्षेत्र के कद्दावर नेता नीरज शर्मा ने बीजेपी छोड़ दी है. नीरज शर्मा जल्द ही कांग्रेस ज्वाइन करेंगे.

MP Election 2023
नीरज शर्मा और गोविंद सिंह
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 23, 2023, 10:50 PM IST

नीरज शर्मा ने छोड़ी बीजेपी

सागर। कजलीवन में कांग्रेस कार्यकर्ता और नेता राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे की सफल सभा पर एक दूसरे को बधाई दे रहे थे. तभी उन्हें सोशल मीडिया पर एक और खुशखबरी मिली कि सुरखी विधानसभा क्षेत्र के कद्दावर भाजपा नेता नीरज शर्मा ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया है और 24 सितंबर को कांग्रेस ज्वाइन करने वाले हैं. जी हां सागर की सुरखी विधानसभा सीट मध्य प्रदेश की चर्चित विधानसभाओं में से एक है. यहां के विधायक फिलहाल ज्योतिरादित्य सिंधिया के खास मंत्री गोविंद सिंह राजपूत हैं. आगामी विधानसभा चुनाव में गोविंद सिंह राजपूत को कठिन चुनौती देने कमलनाथ दमदार नेता की तलाश में थे, जो गोविंद सिंह राजपूत के बाहुबल और धनबल से मुकाबला कर सके. नीरज शर्मा ऐसे दमदार नेता हैं, जो गोविंद सिंह राजपूत से हर स्तर पर मुकाबला करने में सक्षम है. नीरज शर्मा राहतगढ़ जनपद चुनाव में मंत्री के भाई को करारी हार का सामना करा चुके हैं, राहतगढ़ नगर परिषद के अध्यक्ष भी रहे हैं.

कौन है नीरज शर्मा: सागर जिले की सुरखी विधानसभा सीट के सबसे बडे़ कस्बे राहतगढ़ की नगर परिषद के पूर्व अध्यक्ष और राहतगढ़ जनपद पंचायत के पूर्व अध्यक्ष नीरज शर्मा की बात करें, तो राहतगढ़ में पिछले 15 सालों से सियासत की धुरी इनके आसपास ही घूमती है. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिवार से जुडे़ नीरज शर्मा फिलहाल गोविंद सिंह राजपूत के धुरविरोधी नेता के तौर पर देखे जाते हैं. नीरज शर्मा अपने विरोधी नेता के भाजपा में आने के बाद घुटन महसूस कर रहे थे. वहीं उपचुनाव में सुरखी से कांग्रेस की हार के बाद कमलनाथ एक ऐसे नेता की तलाश में थे, जो गोविंद सिंह राजपूत के बाहुबल और धनबल का सामना कर सके.
करीब तीन-चार साल से कमलनाथ और नीरज शर्मा के बीच संपर्क था, लेकिन बात नहीं बन रही थी. पिछले तीन चार महीने से कमलनाथ ने हर स्तर पर नीरज शर्मा को पार्टी में लाने के लिए प्रयासरत थे और आखिरकार 22 अगस्त को कांग्रेस की मुराद पूरी हो गयी.

बीजेपी उम्मीदवारों की घोषणा ने की कांग्रेस की राह आसान: नीरज शर्मा उपचुनाव के बाद भले कमलनाथ के संपर्क में थे, लेकिन नीरज शर्मा भाजपा छोड़ने का मन नहीं बना पा रहे थे. पिछले कई महीनों से कमलनाथ के बुंदेलखंड के खास नेता और सलाहकार नीरज शर्मा को मनाने में जुटे थे. चर्चा तो ये सुनने मिल रही थी कि नीरज शर्मा अब कांग्रेस में नहीं आ रहे है, लेकिन अचानक 22 अगस्त को नीरज शर्मा ने इस्तीफा दे दिया. कयास लगाए जा रहे हैं कि नीरज शर्मा बुंदेलखंड के धाकड़ यादव नेता लक्ष्मीनारायण यादव के प्रयासों से कांग्रेस में आए हैं, क्योंकि नीरज शर्मा पूर्व सांसद लक्ष्मीनारायण यादव के करीबी हैं, जो अपने बेटे सुधीर यादव के लिए बंडा से टिकट चाह रहे थे और उनके बेटे सुधीर यादव दिन रात मेहनत कर रहे थे, लेकिन उन्हें टिकट हासिल नहीं हुआ. माना जा रहा है कि सियासी चाले चलने में माहिर लक्ष्मीनारायण यादव के चलते नीरज शर्मा की कांग्रेस में आमद हुई है.

गोविंद सिंह राजपूत को कई बार पटखनी दे चुके नीरज शर्मा: नीरज शर्मा के पीछे कमलनाथ क्यों परेशान थे. इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि सुरखी विधानसभा में नीरज शर्मा ही ऐसे नेता हैं, जो गोविंद सिंह राजपूत को कई बार पटखनी दे चुके हैं. 2010 में जनपद पंचायत अध्यक्ष चुनाव में नीरज शर्मा ने गोविंद सिंह राजपूत के भाई को हराया था. इस चुनाव के बाद नीरज शर्मा और गोविंद सिंह राजपूत एक दूसरे के धुर विरोधी बन गए थे. जब गोविंद सिंह खुद भाजपा में आ गए, तो नीरज शर्मा असहज महसूस कर रहे थे. पिछले साल राहतगढ़ नगर परिषद चुनाव में भी गोविंद सिंह राजपूत नीरज शर्मा के कारण अपने समर्थक को अध्यक्ष नहीं बना पाए और नीरज शर्मा अपने समर्थक गोलू राय को अध्यक्ष बनाने में कामयाब रहे.

यहां पढ़ें...

काफिला देख दंग रह जाएगी राजधानी: नीरज शर्मा गुरूवार 24 सितंबर को अपने समर्थकों के साथ भोपाल पहुंचकर कमलनाथ के हाथों कांग्रेस की सदस्यता लेंगे. बतायाा जा रहा है कि राहतगढ़ से नीरज शर्मा के साथ सैकड़ों गाड़ियों का काफिला भोपाल ले जाने की तैयारी है. दावा किया जा रहा है कि नीरज शर्मा का काफिला इतना बड़ा होगा, जो राजधानी भोपाल में नजर नहीं आया होगा.

क्या कहना है नीरज शर्मा का: भाजपा छोड़ने और कांग्रेस में जाने के सवाल पर नीरज शर्मा कहते हैं कि "भाजपा में हम पिछले 15 साल से काम कर रहे थे. जनपद अध्यक्ष और नगर परिषद अध्यक्ष भी बने, लेकिन कुछ महीनों से समाज हित और हर वर्ग की समस्याओं को लेकर मंत्री गोविंद सिंह राजपूत से बात करी, लेकिन उन्होंने अनसुनी की. हमें लगा कि हमारा अस्तित्व खत्म होने लगा है. हमारा कोई निजी स्वार्थ नहीं है, हम राहतगढ, सीहोरा, बिलहरा, सुरखी विधानसभा के गरीबों और असहायों का हित होगा, हम वहां खडे होंगे. ये कोई बात नहीं है, हमारा कोई स्वार्थ नहीं है कि हमें टिकट मिले. कमलनाथ से हमारा तीन चार साल से संपर्क है, समय-समय पर हमारी बात होती है. कांग्रेस से टिकट के सवाल पर उन्होंने कहा कि ये तो समय बताएगा, दो चार दिन में जो फैसला होगा, सामने आएगा. हनुमान जी की कृपा होगी, सब ठीक होगा. जनता का जहां हित होगा, हम वहां जाएंगे. कई बार हमनें चीजों को सुधारने की कोशिश की, लेकिन हमें हलके में लिया.

नीरज शर्मा ने छोड़ी बीजेपी

सागर। कजलीवन में कांग्रेस कार्यकर्ता और नेता राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे की सफल सभा पर एक दूसरे को बधाई दे रहे थे. तभी उन्हें सोशल मीडिया पर एक और खुशखबरी मिली कि सुरखी विधानसभा क्षेत्र के कद्दावर भाजपा नेता नीरज शर्मा ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया है और 24 सितंबर को कांग्रेस ज्वाइन करने वाले हैं. जी हां सागर की सुरखी विधानसभा सीट मध्य प्रदेश की चर्चित विधानसभाओं में से एक है. यहां के विधायक फिलहाल ज्योतिरादित्य सिंधिया के खास मंत्री गोविंद सिंह राजपूत हैं. आगामी विधानसभा चुनाव में गोविंद सिंह राजपूत को कठिन चुनौती देने कमलनाथ दमदार नेता की तलाश में थे, जो गोविंद सिंह राजपूत के बाहुबल और धनबल से मुकाबला कर सके. नीरज शर्मा ऐसे दमदार नेता हैं, जो गोविंद सिंह राजपूत से हर स्तर पर मुकाबला करने में सक्षम है. नीरज शर्मा राहतगढ़ जनपद चुनाव में मंत्री के भाई को करारी हार का सामना करा चुके हैं, राहतगढ़ नगर परिषद के अध्यक्ष भी रहे हैं.

कौन है नीरज शर्मा: सागर जिले की सुरखी विधानसभा सीट के सबसे बडे़ कस्बे राहतगढ़ की नगर परिषद के पूर्व अध्यक्ष और राहतगढ़ जनपद पंचायत के पूर्व अध्यक्ष नीरज शर्मा की बात करें, तो राहतगढ़ में पिछले 15 सालों से सियासत की धुरी इनके आसपास ही घूमती है. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिवार से जुडे़ नीरज शर्मा फिलहाल गोविंद सिंह राजपूत के धुरविरोधी नेता के तौर पर देखे जाते हैं. नीरज शर्मा अपने विरोधी नेता के भाजपा में आने के बाद घुटन महसूस कर रहे थे. वहीं उपचुनाव में सुरखी से कांग्रेस की हार के बाद कमलनाथ एक ऐसे नेता की तलाश में थे, जो गोविंद सिंह राजपूत के बाहुबल और धनबल का सामना कर सके.
करीब तीन-चार साल से कमलनाथ और नीरज शर्मा के बीच संपर्क था, लेकिन बात नहीं बन रही थी. पिछले तीन चार महीने से कमलनाथ ने हर स्तर पर नीरज शर्मा को पार्टी में लाने के लिए प्रयासरत थे और आखिरकार 22 अगस्त को कांग्रेस की मुराद पूरी हो गयी.

बीजेपी उम्मीदवारों की घोषणा ने की कांग्रेस की राह आसान: नीरज शर्मा उपचुनाव के बाद भले कमलनाथ के संपर्क में थे, लेकिन नीरज शर्मा भाजपा छोड़ने का मन नहीं बना पा रहे थे. पिछले कई महीनों से कमलनाथ के बुंदेलखंड के खास नेता और सलाहकार नीरज शर्मा को मनाने में जुटे थे. चर्चा तो ये सुनने मिल रही थी कि नीरज शर्मा अब कांग्रेस में नहीं आ रहे है, लेकिन अचानक 22 अगस्त को नीरज शर्मा ने इस्तीफा दे दिया. कयास लगाए जा रहे हैं कि नीरज शर्मा बुंदेलखंड के धाकड़ यादव नेता लक्ष्मीनारायण यादव के प्रयासों से कांग्रेस में आए हैं, क्योंकि नीरज शर्मा पूर्व सांसद लक्ष्मीनारायण यादव के करीबी हैं, जो अपने बेटे सुधीर यादव के लिए बंडा से टिकट चाह रहे थे और उनके बेटे सुधीर यादव दिन रात मेहनत कर रहे थे, लेकिन उन्हें टिकट हासिल नहीं हुआ. माना जा रहा है कि सियासी चाले चलने में माहिर लक्ष्मीनारायण यादव के चलते नीरज शर्मा की कांग्रेस में आमद हुई है.

गोविंद सिंह राजपूत को कई बार पटखनी दे चुके नीरज शर्मा: नीरज शर्मा के पीछे कमलनाथ क्यों परेशान थे. इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि सुरखी विधानसभा में नीरज शर्मा ही ऐसे नेता हैं, जो गोविंद सिंह राजपूत को कई बार पटखनी दे चुके हैं. 2010 में जनपद पंचायत अध्यक्ष चुनाव में नीरज शर्मा ने गोविंद सिंह राजपूत के भाई को हराया था. इस चुनाव के बाद नीरज शर्मा और गोविंद सिंह राजपूत एक दूसरे के धुर विरोधी बन गए थे. जब गोविंद सिंह खुद भाजपा में आ गए, तो नीरज शर्मा असहज महसूस कर रहे थे. पिछले साल राहतगढ़ नगर परिषद चुनाव में भी गोविंद सिंह राजपूत नीरज शर्मा के कारण अपने समर्थक को अध्यक्ष नहीं बना पाए और नीरज शर्मा अपने समर्थक गोलू राय को अध्यक्ष बनाने में कामयाब रहे.

यहां पढ़ें...

काफिला देख दंग रह जाएगी राजधानी: नीरज शर्मा गुरूवार 24 सितंबर को अपने समर्थकों के साथ भोपाल पहुंचकर कमलनाथ के हाथों कांग्रेस की सदस्यता लेंगे. बतायाा जा रहा है कि राहतगढ़ से नीरज शर्मा के साथ सैकड़ों गाड़ियों का काफिला भोपाल ले जाने की तैयारी है. दावा किया जा रहा है कि नीरज शर्मा का काफिला इतना बड़ा होगा, जो राजधानी भोपाल में नजर नहीं आया होगा.

क्या कहना है नीरज शर्मा का: भाजपा छोड़ने और कांग्रेस में जाने के सवाल पर नीरज शर्मा कहते हैं कि "भाजपा में हम पिछले 15 साल से काम कर रहे थे. जनपद अध्यक्ष और नगर परिषद अध्यक्ष भी बने, लेकिन कुछ महीनों से समाज हित और हर वर्ग की समस्याओं को लेकर मंत्री गोविंद सिंह राजपूत से बात करी, लेकिन उन्होंने अनसुनी की. हमें लगा कि हमारा अस्तित्व खत्म होने लगा है. हमारा कोई निजी स्वार्थ नहीं है, हम राहतगढ, सीहोरा, बिलहरा, सुरखी विधानसभा के गरीबों और असहायों का हित होगा, हम वहां खडे होंगे. ये कोई बात नहीं है, हमारा कोई स्वार्थ नहीं है कि हमें टिकट मिले. कमलनाथ से हमारा तीन चार साल से संपर्क है, समय-समय पर हमारी बात होती है. कांग्रेस से टिकट के सवाल पर उन्होंने कहा कि ये तो समय बताएगा, दो चार दिन में जो फैसला होगा, सामने आएगा. हनुमान जी की कृपा होगी, सब ठीक होगा. जनता का जहां हित होगा, हम वहां जाएंगे. कई बार हमनें चीजों को सुधारने की कोशिश की, लेकिन हमें हलके में लिया.

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