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BJP के गढ़ बुंदेलखंड में सेंध लगाने की दिग्विजय की तैयारी, क्या कमजोरियों को दुरुस्त कर पाएगी कांग्रेस

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत पक्की करने कांग्रेस बीजेपी के गढ़ बुंदेलखंड में अपनी जमीन मजबूत करने की कोशिश में जुट गई है. कांग्रेस के दिग्गज नेता व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह बुंदेलखंड में 3 दिनों के दौरे पर रहेंगे. यहां वे पार्टी को मजबूती दिलाने की कोशिश करेंगे.

Digvijay singh
दिग्विजय सिंह
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Published : Apr 7, 2023, 10:56 PM IST

बुंदेलखंड में दिग्विजय का दौरा

सागर। वैसे तो विधानसभा चुनाव के लिए 6 महीने से ज्यादा का वक्त बाकी है, लेकिन मध्य प्रदेश का प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस अपनी कमजोर कड़ियां मजबूत करने में जुट गया है. इसकी जिम्मेदारी कमलनाथ और प्रदेश प्रभारी जेपी अग्रवाल की सहमति से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को सौंपी गई है. इसी कड़ी में दिग्विजय सिंह बीजेपी का गढ़ माने जाने वाले बुंदेलखंड में कांग्रेस की मजबूती के लिए 3 दिन का डेरा डालने वाले हैं, जहां वे सागर और दमोह की हारी हुई सीटों की समीक्षा करेंगे. दिग्विजय सिंह 10 अप्रैल की रात को बीना पहुंचेंगे. बीना से समीक्षा की शुरुआत करते हुए दमोह जिले की हटा विधानसभा क्षेत्र की समीक्षा के बाद 13 अप्रैल को भोपाल वापस चले जाएंगे. इस दौरान वह दोनों जिले की हारी हुई 7 सीटों के कार्यकर्ताओं, मंडल और सेक्टर के पदाधिकारियों से मुलाकात करेंगे.

बुंदेलखंड है कांग्रेस की कमजोर कड़ी: जहां तक बुंदेलखंड की बात करें, तो एक समय बुंदेलखंड कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था, लेकिन धीरे-धीरे यह कांग्रेस के हाथ से फिसल गया. आज हालात यह है कि बुंदेलखंड में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के पास एक भी सीट नहीं है और विधानसभा सीटों में भी भाजपा से काफी पीछे है. मौजूदा स्थिति में बात करें तो बुंदेलखंड की 4 लोकसभा सीटों में कांग्रेस के पास एक भी सीट नहीं है. चारों सीटों पर भाजपा का कब्जा है. ऐसे ही कुछ विधानसभा स्तर पर हैं. विधानसभा सागर जिले में 8 सीटों में से सिर्फ 2 सीटें कांग्रेस के पास हैं. वहीं दमोह में 4 विधानसभा सीटों में से 1 सीट कांग्रेस के पास है. छतरपुर जिले के हाल अन्य जिलों से कुछ ठीक हैं. जहां की 6 विधानसभा सीट में से 3 सीटें कांग्रेस के पास है. इसके अलावा टीकमगढ़-निवाड़ी की हालात तो बहुत ही बदतर है. जहां एक भी सीट कांग्रेस के पास नहीं है. वहीं पन्ना की बात करें, तो पन्ना की 3 सीटों में से सिर्फ एक सीट कांग्रेस के पास है.

2018 में सुधरा था प्रदर्शन, उपचुनाव में हालत हुई पतली : 2018 के विधानसभा चुनाव में बुंदेलखंड में कांग्रेस के प्रदर्शन में सुधार हुआ था. सागर जिले की 8 विधानसभा सीट में से 3 सीटें कांग्रेस के पास थी, लेकिन सिंधिया खेमे की बगावत के बाद सुरखी सीट पर उपचुनाव हुआ और गोविंद सिंह राजपूत भाजपा के टिकट से चुनाव जीते और सीट भाजपा के खाते में चली गई. ऐसा ही छतरपुर में देखने को मिला, जहां 2018 में कांग्रेस ने 6 में से 4 सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन बड़ा मलहरा विधायक प्रद्युम्न सिंह लोधी की बगावत के बाद बड़ा मलहरा में उपचुनाव हुए और ये सीट भाजपा के खाते में चली गई. हालांकि दमोह विधानसभा से भी कांग्रेस विधायक राहुल लोधी ने बगावत की थी, लेकिन वह कांग्रेस की सीट नहीं छीन पाए. ऐसी ही स्थिति निवाड़ी की पृथ्वीपुर विधानसभा सीट पर बनी. जहां बृजेंद्र सिंह राठौर के निधन के बाद उपचुनाव में उनके सुपुत्र नितेन्द्र सिंह राठौर चुनाव हार गए और सीट गवां बैठे थे.

दिग्विजय सिंह को जमीनी तैयारी की जिम्मेदारी: जहां तक दिग्विजय सिंह को बुंदेलखंड में कांग्रेस की जमीन मजबूत करने की जिम्मेदारी सौंपने का सवाल है, तो दिग्विजय सिंह के अनुभव और कार्यकर्ताओं से सीधे संपर्क के कारण उन्हें ये जिम्मेदारी सौंपी गई है. दिग्विजय सिंह लंबे समय तक अविभाजित मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. बताया जाता है कि इस दौरान उन्होंने मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की 1-1 विधानसभा सीट का दौरा किया था. कांग्रेस के ब्लॉक स्तर के कार्यकर्ताओं से उनका सीधा संपर्क है और जमीनी कार्यकर्ताओं को नाम से जानते हैं. खासकर संगठन में जान फूंकने और कार्यकर्ताओं का जोश बढ़ाने में दिग्विजय सिंह का कोई मुकाबला नहीं है. ऐसी स्थिति में पार्टी की रणनीति के तहत पहले दिग्विजय सिंह जमीनी सच्चाई से रूबरू होंगे. उसके बाद नई रणनीति के साथ कमलनाथ मैदान में उतरेंगे.

कुछ खबर यहां पढ़ें

क्या कहना है कांग्रेस का: मध्यप्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष सुरेंद्र चौधरी का कहना है कि किसी भी संगठन में पार्टी का नेतृत्व अकेले चुनाव के पहले नहीं, बल्कि हर समय व्यवस्था को अपने हिसाब से पार्टी के आंतरिक मामलों में बारीक सुधार लाने और कार्यकर्ताओं से जान पहचान के लिए कार्यक्रम करता रहता है. मैं समझता हूं कि इसी मामले में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का दौरा प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ की सहमति से हो रहा है और हमारे प्रभारी जेपी अग्रवाल भी ऐसा ही चाहते हैं. जहां तक बुंदेलखंड में कांग्रेस के कमजोर होने की बात है, तो सुरेंद्र चौधरी का कहना है कि निश्चित तौर पर लोकशाही में राजनीतिक दल इस बात की चिंता जरूर करते हैं कि हमारी पार्टी में क्या कमजोरी और कमियां हैं. इनमें सुधार लाने का काम कार्यकर्ताओं के बीच बैठकर किया जाता है. इसी उद्देश्य को लेकर दिग्विजय सिंह सागर संभाग आ रहे हैं.

बुंदेलखंड में दिग्विजय का दौरा

सागर। वैसे तो विधानसभा चुनाव के लिए 6 महीने से ज्यादा का वक्त बाकी है, लेकिन मध्य प्रदेश का प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस अपनी कमजोर कड़ियां मजबूत करने में जुट गया है. इसकी जिम्मेदारी कमलनाथ और प्रदेश प्रभारी जेपी अग्रवाल की सहमति से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को सौंपी गई है. इसी कड़ी में दिग्विजय सिंह बीजेपी का गढ़ माने जाने वाले बुंदेलखंड में कांग्रेस की मजबूती के लिए 3 दिन का डेरा डालने वाले हैं, जहां वे सागर और दमोह की हारी हुई सीटों की समीक्षा करेंगे. दिग्विजय सिंह 10 अप्रैल की रात को बीना पहुंचेंगे. बीना से समीक्षा की शुरुआत करते हुए दमोह जिले की हटा विधानसभा क्षेत्र की समीक्षा के बाद 13 अप्रैल को भोपाल वापस चले जाएंगे. इस दौरान वह दोनों जिले की हारी हुई 7 सीटों के कार्यकर्ताओं, मंडल और सेक्टर के पदाधिकारियों से मुलाकात करेंगे.

बुंदेलखंड है कांग्रेस की कमजोर कड़ी: जहां तक बुंदेलखंड की बात करें, तो एक समय बुंदेलखंड कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था, लेकिन धीरे-धीरे यह कांग्रेस के हाथ से फिसल गया. आज हालात यह है कि बुंदेलखंड में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के पास एक भी सीट नहीं है और विधानसभा सीटों में भी भाजपा से काफी पीछे है. मौजूदा स्थिति में बात करें तो बुंदेलखंड की 4 लोकसभा सीटों में कांग्रेस के पास एक भी सीट नहीं है. चारों सीटों पर भाजपा का कब्जा है. ऐसे ही कुछ विधानसभा स्तर पर हैं. विधानसभा सागर जिले में 8 सीटों में से सिर्फ 2 सीटें कांग्रेस के पास हैं. वहीं दमोह में 4 विधानसभा सीटों में से 1 सीट कांग्रेस के पास है. छतरपुर जिले के हाल अन्य जिलों से कुछ ठीक हैं. जहां की 6 विधानसभा सीट में से 3 सीटें कांग्रेस के पास है. इसके अलावा टीकमगढ़-निवाड़ी की हालात तो बहुत ही बदतर है. जहां एक भी सीट कांग्रेस के पास नहीं है. वहीं पन्ना की बात करें, तो पन्ना की 3 सीटों में से सिर्फ एक सीट कांग्रेस के पास है.

2018 में सुधरा था प्रदर्शन, उपचुनाव में हालत हुई पतली : 2018 के विधानसभा चुनाव में बुंदेलखंड में कांग्रेस के प्रदर्शन में सुधार हुआ था. सागर जिले की 8 विधानसभा सीट में से 3 सीटें कांग्रेस के पास थी, लेकिन सिंधिया खेमे की बगावत के बाद सुरखी सीट पर उपचुनाव हुआ और गोविंद सिंह राजपूत भाजपा के टिकट से चुनाव जीते और सीट भाजपा के खाते में चली गई. ऐसा ही छतरपुर में देखने को मिला, जहां 2018 में कांग्रेस ने 6 में से 4 सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन बड़ा मलहरा विधायक प्रद्युम्न सिंह लोधी की बगावत के बाद बड़ा मलहरा में उपचुनाव हुए और ये सीट भाजपा के खाते में चली गई. हालांकि दमोह विधानसभा से भी कांग्रेस विधायक राहुल लोधी ने बगावत की थी, लेकिन वह कांग्रेस की सीट नहीं छीन पाए. ऐसी ही स्थिति निवाड़ी की पृथ्वीपुर विधानसभा सीट पर बनी. जहां बृजेंद्र सिंह राठौर के निधन के बाद उपचुनाव में उनके सुपुत्र नितेन्द्र सिंह राठौर चुनाव हार गए और सीट गवां बैठे थे.

दिग्विजय सिंह को जमीनी तैयारी की जिम्मेदारी: जहां तक दिग्विजय सिंह को बुंदेलखंड में कांग्रेस की जमीन मजबूत करने की जिम्मेदारी सौंपने का सवाल है, तो दिग्विजय सिंह के अनुभव और कार्यकर्ताओं से सीधे संपर्क के कारण उन्हें ये जिम्मेदारी सौंपी गई है. दिग्विजय सिंह लंबे समय तक अविभाजित मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. बताया जाता है कि इस दौरान उन्होंने मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की 1-1 विधानसभा सीट का दौरा किया था. कांग्रेस के ब्लॉक स्तर के कार्यकर्ताओं से उनका सीधा संपर्क है और जमीनी कार्यकर्ताओं को नाम से जानते हैं. खासकर संगठन में जान फूंकने और कार्यकर्ताओं का जोश बढ़ाने में दिग्विजय सिंह का कोई मुकाबला नहीं है. ऐसी स्थिति में पार्टी की रणनीति के तहत पहले दिग्विजय सिंह जमीनी सच्चाई से रूबरू होंगे. उसके बाद नई रणनीति के साथ कमलनाथ मैदान में उतरेंगे.

कुछ खबर यहां पढ़ें

क्या कहना है कांग्रेस का: मध्यप्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष सुरेंद्र चौधरी का कहना है कि किसी भी संगठन में पार्टी का नेतृत्व अकेले चुनाव के पहले नहीं, बल्कि हर समय व्यवस्था को अपने हिसाब से पार्टी के आंतरिक मामलों में बारीक सुधार लाने और कार्यकर्ताओं से जान पहचान के लिए कार्यक्रम करता रहता है. मैं समझता हूं कि इसी मामले में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का दौरा प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ की सहमति से हो रहा है और हमारे प्रभारी जेपी अग्रवाल भी ऐसा ही चाहते हैं. जहां तक बुंदेलखंड में कांग्रेस के कमजोर होने की बात है, तो सुरेंद्र चौधरी का कहना है कि निश्चित तौर पर लोकशाही में राजनीतिक दल इस बात की चिंता जरूर करते हैं कि हमारी पार्टी में क्या कमजोरी और कमियां हैं. इनमें सुधार लाने का काम कार्यकर्ताओं के बीच बैठकर किया जाता है. इसी उद्देश्य को लेकर दिग्विजय सिंह सागर संभाग आ रहे हैं.

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