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पिता की मौत का सदमा और बोर्ड एक्जाम की तैयारी, दीक्षा खरे ने 12वीं की मैरिट सूची में बनाई जगह

मध्यप्रदेश में गुरुवार को एमपी बोर्ड 10वीं और 12वीं का रिजल्ट घोषित हुआ. जहां छात्रों बेहतर प्रदर्शन करते हुए टॉप किया है. वहीं सागर के रहली की एक ऐसी छात्रा जिसने पिता की मौत के सदमे में एग्जमी की तैयारी की और 12वीं की मैरिट सूची में जगह बनाई.

Diksha
दीक्षा खरे
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Published : May 26, 2023, 10:54 PM IST

सागर। हर बेटी के लिए अपने पापा सुपर हीरो की तरह होते हैं. खासकर जब बेटी अपने भविष्य को संवारने का सपना देख रही हो तो उसके सपनों के साकार करने का सबसे बड़ा आधार पिता ही होते हैं, लेकिन पढ़ने-लिखने की उम्र में अगर सिर से पिता का साया उठ जाए, तो सपने टूटते हुए नजर आते हैं. ऐसा ही कुछ रहली की दीक्षा खरे के साथ हुआ. जब बारहवीं कक्षा में आते ही उसके पिता का साया उसके सिर से उठ गया. दीक्षा सदमें में थी, लेकिन अपने पिता की जीवटता और संस्कार के सहारे उसने अपने बुने हुए सपनों को पूरा करने की ठान ली और पिता की मौत के सदमे के बाद भी बारहवीं बोर्ड परीक्षा की मैरिट सूची में आठवां स्थान हासिल किया है. दीक्षा खरे ने वाणिज्य समूह में ये सफलता हासिल की है.

हायर सेकेण्डरी बोर्ड की मैरिट सूची में 8 वां स्थान: रहली सरस्वती शिशु मंदिर की कामर्स समूह की 12वीं की छात्रा दीक्षा खरे ने बड़ी सफलता हासिल की है. उन्होंने 472 अंक हासिल करते हुए कामर्स की मैरिट सूची में प्रदेश भर में आठवां स्थान हासिल किया है. दीक्षा की सफलता पर परिजनों में खुशी का माहौल और घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है. गौरतलब है कि बारहवीं की परीक्षा में रहली की छात्राओं ने लगातार दूसरी बार कमाल दिखाया है. पिछले साल कला समूह की मैरिट सूची में रहली की छात्राओं ने पहला और पांचवा स्थान हासिल किया था.

पिछले साल हो गया था दीक्षा खरे के पिता का निधन: दीक्षा खरे ने अपने कठिन परिश्रम से ये सफलता तब हासिल की है, जब दीक्षा और उसका पूरा परिवार सदमे में था. दरअसल दीक्षा के पिता बिजली कंपनी के कर्मचारी वीरेन्द्र खरे थे और पिछले साल उनका निधन हो गया था. दीक्षा के ऊपर बारहवीं बोर्ड परीक्षा का दबाव था और घर में दुखों का पहाड़ टूट गया. विपत्ति और संकट के इस समय से दीक्षा ने हौसला नहीं खोया और कठिन परिश्रम करते हुए मैरिट सूची में स्थान बनाया. दीक्षा की सफलता पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है. इस खास मौके पर दीक्षा को मलाल है कि अगर आज उसके पिता होते, तो ये पल और भी ज्यादा यादगार हो जाता.

इससे जुड़ी कुछ खबरें यहां पढ़ें

प्रशासनिक अधिकारी बन देश सेवा करना चाहती है दीक्षा: मैरिट सूची में स्थान बनाने वाली दीक्षा खरे ने बताया कि मैंने लगातार पढ़ाई की और सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखी. जिससे आज मैंने मंजिल को हासिल किया है. पिता के निधन के बाद घर पर मां हम सब लोगों की देखभाल करती है. हम लोग थोड़ा बहुत कामकाज में हाथ बंटाते है. दीक्षा प्रशासनिक अधिकारी बनकर देश और समाजसेवा करना चाहती है.

सागर। हर बेटी के लिए अपने पापा सुपर हीरो की तरह होते हैं. खासकर जब बेटी अपने भविष्य को संवारने का सपना देख रही हो तो उसके सपनों के साकार करने का सबसे बड़ा आधार पिता ही होते हैं, लेकिन पढ़ने-लिखने की उम्र में अगर सिर से पिता का साया उठ जाए, तो सपने टूटते हुए नजर आते हैं. ऐसा ही कुछ रहली की दीक्षा खरे के साथ हुआ. जब बारहवीं कक्षा में आते ही उसके पिता का साया उसके सिर से उठ गया. दीक्षा सदमें में थी, लेकिन अपने पिता की जीवटता और संस्कार के सहारे उसने अपने बुने हुए सपनों को पूरा करने की ठान ली और पिता की मौत के सदमे के बाद भी बारहवीं बोर्ड परीक्षा की मैरिट सूची में आठवां स्थान हासिल किया है. दीक्षा खरे ने वाणिज्य समूह में ये सफलता हासिल की है.

हायर सेकेण्डरी बोर्ड की मैरिट सूची में 8 वां स्थान: रहली सरस्वती शिशु मंदिर की कामर्स समूह की 12वीं की छात्रा दीक्षा खरे ने बड़ी सफलता हासिल की है. उन्होंने 472 अंक हासिल करते हुए कामर्स की मैरिट सूची में प्रदेश भर में आठवां स्थान हासिल किया है. दीक्षा की सफलता पर परिजनों में खुशी का माहौल और घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है. गौरतलब है कि बारहवीं की परीक्षा में रहली की छात्राओं ने लगातार दूसरी बार कमाल दिखाया है. पिछले साल कला समूह की मैरिट सूची में रहली की छात्राओं ने पहला और पांचवा स्थान हासिल किया था.

पिछले साल हो गया था दीक्षा खरे के पिता का निधन: दीक्षा खरे ने अपने कठिन परिश्रम से ये सफलता तब हासिल की है, जब दीक्षा और उसका पूरा परिवार सदमे में था. दरअसल दीक्षा के पिता बिजली कंपनी के कर्मचारी वीरेन्द्र खरे थे और पिछले साल उनका निधन हो गया था. दीक्षा के ऊपर बारहवीं बोर्ड परीक्षा का दबाव था और घर में दुखों का पहाड़ टूट गया. विपत्ति और संकट के इस समय से दीक्षा ने हौसला नहीं खोया और कठिन परिश्रम करते हुए मैरिट सूची में स्थान बनाया. दीक्षा की सफलता पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है. इस खास मौके पर दीक्षा को मलाल है कि अगर आज उसके पिता होते, तो ये पल और भी ज्यादा यादगार हो जाता.

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प्रशासनिक अधिकारी बन देश सेवा करना चाहती है दीक्षा: मैरिट सूची में स्थान बनाने वाली दीक्षा खरे ने बताया कि मैंने लगातार पढ़ाई की और सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखी. जिससे आज मैंने मंजिल को हासिल किया है. पिता के निधन के बाद घर पर मां हम सब लोगों की देखभाल करती है. हम लोग थोड़ा बहुत कामकाज में हाथ बंटाते है. दीक्षा प्रशासनिक अधिकारी बनकर देश और समाजसेवा करना चाहती है.

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